Asian Games 2018: पिता रिक्‍शा चालक, मां तोड़ती हैं चाय के पत्‍ते; बेटी ने गोल्‍ड मेडल जीत रच दिया इतिहास

पश्चिम बंगाल का जलपाईगुड़ी शहर बुधवार (29 अगस्त) को जश्न में डूबा था। हर जगह यहां के रिक्शा चालक की बेटी स्वप्ना बर्मन के चर्चे थे। 18वें एशियाई खेलों में बर्मन ने गोल्डन मेडल जो जीत लिया था। इंडोनेशिया के जकार्ता में जारी खेलों में उन्होंने हेप्टाथलन स्पर्धा में सोने का तमगा अपने नाम किया। ऐसा कर वह भारत की पहली महिला बन गईं, जिन्होंने इस स्पर्धा में गोल्ड जीता। उन्होंने सात स्पर्धाओं में कुल 6026 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया। लेकिन स्वप्ना के लिए यह राह इतनी आसान नहीं थी।

परिवार की खस्ता आर्थिक हालत और अपनी समस्याओं से जूझते हुए स्वप्ना आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। उनके पिता पंचन बर्मन रिक्शा चालक हैं। जब उससे भी घर का खर्च न चलता तो वह चाय के पत्ते तोड़ते थे। हालांकि, बीमारी के कारण कुछ वक्त से वह बिस्तर पर हैं, जबकि मां बशोना लोगों के घरों में काम कर और चाय के पत्ते तोड़ परिवार का गुजारा करती हैं।

मां ने बेटी के संघर्ष के बारे में बताया, “यह उसके (बेटी) लिए आसान न था। हम उसकी जरूरतें पूरी न कर पाते थे। पर उसने कभी शिकायत न की।” एक वक्त ऐसा था कि स्वप्ना को सही जूतों के लिए संघर्ष करना पड़ता था। कारण- उनके दोनों पैरों में छह-छह उंगलियां हैं। चौड़े पैर खेलों में उसकी लैंडिंग भी कठिन बना देती है। ऐसे में उनके जूते जल्दी फट जाते हैं।

पुराने कोच सुकांत सिन्हा बोले, “मैंने 2006 से 2013 तक उसे ट्रेन किया। वह काफी गरीब परिवार से है। ट्रेनिंग का खर्च उठाना उसके लिए मुश्किल रहा। वह चौथी कक्षा में थी, तब मैंने उसकी प्रतिभा देखी, जिसके बाद उसे ट्रेनिंग देना शुरू किया। वह जिद्दी है। यह उसके लिए अच्छा भी है। राइकोट पारा स्पोर्टिंग एसोसिएशन क्लब में हमने उसे हर तरह से मदद की।”

मां आगे बोलीं, “मैंने उसका प्रदर्शन नहीं देखा। दिन के दो बजे से प्रार्थना कर रही थी। यह मंदिर उसने बनाया है। मैं काली मां को बहुत मानती हूं। मुझे जब उसके जीतने की खबर मिली तो मैं अपने आंसू रोक नहीं पाई।” वहीं, प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने स्वप्ना को बधाई दी है। ट्वीट में सीएम ने कहा, “हमारे बंगाल की हेप्टाथलान क्वीन स्वप्ना बर्मन को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर बहुत बधाई। आपने हमें गौरवान्वित किया है।”

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