तो फिर कौन

बहुचर्चित और पेचीदा आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में सीबीआइ अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। हाइकोर्ट के संबंधित खंडपीठ ने डासना जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे दंपति को रिहा करने का आदेश दिया है। खंडपीठ में शामिल दो जजों ने अलग-अलग अपना फैसला लिखा। आदेश में कहा गया है कि सीबीआइ इस हत्याकांड में नूपुर दंपति की संलिप्तता संदेह से परे साबित करने में असमर्थ रही; सिर्फ शक के आधार पर किसी को सजा

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आतिशबाजी की आग

देश के सबसे घनी आबादी वाले शहर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध बरकरार रखा है। पटाखों से फैले वायु प्रदूषण का प्रभाव दिल्ली की जनता पहले भी झेल चुकी है। बाकी जगह भी इस समस्या से मुक्त नहीं हैं। इसलिए इस फैसले को समूचे भारत में लागू किया जाना चाहिए, ताकि देश प्रदूषण और श्वास विकार की समस्या से बच सके। लेकिन यह फैसला केवल दिवाली पर ही क्यों! बाकी त्योहारों और यहां तक कि खुशी के

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रसायनों से जहरीली होती जमीन

हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशक की चपेट में आकर अठारह किसानों और खेत में काम कर रहे मजदूरों की मौत हो गई है। बीते बीस दिनों के दौरान कोई पांच सौ किसान और श्रमिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं। असल में, इस इलाके में कपास की खेती होती है। इस बार कपास में गुलाबी कीड़े (पिंक बोलवर्म) आ गए हैं। मजबूरन किसानों ने प्रोफेनोफॉस जैसे जहरीले कीटनाशक का छिड़काव किया। छिड़काव के लिए उन्होंने चीन में बने ऐसे पंप का इस्तेमाल किया, जिसकी कीमत कम थी

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दिल्ली- छोटे कारोबारियों ने कहा, फांसी लगा दी, बस जान नहीं निकल रही

इन फैसलों से हमें फांसी तो लग गई है बस मर नहीं रहें हैं। जिंदा रहते हुए भी तड़प रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद काम खत्म हो गया है। पहले जहां एक दिन में चार हजार कमा लेता था वहीं आज दो हजार भी नहीं बच रहा है। दुकान में काम करने वाले लड़के भी काम छोड़ कर चले गए। घर का खर्चा चलाने के लिए मैंने अपना एक प्लॉट बेच दिया। अब क्या करें बच्चे पालने हैं तो कुछ तो करना पड़ेगा न।’ यह कहना

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पश्चिम बंगाल- दुविधा में दुकानदार और खरीदार

कारोबारियों के साथ-साथ उपभोक्ता भी यह कहने से परहेज नहीं कर रहे हैं कि केंद्र सरकार की ओर से एक राष्ट्र और कर के नाम पर लागू किया गया जीएसटी अभी तक तो किसी छलावे से कम नहीं लग रहा है। नई कर प्रणाली लागू हुए करीब साढ़े तीन महीने हो गए, लेकिन अभी भी जानकारी के अभाव में दुकानदार व खरीदारों की दुविधा बरकरार है।  महानगर कोलकाता में रंग-अबीर, आभूषण, दवा, कपड़ा, मिठाई और जूता-चप्पल विक्रेताओं समेत कई दुकानदारों व खरीदारों से जनसत्ता ने जीएसटी बाबत उनकी राय मांगी

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उत्तराखंड: पहाड़ में कारोबार मुश्किल में

जीएसटी को लेकर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड आंदोलनरत है। सूबे के व्यापारी जीएसटी के खिलाफ कई प्रदर्शन कर चुके हैं। जीएसटी लागू होने के बाद डेढ़ दशक पुराने उत्तराखंड राज्य में मानो विकास थम सा गया है। बीते तीन महीनों में राज्य के उद्योगों में पूंजी निवेश में भारी गिरावट आई है और राज्य का व्यापार चौपट हो गया है। इससे राज्य में रोजगार के अवसरों में भारी कमी आई है।  चाहे व्यापारी हो या आम आदमी सभी जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड में

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वन्य जीवों और वन संपदा की तस्करी बढ़ी, नेपाल व भूटान तस्करों की पनाहगाह

तमाम कोशिशों के बाद भी वन्य जीवों को मार कर उनके अंगों की तस्करी का धंधा बेरोक टोक जारी है। तस्करों के सरगना पकड़ में नहीं आने के कारण जांच एजंसियों असहाय हैं। पिछले तीन साल में नेपाल और भूटान से लगे भारत के सीमावर्ती सघन वन क्षेत्रों में वन्य जीवों का अवैध शिकार कर उनके अंगों तथा अन्य वन संपदा की तस्करी के मामलों में सौ फीसद से ज्यादा का इजाफा हुआ है। विभिन्न जांच एजंसियों की ओर से इस अवधि में तस्करों से मिली वन संपदा की कीमत

