चंद्र प्रदोष व्रत 2018 पूजा मुहूर्त: भगवान शिव की आराधना से मिलता है पुण्य, जानें किस समय पूजा करना रहेगा शुभ

हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों के दान जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन व्रत करने वाले श्रद्धालु के घर और परिवार पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत करने वाला आरोग्य रहता है। प्रदोष व्रत की महत्वता सप्ताह के दिनों के अनुसार मानी जाती है। गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं के विनाश के लिए किया जाता है। शुक्रवार के दिन का प्रदोष व्रत सौभाग्य और पति-पत्नी के रिश्ते को सुखी बनाने के

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जया एकादशी 2018 व्रत कथा: इस दिन व्रत करने से मिलती है पापों से मुक्ति, जानें क्या है कथा

भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर को माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व बताते हुए कथा सुनाई कि इस दिन को जया एकादशी का नाम दिया गया है। इसका व्रत करने से मनुष्य पापों से मोक्ष पाता है। इसी के साथ भूत पिशाच आदि योनियों से मुक्त हो जाता है। पद्मपुराण के अनुसार जया एकादशी की कथा में देवराज इंद्र स्वर्ग के राजा होते हैं और एक समय इंद्र अपनी इच्छा के अनुसार नंदन वन में अप्सराओं के साथ थे। गंधर्वों में प्रसिद्ध पुष्पदंत और उसकी कन्या

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गुप्त नवरात्रि 2018 पूजा विधि: महागौरी करती हैं रोगों से मुक्त, जानें किस विधि से किया जा सकता है प्रसन्न

हिंदू धर्म में माघ माह को बहुत पवित्र माना जाता है, इसके हर दिन का खास महत्व होता है। पंचाग के अनुसार माघ माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को गुप्त नवरात्रि का आठवां दिन है, इस दिन माता गौरी का पूजन किया जाएगा। महागौरी के तेज से संपूर्ण विश्व में प्रकाश फैलता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार माना जाता है कि महागौरी के अंश से कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुंभ और निशुंभ का अंत किया था। महगौरी को भगवान शिव की पत्नी शांभवी माना जाता है। पौराणिक कथा के

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नर्मदा जयंती: जानें क्या शिव से लिया गया वरदान है नर्मदा की उत्पत्ति का कारण?

हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन हर वर्ष नर्मदा जयंती महोत्सव मनाया जाता है। मां नर्मदा के जन्मस्थान अमरकंटक में ये उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जनवरी माह में मकर संक्रांति के त्योहार के बाद नर्मदा जयंती उत्सव मनाया जाता है। भारत में 7 धार्मिक नदियां हैं जिसमें से मां नर्मदा को भगवान शिव ने देवताओं के पाप धोने के लिए उत्पन्न किया था। माना जाता है कि इसके पवित्र जल में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।

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सूर्य सप्तमी 2018 पूजा विधि: सूर्योदय से पहले किया गया स्नान माना जाता है लाभकारी, जानें क्या है व्रत विधि

रथ सप्तमी का व्रत भगवान सूर्य देव को समर्पित किया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव की आराधना के लिए व्रत किया जाता है। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन व्रत, स्नान, दान, पूजन आदि सत्कर्मों से फल हजार गुना बढ़ जाता है। रविवार सूर्य का दिन होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। इस वर्ष सप्तमी का व्रत 24 जनवरी 2018, बुधवार को रखा जाएगा।

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रथ सप्तमी 2018: सूर्य के पूजन से मिलती है कष्टों से मुक्ति, जानें क्या है कथा

माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से जाना जाता है। यदि सप्तमी रविवार के दिन पड़े तो उसे भानु सप्तमी के नाम से जाना जाता है। रविवार सूर्य का दिन होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। इस वर्ष रथ सप्तमी 24 जनवरी 2018 को मनाया जा रहा है। भगवान सूर्य को ये पर्व समर्पित किया जाता है। इस दिन के लिए मान्यता है कि रथ सप्तमी

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Basant Panchami 2018: बुद्धि की देवी मां सरस्वती के पूजन के साथ करें ये उपाय, मंगल कार्य होंगे पूरे

Basant Panchami 2018: हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि यदि किसी की कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा में बाधा आ रही है तो इस दिन मां शारदा की आराधना अवश्य करनी चाहिए। सबसे

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Happy Basant Panchami 2018: जानिए बसंत पंचमी का इतिहास और महत्व

