मध्य प्रदेश: इस गुफा को बताया जाता है भीम का निवास स्थान, यूनेस्को द्वारा मिली विश्व विरासत की मान्यता

भारत हमेशा से अपनी संस्कृति और रहस्यों को लेकर चर्चित रहने वाला देश है। इसी तरह हम आज भारत की एक रहस्यमयी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका संबंध महाभारत के काल से रहा है। भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के रायसेन जिले में ये गुफाएं स्थित हैं। गुफा के चारो तरफ विंध्य पर्वतमालाएं हैं, इनका संबंध नव-पाषाण काल से है। मध्य भारत के पाठार के दक्षिणी किनारे स्थित विध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर स्थित भीमबेटका गुफाएं महाभारत काल में निर्मित हुई थी, इस प्रकार की मान्यता है। इन गुफाओं के दक्षिण से सतपुड़ा की पहाड़ियां शुरु हो जाती हैं। भीमबेटका गुफाओं में बनी चित्रकारियां यहां रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती हैं।

इन गुफाओं को भीम का निवास स्थान भी माना जाता है। हिंदू ग्रंथ महाभारत के अनुसार भीम पांच पांडवों में से द्वितीय थे। भीम के निवास स्थान के कारण ही इनका नाम भीमबैठका पड़ा। भीमबेटका गुफ़ाओं में प्राकृतिक लाल और सफ़ेद रंगों से वन्यप्राणियों के शिकार दृश्यों के अलावा घोड़े, हाथी, बाघ आदि के चित्र उकेरे गए हैं। इन चित्र में से यह दर्शाए गए चित्र मुख्‍यत है; नृत्‍य, संगीत बजाने, शिकार करने, घोड़ों और हाथियों की सवारी, शरीर पर आभूषणों को सजाने और शहद जमा करने के बारे में हैं। घरेलू दृश्‍यों में भी एक आकस्मिक विषय वस्‍तु बनती है।

टीक और साक के पेड़ों से घिरी भीमबेटका गुफाओं को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत के रुप में मान्यता दी गई है। मध्य प्रदेश के भीमबेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया गया है। इस गुफा को भारत के मानव जीवन का प्राचीनतम चिन्ह माना गया है। ये गुफा आदि-मानवों द्वारा बनाए गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है।

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