इस गांव पर ISIS का दाग, जानें दाढ़ी छोटी करा बाढ़ पीड़ितों की क्यों मदद कर रहे ये मुस्लिम युवक

केरल में इस साल सदी का सबसे विनाशकारी बाढ़ आया है। पानी भले ही उतर गया है, लेकिन इससे जो नुकसान हुआ है, उससे निपटने में काफी समय लग जाएगा। दस लाख से अधिक लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। न रहने को घर बचा और न खाने का सामान है। अापदा की इस घड़ी में पूरे देश से लोग से लोग केरल के बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं। कुछ पैसे से मदद कर रहे हैं तो कुछ स्वंय सेवक के रूप में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें इस आपदा की घड़ी में लोगों की मदद करने से पहले अपने हुलिये को बदलना पड़ा, ताकि बेवजह उनके उपर लोगों का ध्यान केंद्रित न हो। कारण यह है कि ये लोग जिस गांव के रहने वाले हैं, उसपर आतंकी संगठन आईएसआईएस का दाग लगा हुआ है। यह उत्तरी केरल के कसरगोड़ जिले का पदन्ना गांव है। इस गांव के 25 लोग वर्ष 2016 के मई महीने में केरल से अफगानिस्तान आईएसआईएस में शामिल होने गए थे। हालांकि, कुछ समय बाद इनमें से काफी लोग वापस लौट आए। लेकिन एक जो दाग इस गांव पर लग गया, उससे यहां के लोगों का अभी भी पीछा नहीं छूट रहा है। अभी इस मुस्लिम बहुल गांव के करीब 100 युवा केरल में बाढ़ के बाद प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। इनमें से करीब पांच युवकों ने सेंट्रेल केरल में आने से पहले अपनी दाढ़ी छोटी करवा ली। वे यह नहीं चाहते कि बेवजह उनके उपर लोगों का ध्यान केंद्रित हो।
15 अगस्त को पदन्ना गांव के 30 से ज्यादा युवक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं। वहीं करीब एक दर्जन जरूरत की वस्तुओं को ले जाने और पहुंचाने में लगे हैं। गांव में भी 60 लोगों की एक टीम और सात स्थानीय क्लब एर्नाकुलम, चेंगानूर और एलेप्पी क्षेत्र में बाढ़ सहायता के लिए फंड जुटाने और जरूरत की वस्तुओं के इंतजाम में जुटी है। गल्फ देशों से व्यवसाय करने वाले शबीर अली जो कि राहत कार्य में सहायता कर रहे हैं और ऑनलाइन तरीके से संसाधन इकट्ठा कर रहे हैं, कहते हैं, “17 अगस्त से अब तक पदन्ना से 25 ट्रक राहत सामग्री भेजी जा चुकी है। इन वस्तुओं का मुख्य संग्रह केंद्र एर्नाकुलम में एडप्पाल्ली में है, जहां पदन्ना के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने होटल को राहत वस्तुओं के लिए गोदाम में बदल दिया है।”
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र मे जमीनी स्तर पर काम करने वाले 30 लोगों की टीम में एक 31 वर्षीय जुहैर इस्माइल भी शामिल हैं, जो कतर स्थित एक रेडियो स्टेशन के लिए काम करते हैं। इस्माइल कहते हैं कि, “केरल में बाढ़ की भयावहता को देखकर मैं 17 अगस्त को यहां आया हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी था। हालांकि, तत्कल केरल आने के लिए हवाई टिकट लेना काफी मुश्किल था, इसलिए मैं पहले गोवा आया और फिर ट्रेन से कोझीकोड़ी आया। इसके बाद एक दोस्त की गाड़ी उधार ली और 18 अगस्त को चंगनशेरी पहुंचा और एक शिविर स्थापित किया।” बीते 10 दिनों में इस्माइल और उनकी टीम ने एर्नाकुलम के द्वारा पदन्ना से चार ट्रक राहत सामग्री का प्रबंध किया। इस्माइल कहते हैं कि, “हमने चेंगानूर, कोलेचेरी और तिरुवल्ला में लगभग 25,000 लीटर पीने का पानी लोगों के बीच बांटा। इसके लिए स्थानीय लोगों का भी साथ लिया। इससे हमें काफी सहायता मिली।” एर्नाकुलम में पदन्ना के 18 लोगों में से कम से कम पांच आदमी जो राहत कार्य में लगे हैं, कहते हैं कि गांव छोड़ने से पहले हमने कुछ अपने दाढ़ी को छोटा कर लिया।
पदन्ना के 27 साल वर्षीय मोहम्म्द सलिह जो कि एक इंजीनियर हैं और एडापल्ली में राहत कैंप में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि वे 18 अगस्त से इस मिशन में शामिल हुए हैं। पदन्ना गांव के सभी घरों के लोगों ने बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सामान व पैसे दिए हैं। 2016 में हमारे गांव के कुछ लोगों ने जो गलितयां की, उसके बाद के दो साल में हम काफी कुछ झेल चुके हैं। शायद यही वजह रही कि हमारे बीच के कुछ लोगों ने अपनी दाढ़ी छोटी कर ली। हम इस बात का विशेष ध्यान रख रहे हैं कि सहायता के दौरान किसी तरह के निशान और बैनर का इस्तेमाल न हो।”
एर्नाकुलम में बाढ़ राहत कार्य में जुटे 34 वर्षीय मोहम्मद अली कहते हैं कि, “हम यहां हीरो बनने के लिए नहीं आये हैं। हम आपको यह नहीं बताना चाहते कि हमने यहां क्या काम किया। लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि पदन्ना आतंक की फैक्ट्री नहीं है। धर्म से हटकर हम हर तीन साल में एक बार पदन्ना में मंदिर त्योहार मनाते हैं। पदन्ना में कभी कोई धार्मिक तनाव नहीं हुआ। इसके बावजूद पदन्ना का एक मुस्लिम होने की वजह से कई एयरपोर्ट पर मुझे रोक दिया गया है।”