मॉब लिंचिंग: गृह मंत्री बोले थे- पुलिस कस्टडी में मरा था रकबर, चार्जशीट में किसी पुलिसवाले का नाम नहीं
अलवर के रामगढ़ क्षेत्र में स्थित ललावंडी गांव में बीती 20 जुलाई को गोतस्करी के आरोप में एक व्यक्ति रकबर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। अब पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस की यह चार्जशीट विवादों में आ गई है। दरअसल पुलिस ने इस मामले में जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें किसी पुलिसकर्मी का नाम नहीं है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने घटनास्थल का दौरा करते वक्त अपने एक बयान में रकबर की मौत पुलिस हिरासत में होने की बात स्वीकारी थी, लेकिन अब पुलिस द्वारा कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में किसी भी पुलिसकर्मी का नाम नहीं होने से इस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस ने कोर्ट में अधूरी चार्जशीट दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जतायी है। इसके बाद पुलिस ने अंडरटेकिंग दी तब कहीं कोर्ट से इसे मंजूर किया।
रकबर की मौत के मामले में ड्यूटी ऑफिसर एएसआई मोहन सिंह को निलंबित और 3 कांस्टेबलों को लाइन हाजिर भी किया गया था। वहीं इस मसले पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस हिरासत में मौत हुई है या नहीं, इसकी अलग से न्यायिक जांच चल रही है। अहम बात ये है कि इस मामले में गो तस्करी का कोई केस दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में ललावंडी निवासी 3 युवकों को हत्या का आरोपी बनाया है। जिसमें सरदार परमजीत सिंह, नरेश और धर्मेंद्र यादव का नाम शामिल है।
20 जुलाई को हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर अपने साथी असलम के साथ गाय लेकर ललावंडी गांव के नजदीक से गुजर रहा था। तभी लोगों की भीड़ ने दोनों को घेर लिया। इसी दौरान असलम मौके से फरार होने में सफल हो गया, लेकिन रकबर भीड़ के हत्थे चढ़ गया। जिसके चलते भीड़ ने रकबर की पिटाई कर दी। बाद में पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन रकबर को बचाया नहीं जा सका। पुलिस पर आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने घायल रकबर को अस्पताल पहुंचाने में लापरवाही बरती, जिस कारण उसकी मौत हो गई। शुक्रवार को मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी रकबर मामले की रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है।