उत्तराखंड: चावल घोटाले पर भाजपा और कांग्रेस में तकरार हुई तेज
उत्तराखंड में छह सौ करोड़ रुपए के चावल घोटाले ने राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। इस घोटाले ने कांग्रेस और भाजपा को आमने-सामने ला खड़ा किया है। जहां भाजपा चावल घोटाले को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने के लिए एकजुट है, वहीं कांग्रेस इस मामले में दो गुटों में बंटी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का खेमा इस मामले को भाजपा नेताओं से भी ज्यादा बढ़ चढ़कर तूल दे रहा है, ताकि रावत के कट्टर राजनीतिक विरोधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को इस मामले में घेरा जा सके। इसकी वजह है कि रावत की मर्जी के खिलाफ कांग्रेस आलाकमान ने प्रीतम सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और इंदिरा ह्रदयेश को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। जिस वक्त चावल घोटाला हुआ तब सूबे में कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रीतम सिंह ही थे।
सूत्रों के मुताबिक चावल घोटाले को उजागर करने के पीछे भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के एक अपर मुख्यसचिव का हाथ है। वे मुख्यमंत्री के खास विश्वासपात्र हैं और जिनकी निकटता कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री से जगजाहिर है। उत्तराखंड सरकार में दबदबा कायम रखने वाले इस अधिकारी की प्रीतम सिंह से नारायण दत्त तिवारी सरकार के जमाने से ठनी हुई है। आज यह अधिकारी भाजपा सरकार अपने दमखम पर चला रहे हैं। प्रीतम सिंह के मुताबिक धान खरीद में कृषि विभाग भी शामिल है। ढाई फीसद मंडी शुल्क के साथ पांच फीसद वेट वसूलने की भी व्यवस्था थी। जांच में यह तथ्य भी शामिल होने चाहिए। कांग्रेस की सरकार के वक्त हरक सिंह रावत कृषि मंत्री थे। यदि इस मामले की विस्तृत जांच होती है तो मौजूदा भाजपा सरकार में शामिल हरक सिंह रावत भी जांच के लपेटे में आएंगे। प्रीतम सिंह ने राज्य की भाजपा सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि सरकार की कोशिश उनपर काबू पाने की है तो यह जांच पूरी तरह से गलत दिशा में जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनौती दी कि वे इस मामले में नेताओं के नामों का खुलासा करें और यदि उनमें दम है तो वे उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं।
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति आनंद वर्धन ने इस मामले में राज्य के वित्त विभाग को आॅडिट कराने के निर्देश दिए हैं जिस पर राज्य के वित्त विभाग ने कार्यवाही शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में कुमाऊं मंडल के संभागीय खाद्य नियंत्रक (आरएफसी) विष्णु सिंह धानिक को भी बर्खास्त कर दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने पूर्व कांग्रेस सरकार के मुखिया हरीश रावत और पूर्व खाद्य मंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को इस मामले में सीधा-सीधा घसीटा है। उन्होंने कहा कि चावल घोटाले की जांच ने साबित कर दिया है कि असली मगरमच्छ तो पूर्ववर्ती कांगे्रस सरकार के मुखिया और उनके खाद्य मंत्री हैं। कांग्रेस ने चावल घोटाला करके गरीब के पेट पर लात मारने का काम किया है। संभागीय खाद्य नियंत्रक विष्णु सिंह धनिक को दो बार सेवा विस्तार बगैर सरकारी संरक्षण के संभव नहीं था। भट्ट ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सरकार के जमाने में कांग्रेस नेताओं के गोदामों से सरकारी राशन बरामद हुआ था। परंतु तब यह मामला दबा दिया गया था। चावल घोटाला खुलने से कांग्रेसी नेता बदहवास हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि एसआइटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद भाजपा सरकार वित्त विभाग से अब इस मामले का आॅडिट क्यों करवा रही है। भाजपा सरकार इस मामले को सियासी रंग दे रही है।