महाशिवरात्रि 2018 पूजा सामग्री: जानें क्या है पूजन विधि और कैसे करें भगवान शिव का अभिषेक

Maha Shivratri 2018 Puja Samagri: शिवरात्रि के व्रत की हिंदू धर्म में महत्वता मानी जाती है। महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। अविवाहित महिलाएं सुवर के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं, वहीं पर विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगलकामना करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि आप किस वस्तु से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं तो भगवान शिव ने कहा था कि जो भक्त उनके लिए श्रद्धाभाव से व्रत करता है उनसे वो सबसे

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प्रदोष व्रत 2018 व्रत कथा: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है ये व्रत, जानें क्या है कथा

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने वाले भक्त की सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करते हैं।प्राचीन काल में एक गरीब पुजारी था, उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने पुत्र को लेकर भीख मांगते हुए पोषण करते हैं। एक दिन भटकते हुए उसकी मुलाकात विदर्भ देश के राजकुमार से हुई जो कि अपने पिता की मृत्यु के

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कुंभ संक्रांति 2018: पवित्र नदियों में स्नान के साथ है दान-पुण्य की मान्यता, जानें क्या है इस दिन का महत्व

सूर्य के मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करने पर कुंभ संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार ग्यारहवें महीने की शुरुआत माना जाता है। कुंभ संक्रांति का पर्व हिंदुओं के लिए खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सभी देवता पवित्र नदियों में आकर स्नान करते हैं। कुंभ संक्रांति के पर्व पर ही कुंभ मेला लगता है। प्रत्येक 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। अंग्रेजी तिथि के अनुसार कुंभ संक्रांति 12 फरवरी को है। हिंदू धर्म में सबसे प्रमुख मकर

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सूर्य देव को समर्पित ये मंदिर बना है रथनुमा, जानें क्या है कोणार्क मंदिर का महत्व

भारत के ओडिशा राज्य के कोणार्क में 13 वीं शताब्दी में बना कोणार्क मंदिर स्थित है। मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर पूर्वी गंगा साम्रज्य के महाराजा नरसिंहदेव ने 1250 ई. में इस सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर का आकार रथनुमा है। कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रुप में मान्यता दी है। यह मंदिर सूर्य देव अर्थात अर्क को समर्पित था। जिन्हें स्थानीय लोग बिंरचि नारायण कहते थे। इसी कारण इस क्षेत्र को उसे अर्क क्षेत्र या पद्म क्षेत्र कहा जाता था। पौराणिक

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विजया एकदाशी 2018: शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है भगवान विष्णु का व्रत, जानें क्या है महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष 24 एकादशी के व्रत किए जाते हैं। फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। अपने नाम के अनुसार इस एकादशी के दिन व्रत करने से विजय की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से सभी परिस्थितियों पर विजय करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। एक बार देवर्षि नारद ने ब्रह्मा जी से कहा हे ब्रह्मा जी, आप मुझे फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की विजया एकदशी का

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उत्तर-पूर्व दिशा में लगाया जाता है पौधा, जानें विष्णु पुराण अनुसार क्या हैं तुलसी के फायदे

प्राचीन काल से तुलसी को घर में रखा जाता है। तुलसी के बहुत महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में पवित्र और धार्मिक पौधा माना जाता है। कई धार्मिक कथाओं में तुलसी का जिक्र किया गया है। तुलसी के पौधे के बारे में ज्योतिषियों का कहना है कि तुलसी का पौधा घर में बहुत शुभ होता है। तुलसी को भगवान कृष्ण के भोग में रखना जरूरी माना जाता है। हर रोज घर में तुलसी

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पांडवों को नहीं देना चाहते थे भगवान शिव दर्शन, जानें क्या है केदारनाथ मंदिर का महत्व

उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सम्मलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने करवाया था। यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन माना जाता है। केदारनाथ धाम की पूरे संसार में महिमा मानी जाती है। मंदिर वास्तु शिल्प केदारनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार 6 फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर में मुख्य

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मासिक कालाष्टमी 2018 पूजा विधि और शुभ मुहूर्त: कालभैरव के साथ किया जाता है मां काली का पूजन, जानें क्या है विधि

हिंदू पंचाग के अनुसार माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। भगवान शिव के रौद्र रुप काल भैरव के विशेष पूजन का दिन माना जाता है। नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के लिए इस दिन श्रद्धालु व्रत करते हैं। भगवान शिव ने अष्टमी के दिन ही पापियों का विनाश करने के लिए रौद्र रुप धारण किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के दो रुप माने जाते हैं, एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव अपने भक्तों को सौम्य प्रदान करते हैं

