ब्रह्मपुत्र का महागायक
अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पहले भवन का उद्घाटन करने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद 21 फरवरी, 1956 को पधारे थे। कार्यक्रम के आरंभ में भूपेन हजारिका ने खासतौर से इस मौके के लिए लिखा अपना गीत गाया- ‘जिलिकाबो लुइतरे पार/ अंधारर भेटा भांगी प्राग्ज्योतिषत बय जेउती निजरारे धार/ शत-शत बंतिरे ज्ञानरे दिपालिए जिलिकाबो लुइतर पार…।’ बाद में यही गीत गुवाहाटी विश्वविद्यालय का कुलगीत बना। इन शब्दों के साथ एक कलाकार लुइत (ब्रह्मपुत्र) के तट पर जिलिकाने (जगमगाने) की अपनी अदम्य इच्छा प्रकट कर रहा था। समय ने सिद्ध कर दिया कि
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