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बंगाल- लखपती व करोड़पति बनाने का सपना दिखाता लॉटरी का धंधा

आइए-आइए, भाग्य अीजमाइए, दो रुपए में दो लाख, छह रुपए में 26 लाख, 10 रुपए में एक करोड़ और 20 रुपए में दो करोड़ पाइए’। लाउड स्पीकर के जरिए इनदिनों यह आवाज हावड़ा स्टेशन, सियालदह स्टेशन के अलावा राज्य के कई उपनगरीय स्टेशन समेत शहर की प्रमुख सड़कों पर लॉटरी की दुकानों सुनाई दे रही है। पश्चिम बंगाल सरकार, नगालैंड सरकार, सिक्किम सरकार समेत कई राज्यों की लॉटरी का टिकट बेचकर लोगों को लखपति व करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर जहां लॉटरी वितरक, लॉटरी एजंट और विक्रेता अपना घर-परिवार चला

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आरबीआई का सर्वे: अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर लोगों में निराशा बढ़ी, नौकरी सबसे बड़ी चिंता

जॉर्ज मैथ्यू भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा करवाए गये सर्वे के अनुसार खरीदारी को लेकर लोगों का मनोबल गिर रहा है, निर्माण क्षेत्र के कारोबारी निराश हो रहे हैं, मुद्रा स्फिति बढ़ रही है और विकास दर नीचे फिसल रही है। आरबीआई के सर्वे के नतीजे उसकी चार अक्टूबर को पेश की गयी आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट से भी मेल खाते हैं। आरबीआई ने आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2017-18 में अनुमानित विकास दर 7.3 से घटाकर 6.7 कर दी थी। आरबीआई के अनुसार पिछले चार तिमाहियों से

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राहत की सौगात

सत्ता में बैठे लोग कल तक यही जता रहे थे कि जीएसटी को लेकर सबकुछ ठीकठाक है, सारी आलोचना बकवास है, जो भी शिकायतें हैं वे एक नई कर-व्यवस्था लागू करने पर स्वाभाविक रूप से होने वाली आरंभिक दिक्कतों की वजह से हैं और ये धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी। लेकिन आखिरकार सरकार को अपने इस रुख से कुछ पीछे हटना पड़ा। वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की बाईसवीं बैठक के बाद बीते शुक्रवार को सरकार ने जो घोषणाएं कीं, उनसे साफ है कि छोटे कारोबारियों और

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सब्र की इंतिहा, जंग का मूड

यशवंत सिन्हा की तुलना अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी ने कर्ण के सारथी शल्य से कर अपनी ही भद पिटवाई। सिन्हा अस्सी पार के हैं। उनके साहस की सराहना करनी चाहिए। जेटली ने अस्सी की उम्र में नौकरी तलाशने का आरोप लगा कर उनका उपहास उड़ाया। भूल गए कि वे आइएएस की चमक-धमक वाली नौकरी छोड़ कर राजनीति में कूदे थे। शुरुआत में डीटीसी कर्मचारियों की यूनियन का अध्यक्ष तक बनने से परहेज नहीं किया था। कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री थे तो उनके निजी सचिव के नाते राजनीति के दांवपेच सीख

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कुछ हकीकत कुछ फसाने

तवलीन सिंह प्रधान मंत्री ने पिछले सप्ताह उनसे सावधान रहने को कहा, जो निराशा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबसे मंदी के बादल अर्थव्यवस्था पर मंडराने लगे हैं। ठीक किया प्रधानमंत्री ने ऐसा करके। इन लोगों की तरफ अगर आप ध्यान से देखने की तकलीफ करेंगे तो वही चेहरे नजर आएंगे जो नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के पहले क्षणों से ही उनको बदनाम करने में लगे हुए हैं। याद कीजिए किस तरह पहली कोशिश उनकी थी ईसाई समाज में डर पैदा करने की। इस कोशिश में इतने सफल रहे

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मकतूल और कातिल

पी. चिदंबरम जोन आॅफ आर्क को खंभे से बांध कर जला दिया गया था। सुकरात को जहर का प्याला पीना पड़ा। सर थॉमस मोर का सिर काट दिया गया। इन सबको अपने विश्वासों की कीमत चुकानी पड़ी। हाल में हुई पांच हत्याओं नेभारत के लोगों के अंत:करण को झकझोर दिया है। मीडिया का ध्यान इस पर है कि इनमें से हरेक मामले में हत्यारा कौन था। संबंधित राज्य की पुलिस हत्यारे या हत्यारों की तलाश में जुटी हुई है। कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं, पर किसी भी मामले की गुत्थी फिलहाल

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