प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़े ही नहीं किडनी भी हो सकती है खराब

वायु प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर केवल नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस वजह से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। आज के तकनीकी युग में इस समस्या से बच पाना काफी मुश्किल होता है लेकिन जितना हो सके वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाव करना जरूरी होता है। हाल ही में एक शोध ने वायु प्रदूषण को लेकर चेतावनी देते हुए कहा है कि इस वजह से किडनी में गंभीर समस्या का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में किडनी खराब हो जाने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा वायु प्रदूषण की वजह से दिल की बीमारी, स्ट्रोक, कैंसर और अस्थमा की बीमारी हो जाने की आशंका होती है।

अमेरिका के वाशिंगटन यूनीवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में हुए एक अध्ययन में वायु प्रदूषण की वजह से होने वाले रोगों में किडनी की बीमारी को भी शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने लगभग साढ़े आठ साल तक तकरीबन 2.5 मिलियन लोगों पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव और किडनी की बीमारी को लेकर अध्ययन किया था। हवा में मौजूद धूल, धुओं और गंदगी के कणों का हमारे रक्त में घुसना किडनी को काफी नुकसान पहुंचाता है। दरअसल किडनी का काम हमारे खून को फिल्टर करना यानी कि साफ रखना होता है। हवा के माध्यम से जब ये धूल के कण खून में समा जाते हैं तब रक्तशोधन के दौरान किडनी की कार्यप्रणाली बुरी तरह से प्रभावित होती है। इस वजह से किडनी के खराब होने का भी काफी खतरा रहता है।

अमेरिका के ही ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ में प्रकाशित एक अन्य शोध में किडनी की बीमारी के 44,793 नए मामलों और किडनी की विफलता के 2,438 मामलों के पीछे वायु प्रदूषण के स्तर का हाथ पाया गया। यह स्तर ईपीए के 12 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर की सीमा से बहुत अधिक था। यह मनुष्य के लिए सुरक्षित माने जाने वाले वायु प्रदूषण का उच्चतम स्तर है। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियाद अल-अली ने बताया कि वायु प्रदूषण के मनुष्य की किडनी पर संभावित प्रभावों को लेकर काफी कम आंकड़े उपलब्ध हैं। हमने आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें वायु प्रदूषण और किडनी की बीमारियों के बीच स्पष्ट संबंध पाया गया।

 

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