जाधव मामले में वियना संधि का उल्लंघन साबित करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई को लेकर लिखित तौर पर जमा कराई गई दलीलों के आधार पर भारत सरकार बहस की तैयारी में जुट गई है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की अगुआई में भारतीय अधिवक्ताओं की टीम इस मामले में जाधव को बचाने के लिए दलीलें रखेगी। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि जाधव के मामले में पाकिस्तान ने हर कदम पर वियना संधि का उल्लंघन किया है। फरवरी में जब आइसीजे में बहस होगी, तब पाकिस्तान के सबूत नहीं टिकेंगे। इससे पहले पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुरुवार को वहां के मुल्तान शहर में कहा कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तान के पास ‘ठोस सबूत’ हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय अदालत में चल रहे मुकदमे में जीतने की उम्मीद है।
47 वर्षीय जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने उसी वर्ष मई में उस फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भारत की अपील पर जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। इस मामले में भारत और पाकिस्तान ने अपनी विस्तृत अर्जी और जवाब अंतरराष्ट्रीय अदालत में पेश कर दिए हैं। भारत ने लिखित तौर पर दलीलें रखी हैं कि नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव को ईरान से अगवा कर बलूचिस्तान लाया गया और वहां गिरफ्तारी दिखाई गई। जाधव का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं। वे ईरान में कारोबार कर रहे थे। पाकिस्तान के नए विदेश मंत्री का बयान वहां के वहां के विदेश मंत्रालय ने भी जारी किया है। कुरैशी का कहना है, ‘हमारे पास जाधव के खिलाफ ठोस सबूत हैं और उम्मीद है कि हम अंतरराष्ट्रीय अदालत में मामले में जीत हासिल करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय अदालत के समक्ष मामले को प्रभावी तरीके से पेश करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।’
बुधवार को खबरें आई थीं कि अंतरराष्ट्रीय अदालत अगले वर्ष फरवरी में मामले की दैनिक आधार पर सुनवाई करेगी। पाकिस्तान का कहना है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को बलूचिस्तान प्रांत से मार्च 2016 में तब गिरफ्तार किया था जब वे कथित रूप से ईरान से देश में घुसे थे। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में कहा है कि जाधव कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है बल्कि उसने जासूसी और तोड़फोड़ के इरादे से देश में प्रवेश किया था। जबकि, भारत ने आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया जहां नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद वे व्यापार के सिलसिले में रह रहे थे। जाधव का सरकार से कोई संपर्क नहीं था।
जाधव को गिरफ्तार किए जाने के बाद भारत की ओर से अब तक दर्जनों बार राजनयिक पहुंच की अपील पाकिस्तान ठुकरा चुका है। यहां तक कि जब उनकी मां और पत्नी मिलने गए थे, तब परिजनों से भी बुरा बर्ताव किया गया। जाधव को कांच की दीवार के पार बिठाकर माइक के जरिए बात कराई गई। तब भारतीय उच्चायुक्त को वहां परिजनों के साथ नहीं जाने दिया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास जाधव को जासूस साबित करने लायक कोई दस्तावेजी सबूत या गवाह नहीं है। सिर्फ गढ़े आरोपों के दम पर सैन्य अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुना रखी है।