बाबरी विध्वंस हुआ तो चिंगारी भी नहीं सुलगी, 3 साल पहले ‘राम’ नाम पर मरे थे 1000 लोग
गिरधारी लाल जोशी 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुई घटनाओं की वजह से अफवाहें जरूर फैली थीं मगर पिछले हादसे से सबक लेते हुए भागलपुर के लोगों ने अफवाहों को गंभीरता से नहीं लिया था और फिर से धर्मांध होने से मना कर दिया था। हालांकि, उस वक्त भागलपुर साम्प्रदायिक दंगों के घाव अभी हरे ही थे। शरारती तत्वों ने इसी का फायदा उठाने की कोशिश की थी। बिहार में कुछ जगहों पर दंगे भी हुए मगर भागलपुर ने अमन-चैन की मिसाल कायम की थी। ध्यान रहे साल 1989
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