भीमा कोरेगांव मामले की गिरफ्तारी के बाद बोले प्रकाश आंबेडकर, जनता को खामोश करने की कोशिश में है सरकार

भारिपा बहुजन महासंघ नेता प्रकाश आंबेडकर ने माओवादियों से संबंध होने के संदेह में वामपंथी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को जनसमूह को खामोश करने की एक कोशिश करार दिया है। आंबेडकर ने कहा कि सरकार के खिलाफ जो आवाज उठा रहे हैं, वे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और गैर राजनीतिक संगठन हैं लेकिन उनकी जड़ें जनसमूह में है।
उन्होंने कहा, ‘‘इन छापों के साथ सरकार जनसमूह को खामोश करने की कोशिश कर रही है लेकिन मुझे संदेह है कि क्या गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चुप होंगे। वे सरकार का विरोध करने में कहीं अधिक सक्रिय होंगे क्योंकि उनका कोई हित नहीं जुड़ा हुआ है।

पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘वे लोग चुनाव नहीं लड़ते। उनकी रूचि सिर्फ यह देखने में है कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की देश में हिफाजत हो। यह उनका मकसद है। वे लोग पहले की तुलना में कहीं अधिक सक्रिय होंगे।’’ आंबेडकर ने दावा किया कि जब दक्षिणपंथी संगठन ‘‘सनातन संस्था’’ पर छापा मारा गया था, तब उन्होंने कहा था कि अन्य के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी और वे कोशिशें एल्गार परिषद से संबंध को दिखाने के लिए होगी।

गौरतलब है कि एक जनवरी को हुई कोरेगांव – भीमा हिंसा से एक दिन पहले एल्गार परिषद कार्यक्रम का पुणे में आयोजन किया गया था। इसबीच, शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा है कि कोरेगांव – भीमा हिंसा के सरगना को गिरफ्तार नहीं किया गया है और इसके पीछे किसकी सोच थी, उसका पता लगाने के लिए जांच अब तक जारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘माओवादियों से संबंध बता कर लोगों को गिरफ्तार करने का देश में माहौल बनाया जा रहा है। यदि स्थिति को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जाती है तो यह गलत है।’’ गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने कल देश के विभिन्न हिस्सों में वामपंथी कार्यकर्ताओं के घरों में छापा मारा था और कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता वेरनन गोंजाल्विस, अरूण फेरार, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया गया था।

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