बंगाल- लखपती व करोड़पति बनाने का सपना दिखाता लॉटरी का धंधा

आइए-आइए, भाग्य अीजमाइए, दो रुपए में दो लाख, छह रुपए में 26 लाख, 10 रुपए में एक करोड़ और 20 रुपए में दो करोड़ पाइए’। लाउड स्पीकर के जरिए इनदिनों यह आवाज हावड़ा स्टेशन, सियालदह स्टेशन के अलावा राज्य के कई उपनगरीय स्टेशन समेत शहर की प्रमुख सड़कों पर लॉटरी की दुकानों सुनाई दे रही है। पश्चिम बंगाल सरकार, नगालैंड सरकार, सिक्किम सरकार समेत कई राज्यों की लॉटरी का टिकट बेचकर लोगों को लखपति व करोड़पति बनाने का सपना दिखाकर जहां लॉटरी वितरक, लॉटरी एजंट और विक्रेता अपना घर-परिवार चला रहे हैं, वहीं ज्यादातर लोग रातोंरात अमीर बनने की उम्मीद और आशा में अपनी गाढ़ी कमाई खर्च कर रहे हैं। वैसे तो रोजाना विभिन्न राज्यों की लाखों रुपए की लॉटरी टिकट बिकती है और कुछ लोगों को इनाम में हजारों तो कुछ को लाखों रुपए मिलते भी हैं, लेकिन धनतेरस और दीपावली पर लॉटरी का धंधा जोरों पर रहता है। शहर के कुछ लॉटरी विक्रेताओं ने ‘जनसत्ता को बताया कि मकर संक्रांति, होली, अक्षय तृतीया, रथयात्रा, धनतेरस व दीपावली के मौके पर क्रमश: लॉटरी खरीदकर भाग्य आजमाने वालों की संख्या काफी बढ़ जाती है।

लॉटरी विक्रेता राजू उर्फ पप्पू शर्मा ने बताया कि वे 20 साल से ब्रेबर्न रोड में अपनी दुकान में कई राज्यों की लॉटरी के टिकट बेच रहे हैं। उनके मुताबिक कम से कम लॉटरी टिकट दो रुपए और अधिक से अधिक एक सौ रुपए का है। टिकट उन्हें एक सप्ताह की उधारी पर मिलती है और बिक्री पर छह से साढ़े छह फीसद का कमीशन मिलता है। शर्मा ने बताया कि कमीशन के अलावा उनके यहां से बिकी टिकट पर इनाम मिलने पर अलग से प्रोत्साहन राशि मिलती है।
सियालदह स्टेशन के पास लॉटरी का स्टॉल लगाए बैठे परिमल दास ने बताया कि वे रोजाना औसतन आठ-नौ हजार रुपए के लॉटरी टिकट बेचकर साढ़े चार-पांच सौ रुपए कमा लेते हैं, लेकिन धनतेरस-दीपावली पर जहां सरकारी-गैरसरकारी लॉटरी ड्रा की भरमार हो जाती है, वहीं खरीदने वालों का भी तांता लग जाता है। उन्होंने कहा कि उनके स्टॉल से बिके टिकट पर अधिकतम इनाम 25 लाख रुपए तक मिला था और न्यूनतम 40 रुपए का। दास ने बताया कि 25 लाख का इनाम सिक्किम सरकार का था, उन्हें भी बतौर विक्रेता एक लाख दो हजार रुपए मिले थे।

महात्मा गांधी रोड में एक लॉटरी दुकान पर बैठे अशोक जैन ने बताया कि रोजाना, साप्ताहिक व पाक्षिक लॉटरी ड्रॉ ने सचमुच कई लोगों के भाग्य खोले हैं, लेकिन दिन में तीन बार (चार घंटे के अंतराल पर) खुलने वाले ड्रॉ का टिकट ज्यादातर मुटिया-मजदूर स्तर के लोग खरीदते हैं और लखपति व करोड़पति बनने की चक्कर में खाकपति होते जा रहे हैं। विधान सरणी के पास फुटपाथ पर लॉटरी टिकट बेच रहे गौरांग धर ने बताया कि हर ड्रा का दिन व समय निर्धारित होता है और टिकट ड्रॉ समय से 30 मिनट पहले तक बेचे जाते हैं और बची टिकट का नंबर वितरक या एंजट को फोन, मैसेज या ई-मेल की जरिए बताना पड़ता है। अगर ऐसा नहीं कर पाए तो पूरे बचे टिकट का भुगतान भी एजंट को देना पड़ेगा।  टिकट खरीदने वाले परिणाम कैसे देखते हैं और भुगतान कहां से लेते हैं? गौरांग से कहा कि ड्रॉ के तत्काल के बाद इंटरनेट पर परिणाम देखा जा सकता है और एक हजार रुपए तक का भुगतान किसी की टिकट विक्रेता से लिया जा सकता है। एक हजार से अधिक की राशि का इनाम हासिल करने के लिए कुछ कागजी कारर्वाई करती होती है, जिसमें कुछ समय लगता है।
वहीं, जानकारों का कहना है कि रंगीन जीरॉक्स मशीन आने से लॉटरी के धंधे में जालसाजी की आशंका बढ़ी है। कुछ लोग एक ही नंबर के टिकट जीरॉक्स करवाकर उपनगरों में बेच देते हैं। इनलोगों का कहना है कि लॉटरी के धंधेबाज अपना कारोबार चलाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं, जिस वजह से हर चार घंटे में खुलने वाले लॉटरी ड्रॉ के कारण कई परिवारों पर दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं तो कई बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।

 

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