शबरी जयंती 2018 पूजा विधि: श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है पूजन, जानें क्या है विधि

हिंदू पंचाग के अनुसार शबरी जयंती हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। ये पर्व गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भद्रचल्लम के सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर में इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस दिन लोग शबरी स्मृति यात्रा की रैली निकालते हैं। शबरी को इस दिन देवी के रुप में पूजा जाता है। रामभक्त शबरी की भक्ति की कथा रामायण, भागवत, रामचरितमानस,

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शिव नवरात्रि 2018: नौं दिनों तक होगी महाकाल की आराधना, दूल्हे के रुप में होगा शिवजी का श्रृंगार

सनातन धर्म में नवरात्रि को प्रमुख पर्व की संज्ञा दी जाती है। नवरात्रि का प्रमुख त्योहार शक्ति और शिव की उपासना के लिए किया जाता है। शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाया जाता है। वहीं शिव की उपासना के लिए वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि से नौं दिन पहले से शिव नवरात्रि शुरु होते हैं। शैव मतानुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से त्रयोदशी की तिथि तक शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का उत्सव

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मां दुर्गा के रुप ने किया था धरती पर फल और वनस्पति को उत्पन्न, जानें क्या है शांकभरी देवी की कथा

देवी भागवत पुराण के अनुसार शांकभरी देवी दुर्गा के अवतारों में से एक रुप हैं। माता दुर्गा के अवतारों में से रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी और शांकभरी प्रसिद्ध हैं। मां शाकंभरी की पौराणिक कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल बना दिया था। इस तरह करीब सौ वर्षों तक वर्षा नहीं होने के कारण से अन्न-जल के अभाव में सूखा पड़ गया था, जिससे जीव-जंतुओं को हानि होने लगी थी। दैत्य ने ब्रह्म देव के चारों वेदों को चुरा लिया था। उस समय माता

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इन गांवों की सुरक्षा शनिदेव के हवाले, गांवों में लोग अपने घरों और दुकानों पर ताला नहीं लगाते

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को ज्योतिष विद्या में न्यायधीश माना जाता है। शनि देव को मनुष्य के पाप और बुरे कर्मों को दंड देने वाला देवता माना जाता है। शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं। शनि को एक क्रूर ग्रह कहा जाता है, इनकी पत्नी का श्राप शनि की क्रूरता का कारण माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन तेल, काले तिल और काला वस्त्र चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शनिदेव यदि रुष्ट हो जाए तो राजा भी रंक

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संतान इच्छा पूर्ति के लिए किया जाता है शुद्ध घी से शिवलिंग का अभिषेक, जानें किन वस्तुओं से प्रसन्न होते हैं शिव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार को चंद्र देव का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से सिर्फ धन लाभ ही नहीं, कई शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी दूर होती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग अभिषेक और उस पर अर्पित किए जाने वाली वस्तुएं अलग महत्व रखती हैं। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन में खुशबु से भरे फूलों का महत्व माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है। ये ऐसे देव हैं

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राहु के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है शनिदेव का व्रत, जानें क्या है दोष कम करने के उपाय

हिंदू धर्म में ग्रहों को मनुष्य के जीवन में होने वाली घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन पर ग्रह अच्छा और बुरा दोनों तरह के प्रभाव डालते हैं। कुछ ग्रहों को कुंडली में दोष पैदा करने वाला माना जाता है। राहु-केतु के कारण मनुष्य को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे घर में आर्थिक समस्या, कलेश, शत्रु सभी परेशान करने लगते हैं। शास्त्रों के अनुसार राहु का पाप का राजा माना जाता है, इसके कुंडली में आने के लक्षणों को

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जानें हिमाचल के बिजली महादेव का रहस्य जहाँ 12 साल में एक बार गिरती है शिवलिंग पर बिजली

भगवान शिव के अनेकों मंदिर भारत में हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव का मंदिर एक अद्भुत मंदिर है। कुल्लू का पूरा इतिहास भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है। कुल्लू शहर में व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक पर्वत पर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि हिमाचल की पूरी कुल्लू घाटी एक विशालकाय सांप का रुप है। पौराणिक कथाओं अनुसार माना जाता है कि एक असुर सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान

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संतान प्राप्ति की रखते हैं इच्छा, फाल्गुन माह में अवश्य करें बाल गोपाल का पूजन

हिंदू पंचाग के अंतिम माह को फाल्गुन माह कहा जाता है। पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस नाम फाल्गुन माह पड़ा। हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र पहला माह होता है और फाल्गुन आखिरी माह माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 1 फरवरी से लेकर 2 मार्च तक फाल्गुन माह रहेगा। इस माह में दो महत्वपूर्ण पर्व आते हैं जो हिंदू धर्म में अपना खास महत्व रखते हैं। महाशिवरात्रि, इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और होली, इस दिन होलिका दहन किया जाता

