आज देश माना रहा प्रसिद्ध क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी चंद्र शेखर आजाद का 112वां जन्‍मदिन

चंद्र शेखर आजाद प्रसिद्ध क्रांतिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। आज देश आजाद का 112वां जन्‍मदिन मना रहा है। चंद्र शेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के गांव भाबरा में हुआ था। चंद्र शेखर आजाद का असली नाम चंद्र शेखर तिवारी था। उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी जबकि उनकी मां का नाम जगरानी देवी तिवारी था। जगरानी देवी, सीताराम तिवारी की तीसरी पत्नी थीं। उनकी पहली दो पत्नियों का निधन कम उम्र में ही हो गया था।

चंद्र शेखर आजाद मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गांव बदरका के रहने वाले थे। लेकिन पहले बेटे सुखदेव तिवारी के जन्म के बाद उनके​ पिता मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में जाकर बस गए थे। चंद्र शेखर की माता चाहती थीं कि उनका लाडला पढ़-लिखकर संस्कृत का प्रकांड विद्वान बने। इसीलिए वह चंद्रशेखर के पिता से कहती थीं कि उन्हें पढ़ने के लिए काशी विद्यापीठ भिजवा दें।

साल 1921 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया था। आजाद ने इस क्रांतिकारी आंदोलन में बढ़—चढ़कर हिस्सा लिया था। इस आंदोलन के वक्त आजाद की उम्र सिर्फ 15 साल की थी। उन्हें अंग्रेजों की पुलिस ने क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया था। जब उनसे अंग्रेज जज ने पूछा, तुम्हारा नाम क्या है? उन्होंने कहा, आजाद। पिता का नाम, स्वाधीनता। घर का पता, जेलखाना। हैरान जज ने पूछा, तुम्हारी उम्र क्या है? उन्होंने कहा, 15 साल। इसके बाद जज ने उन्हें 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई थी। उसी दिन से दुनिया उन्हें आजाद के नाम से पहचानने लगी।

चंद्र शेखर आजाद भगत सिंह सहित कई क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत थे। आजाद साल 1925 में लखनऊ के पास स्थित काकोरी स्टेशन के पास ट्रेन में डकैती डालकर अंग्रेजों का खजाना लूट लिया था। उन्होंने साल 1926 में वायसराय की ट्रेन को धमाके से उड़ाने की कोशिश भी की थी। आजाद, 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस के अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या में शामिल थे।

आजाद ने कसम खाई थी कि कभी भी जीवित अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे। वह हमेशा अपनी कोल्ट पिस्टल को अपने पास रखा करते ​थे। इस पिस्टल को उन्होंने ‘बमतुल बुखारा’ का नाम दिया था। 27 फरवरी 1931 को आजाद की इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी। उन्होंने अपनी कोल्ट पिस्टल में बची हुई आखिरी गोली खुद को मारकर वीरगति पाई थी। चंद्र शेखर आजाद की पिस्टल आज भी यूपी के इलाहाबाद के संग्रहालय में रखी हुई है। देश पर जान लुटा देने वाले ऐसे वीर शहीद को जनसत्ता.कॉम शत-शत प्रणाम करता है।

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