CBI विवाद : आज देशभर में सरकार को घेरने उतरेगी कांग्रेस, राहुल भी करेंगे प्रदर्शन

नई दिल्ली: छुट्टी पर भेजे गए केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) निदेशक आलोक वर्मा को बहाल करने की मांग को लेकर कांग्रेस आज (26 अक्‍टूबर) को देशभर में सीबीआई दफ्तरों के बाहर धरना-प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि वह दिल्‍ली में स्थित सीबीआई मुख्यालय के बाहर सुबह 11 बजे पार्टी के प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे. वहीं आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई भी करेगा.

वहीं कांग्रेस की ओर से सरकार के खिलाफ किए जा रहे इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस ने भी शामिल होने का ऐलान कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस के नेता दिल्‍ली में सीबीआई मुख्‍यालय पर राहुल गांधी के साथ धरना-प्रदर्शन करेंगे.

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा ‘शुक्रवार को देशभर में सीबीआई के कार्यालयों के बाहर कांग्रेस पार्टी सीबीआई प्रमुख को हटाकर राफेल घोटाले में जांच को रोकने के प्रधानमंत्री के शर्मनाक प्रयास का विरोध करेगी. मैं सुबह 11 बजे दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन का नेतृत्व करूंगा.’

कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी सीबीआई निदेशक वर्मा के खिलाफ आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पूरे प्रकरण पर देश से माफी मांगने की मांग करेगी. कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने सभी कांग्रेस महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों और विधायक दल के नेताओं को पत्र लिखकर उनसे कहा है कि देशभर में सीबीआई कार्यालयों के बाहर बीजेपी सरकार के खिलाफ धरना दिया जाए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सीबीआई मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शामिल होंगे, वहीं राज्य स्तर के नेता अपने अपने क्षेत्रों में धरने की अगुवाई करेंगे.

गहलोत ने अपने पत्र में कहा,‘मोदी-शाह द्वय द्वारा सीबीआई निदेशक को अवैध, असंवैधानिक और गैरकानूनी तरीके से हटाने से भारत और उसकी प्रमुख जांच एजेंसी शर्मसार हुई हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ‘राफेल-ओ-फोबिया’ के शिकार हैं और राफेल घोटाले के इस डर से सीबीआई को ध्वस्त कर दिया गया. कांग्रेस ने बुधवार को सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने को एजेंसी की स्वतंत्रता खत्म करने की अंतिम कवायद बताया.

केन्द्र सरकार ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए इसे ‘अपरिहार्य’ बताया. सरकार ने दलील दी है कि सीबीआई के संस्थागत स्वरूप को बरकरार रखने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों को हटाने का सरकार का फैसला केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों पर आधारित है.

विवाद के केन्द्र में आए वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंगलवार देर रात आदेश जारी कर अवकाश पर भेज दिया था. प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली नियुक्ति समिति ने मंगलवार की रात में आदेश जारी कर एजेंसी के निदेशक का प्रभार संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सौंप दिया.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार को आश्चर्य जताते हुए सवाल किया था कि क्या वर्मा को राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने की उत्सुकता की वजह से ‘हटाया’ गया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में जवाब भी मांगा.

सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा था, ‘वर्मा को हटाकर मोदी सरकार ने सीबीआई की आजादी में ‘‘आखिरी कील’’ ठोक दी है. सुनियोजित तरीके से सीबीआई को खत्म करने और उसे बदनाम करने की कोशिश पूरी हो गई. प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई की ईमानदारी, विश्वसनीयता खत्म हो जाए.’

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