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श्री कृष्ण को दरिद्र होने से मित्र सुदामा ने बचाया था! जानें कृष्ण के प्रिय कैसे हो गए इतने गरीब

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के मित्र सुदामा को एक दरिद्र ब्राह्मण माना जाता है। श्रीकृष्ण के परम मित्र होने के बावजूद सुदामा दरिद्र जीवन व्यापन करते रहे। कई शास्त्रों और कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि सुदामा एक भरेपूरे परिवार से थे और उन्हें धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन एक घटना के बाद उन्हें दर-दर जाकर भिक्षा मांगनी पड़ने लगी। कथा के अनुसार माना जाता है कि नंद गांव में एक गरीब ब्राह्मणी रहती थी जो भिक्षा मांग कर अपनी जीवन व्यापन करती थी, एक

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जाने सूर्य देव को क्यों चढ़ाया जाता है जल! क्या है इसकी महत्ता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को सभी ग्रहों का स्वामी कहा जाता है। हर दिन सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व माना जाता है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिन नियमित रुप से जल अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि सूर्य की आराधना से भाग्योदय होता है। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किया जाता है। इसी तरह रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित किया जाता है। यदि पूरे सप्ताह सूर्यदेव को जल अर्पित नहीं कर सकते हैं तो

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Chandra Grahan 2018: साल का पहला ग्रहण हो सकता है कष्टदायी, जानें क्या होंगे इसके प्रभाव

Chandra Grahan 2018: 31 जनवरी को माघ पूर्णिमा के अवसर पर साल का पहला चंद्रग्रहण लगने वाला है। चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी से ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है। ये स्थिति तब उत्पन्न होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चांद लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं। इस खगोलीय घटना के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन घटित होता है। इस स्थिति में सूरज की रौशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती है और चांद पैनंबरा की तरफ जाता है तो वो हमें धुंधला सा

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सूर्य के तेज से हुआ है पृथ्वी, आकाश और पाताल का निर्माण! जानें क्या है कथा

भगवान सूर्य का विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था। विवाह के बाद सूर्य देव और संज्ञा के दो पुत्र हुए जिसमें से वैवस्त और यम दो पुत्र थे और एक पुत्री यमुना का जन्म हुआ। संज्ञा को कोमल स्वभाव का माना जाता है और सूर्य देव का तेज बहुत ही प्रचंड माना जाता है। संज्ञा के लिए सूर्य देव का तेज सहन कर पाना बहुत ही कठिन था। उनके इस तेज से परेशान होकर अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा के लिए छोड़कर अपने पिता विश्वकर्मा

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गोल्डन टेम्पल के निर्माण में लगा था 300 करोड़ों का सोना, जानें क्या है तमिलनाडु के इस मंदिर की विशेषता

तमिलनाडु के शहर चैन्नई से 150 कि.मी की दूरी पर स्थित वेल्लोर नगर के 5 हजार की आबादी वाले कस्बे श्रीपुरम नाम के कस्बे में स्थित है तमिलनाडु का गोल्डन टेम्पल। अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल जैसा माता लक्ष्मी नारायणी का मंदिर बहुत ही कम समय में इतना प्रख्यात हो गया है कि देशी के साथ विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ खींच रहा है। इस मंदिर को बनाने के लिए करीब 15 हजार किलो सोने का प्रयोग किया गया है। तमिलनाडु के स्वर्ण मंदिर के निर्माण में करीब 300 करोड़

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चंद्र ग्रहण 2018: जानें किस दिन होगा चंद्रग्रहण और किस समय दिखेगा चांद

Chandra Grahan 2018 Date and Time in India: साल 2018 का पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी बुधवार को दिखाई देगा। यह ग्रहण माघ महीने की पूर्णिमा को पूरे भारत में दिखाई देगा। इस दिन चंद्रमा तीन रंगों में दिखाई देगा, ऐसा चंद्रमा 35 साल बाद दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण के दिन भगवान के दर्शन करना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन मंदिर के पट बंद रहेंगे। भारत में चंद्रग्रहण दिखाई देने से सूतक काल भी शुरू होगा। सूतक काल सुबह 08:34 मिनट पर लग जाएगा, जिसके साथ ही मंदिरों के

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चंद्र प्रदोष 2018 व्रत कथा: मनोकामना पूर्ण करने के लिए किया जाता है ये व्रत, जानें क्या है कथा

हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियों की हर मनोकामना व्रत के फल से पूरी होती हैं। इस व्रत को पूरा करने का शुभ समय प्रदोष काल में होता है। हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला प्रदोष व्रत किया जाता है। माघ माह को हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ माना जाता है, इस माह चंद्र प्रदोष होने के कारण इस व्रत का विशेष महत्व

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