उत्तराखंड: पहाड़ में कारोबार मुश्किल में

जीएसटी को लेकर पर्वतीय राज्य उत्तराखंड आंदोलनरत है। सूबे के व्यापारी जीएसटी के खिलाफ कई प्रदर्शन कर चुके हैं। जीएसटी लागू होने के बाद डेढ़ दशक पुराने उत्तराखंड राज्य में मानो विकास थम सा गया है। बीते तीन महीनों में राज्य के उद्योगों में पूंजी निवेश में भारी गिरावट आई है और राज्य का व्यापार चौपट हो गया है। इससे राज्य में रोजगार के अवसरों में भारी कमी आई है।  चाहे व्यापारी हो या आम आदमी सभी जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार को कोसते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड में छोटे-बडे़ उद्योगों की तादाद तकरीबन साढ़े चार हजार है। इनमें से गढ़वाल मंडल में ढाई हजार तथा कुमाऊं मंडल में दो हजार उद्योग लगे हैं। जीएसटी लागू होने के बाद इन उद्योगों का बुरा हाल है। उत्तराखंड सिडकुल मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएसन के प्रांतीय अध्यक्ष हरेन्द्र गर्ग का कहना है कि जीएसटी में पंजीकरण कराने वाले व्यापारियों को कमजोर नेटवर्क के कारण बेहद असुविधा हो रही है।

छोटे व्यापारी और लघु उद्योगों को हर महीने जीएसटी रिटर्न भरने में खासी परेशानियां पेश आ रही हैं। जीएसटी लागू होने से राज्य के उद्योग जगत में नया पूंजी निवेश रुका है। उत्पादन घटा है और नौकरियों के नए अवसरों में भी विराम लगा है।  उत्तराखंड सरकार जीएसटी लागू होने से तीन महीने बेहद परेशान रही है। राज्य सरकार ने जीएसटी परिषद से हिमालयी राज्यों के लिए सालाना टर्नओवर की सीमा दस लाख से बढ़ाकर 20 लाख किए जाने की मांग की थी। जीएसटी परिषद की बैठक में छोटे राज्यों के लिए सालाना टर्नओवर दस लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने से राज्य के तीस हजार व्यापारी जीएसटी से बाहर होंगे। राज्य सरकार ने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत राज्य के उद्योगों को उत्पाद शुल्क के बदले जीएसटी वापस करने का रास्ता निकाला है।
केंद्र सरकार के फैसले के बाद आर्थिक पैकेज के बाद उत्तराखंड के सिडकुल के उद्योगों को कर में 58 फीसद की छूट मिलने के बाद करीब 7 हजार करोड़ रुपए वापस मिलेंगे।

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