Happy Basant Panchami 2018: 22 जनवरी 2018 को देशभर में बसंत पचमी का त्योहार पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है। भारत में ज्ञान पचंमी का त्योहारी काफी साल से मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। पूरे साल को 6 ऋतूओं में बांटा गया है, इनमें वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु,

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Basant Panchami 2018: जानें बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है सरस्वती माता की पूजा

Basant Panchami 2018, Saraswati Puja: इस वर्ष देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार 22 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के हिसाब से माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती पृथ्वी पर प्रगट हुई थीं। माता सरस्वती ने पृथ्वी पर उदासी को खत्म कर सभी जीव-जंतुओं को वाणी दी थी। इसलिए माता सरस्वती को ज्ञान-विज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी भी माना जाता है। उन्हीं के जन्म पर वसंत पचंमी का त्योहार

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यहाँ मूर्ति के सिर और गले से हमेशा रक्त की धारा बहती है, जानें क्या है खास इस शक्तिपीठ में

मां दुर्गा की साधना के लिए वर्ष 2018 में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 18 जनवरी से शुरु हो चुकी है। देवी भागवत के पुराण के अनुसार वर्ष में 4 बार नवरात्रि आते हैं जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होते हैं, इस दौरान अन्य नवरात्रि से अलग पूजा के विधान होते हैं। इसी कारण से इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि में भी 9 दिनों तक दुर्गा माता की उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय मां

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गुप्त नवरात्रि 2018: आज से शुरु हो रहे हैं मां दुर्गा की आराधना के पवित्र नौ दिन, जानें क्या है महत्व

मां दुर्गा की साधना के लिए वर्ष 2018 में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 18 जनवरी से शुरु हो चुकी है। देवी भागवत के पुराण के अनुसार वर्ष में 4 बार नवरात्रि आते हैं जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होते हैं, इस दौरान अन्य नवरात्रि से अलग पूजा के विधान होते हैं। इसी कारण से इन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि में भी 9 दिनों तक दुर्गा माता की उपासना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय मां

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जानें शिवपुराण के अनुसार शिवजी ने माता पार्वती को मृत्यु के संकेत का क्या राज बताया था

धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को महाकाल कहा गया हा। महाकाल का अर्थ है काल यानी जिसेके अधीन मृत्यु भी हो। भगवान शिव को जन्म-मृत्यु के मुक्त माना जाता है। सभी धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को अनादि व अजन्मा माना गया है। भगवान शंकर के बारे में अधिकतर ग्रंथों में पाया जाता है लेकिन शिवपुराण को उनके लिए सबसे अधिक प्रचलित माना जाता है। इस ग्रंथ में शिव जी ने कई ऐसी बातों का उल्लेख किया है जो संसार के लिए अभी भी रहस्यमयी बनी हुई। शिवपुराण में

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मकर संक्रांति 2018 व्रत कथा: देव होते हैं इस दिन धरती पर अवतरित, जानें क्या है पौराणिक कथा

Makar Sankranti 2018 Vrat Katha: नए साल शुरु की शुरुआत के साथ त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। साल के पहले महीने में लोहड़ी और मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाता है। आज 14 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति मनाई जा रही है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार माना जाता है कि मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना का व्रत माना जाता है। इस पावन दिन के लिए हमारे समाज में अन्य कथाएं प्रचलित हैं जिनके अनुसार इसे ज्ञान की उत्पत्ति का

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मकर संक्रांति 2018 स्नान शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: जानें पवित्र नदियों में संक्रांति के स्नान का क्या है शुभ समय

Makar Sankranti 2018 Snan Shubh Muhurat, Time, Puja Vidhi: देश में आज मकर संक्रांति का पर्व सेलिब्रेट किया जा रहा है। मकर संक्रांति हिंदुओं का प्रमुख पर्व माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह में जब सूर्य मकर राशि में आता है तब ये पर्व मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार ये पर्व जनवरी के चौदहवें या पंद्रहवें दिन आता है, इसी समय सूर्य धनु रशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारंभ होती है।

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देशभर में आज मनाया जा रहा है मकर संक्रांति का पर्व . जाने क्यों आज मनाया जाता है मकर संक्रांति

देशभर में आज संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यह पर्व चंद्र पंचांग यानी चंद्रमा की गति और उसकी कलाओं पर आधारित है। इस पंचांग में तिथि बढ़ती और कम होती रहती है, इसी कारण से अंग्रेजी कैलेण्डर की तिथियों से मेल नहीं खाती है। यहां मकर संक्रांति हमेशा एक अपवाद रहती है और हर वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर्व का निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है, इसी कारण

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