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शबरी जयंती 2018 पूजा विधि: श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है पूजन, जानें क्या है विधि

हिंदू पंचाग के अनुसार शबरी जयंती हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। ये पर्व गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भद्रचल्लम के सीतारामचंद्र स्वामी मंदिर में इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस दिन लोग शबरी स्मृति यात्रा की रैली निकालते हैं। शबरी को इस दिन देवी के रुप में पूजा जाता है। रामभक्त शबरी की भक्ति की कथा रामायण, भागवत, रामचरितमानस,

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शिव नवरात्रि 2018: नौं दिनों तक होगी महाकाल की आराधना, दूल्हे के रुप में होगा शिवजी का श्रृंगार

सनातन धर्म में नवरात्रि को प्रमुख पर्व की संज्ञा दी जाती है। नवरात्रि का प्रमुख त्योहार शक्ति और शिव की उपासना के लिए किया जाता है। शक्ति की उपासना के लिए नवरात्रि वर्ष में चार बार मनाया जाता है। वहीं शिव की उपासना के लिए वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि से नौं दिन पहले से शिव नवरात्रि शुरु होते हैं। शैव मतानुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से त्रयोदशी की तिथि तक शिव नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का उत्सव

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मां दुर्गा के रुप ने किया था धरती पर फल और वनस्पति को उत्पन्न, जानें क्या है शांकभरी देवी की कथा

देवी भागवत पुराण के अनुसार शांकभरी देवी दुर्गा के अवतारों में से एक रुप हैं। माता दुर्गा के अवतारों में से रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी और शांकभरी प्रसिद्ध हैं। मां शाकंभरी की पौराणिक कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल बना दिया था। इस तरह करीब सौ वर्षों तक वर्षा नहीं होने के कारण से अन्न-जल के अभाव में सूखा पड़ गया था, जिससे जीव-जंतुओं को हानि होने लगी थी। दैत्य ने ब्रह्म देव के चारों वेदों को चुरा लिया था। उस समय माता

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इन गांवों की सुरक्षा शनिदेव के हवाले, गांवों में लोग अपने घरों और दुकानों पर ताला नहीं लगाते

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को ज्योतिष विद्या में न्यायधीश माना जाता है। शनि देव को मनुष्य के पाप और बुरे कर्मों को दंड देने वाला देवता माना जाता है। शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं। शनि को एक क्रूर ग्रह कहा जाता है, इनकी पत्नी का श्राप शनि की क्रूरता का कारण माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन तेल, काले तिल और काला वस्त्र चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शनिदेव यदि रुष्ट हो जाए तो राजा भी रंक

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संतान इच्छा पूर्ति के लिए किया जाता है शुद्ध घी से शिवलिंग का अभिषेक, जानें किन वस्तुओं से प्रसन्न होते हैं शिव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार को चंद्र देव का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से सिर्फ धन लाभ ही नहीं, कई शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी दूर होती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग अभिषेक और उस पर अर्पित किए जाने वाली वस्तुएं अलग महत्व रखती हैं। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन में खुशबु से भरे फूलों का महत्व माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है। ये ऐसे देव हैं

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राहु के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है शनिदेव का व्रत, जानें क्या है दोष कम करने के उपाय

हिंदू धर्म में ग्रहों को मनुष्य के जीवन में होने वाली घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन पर ग्रह अच्छा और बुरा दोनों तरह के प्रभाव डालते हैं। कुछ ग्रहों को कुंडली में दोष पैदा करने वाला माना जाता है। राहु-केतु के कारण मनुष्य को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिससे घर में आर्थिक समस्या, कलेश, शत्रु सभी परेशान करने लगते हैं। शास्त्रों के अनुसार राहु का पाप का राजा माना जाता है, इसके कुंडली में आने के लक्षणों को

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जानें हिमाचल के बिजली महादेव का रहस्य जहाँ 12 साल में एक बार गिरती है शिवलिंग पर बिजली

भगवान शिव के अनेकों मंदिर भारत में हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव का मंदिर एक अद्भुत मंदिर है। कुल्लू का पूरा इतिहास भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है। कुल्लू शहर में व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक पर्वत पर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि हिमाचल की पूरी कुल्लू घाटी एक विशालकाय सांप का रुप है। पौराणिक कथाओं अनुसार माना जाता है कि एक असुर सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान

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