जानिए पेरू का ये छोटा सा किसान क्यों लड़ रहा है बिजली कंपनी से कानूनी लड़ाई?

महेश झा, डॉयचे वेले, बॉन

जर्मनी में जहां बॉन में जलवायु सम्मेलन में मंत्रियों के उच्चस्तरीय बैठक की तैयारी हो रही है, डेढ़ सौ किलोमीटर दूर हाम शहर के हाईकोर्ट ने जर्मन ऊर्जा कंपनी RWE के खिलाफ पेरू के एक किसान के हर्जाने के मुकदमे की सुनवाई का फैसला किया है. किसान साउल लुसियानो ने अपने घर पर बाढ़ के खतरे के लिए बिजली कंपनी को दोषी ठहराया है. उन्हें मुकदमा लड़ने के लिए जर्मन पर्यावरण संस्था जर्मनवॉच मदद दे रही है.

हाम हाईकोर्ट जर्मन बिजली कंपनी RWE के खिलाफ पेरू के एक छोटे किसान के मुकदमे को उचित मानता है. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने सोमवार को कहा कि बिजली कंपनी की गतिविधियों और ग्लेशियर के गलने के बीच संबंध संभव है. अदालत ने जर्मन बिजली कंपनी RWE को पेरू के किसान साउल लुसियानो के साथ समझौता करने का प्रस्ताव दिया था जिसे बिजली कंपनी ने ठुकरा दिया. बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई होगी. साउल लुसियानो पेरू की राजधानी लीमा से 450 किलोमीटर दूर हुआरास गांव में रहते हैं और वहां के एक मकान की मिल्कियत में उनकी हिस्सेदारी है. इस गांव पर बाढ़ में डूबने का खतरा है. लुसियानो की दलील है कि जर्मन ऊर्जा कंपनी RWE अपने बिजलीघरों से होने वाले कार्बन डायऑक्साइड का बड़े पैमाने पर उत्सर्जन करने के कारण जलवायु परिवर्तन के लिए सहजिम्मेदार है. इसलिए लुसियानो अपने घर की सुरक्षा पर होने वाला खर्च RWE से मांग रहे हैं.

मुकदमे के लिए जर्मनी आये लुसियानो जब अपना परिचय देते हैं तो वे अपने पहाड़ों की बात करते हैं, अपने एंडीज की बात करते हैं, जहां वे पहाड़ों और उसके ऊपर जमी बर्फ को देखते हुए बड़े हुए हैं. लेकिन पिछले सालों में बर्फ लगातार सिकुड़ता जा रही है. दक्षिण अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से गल रहे हैं. इसका एक नतीजा ये हुआ है कि एंडीज के इलाके में हुआरास गांव में स्थित झील का जलस्तर सालों से लगातार बढ़ रहा है. लुसियानो को डर है कि बढ़ते पानी की वजह से उसका घर ढह जायेगा. एसेन शहर की निचली अदालत ने उनका पहला मुकदमा दिसंबर 2016 में खारिज कर दिया था, जहां RWE का मुख्यालय है. बिजली कंपनी की दलील थी कि एक कंपनी को अलग से वैश्विक घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, नहीं तो सभी सभी के खिलाफ मुकदमा करने लगेंगे. इसके बाद लुसियानो ने हाईकोर्ट में अपील की.

जलवायु परिवर्तन का नुकसान बहुत से लोगों को हो रहा है. एंडीज में ग्लेशियर के गलने से छोटे छोटे झील से बन जाते हैं जो इलाके के गांवों के लिए खतरा तो होते ही हैं, भूकंप की भी वजह बन सकते हैं. ट्रॉपिकल इलाकों में ग्लेशियर पानी को जमा रखने का भी काम करते हैं और पेरू, बोलिविया तथा इक्वाडोर में जलापूर्ति में उनकी अहम भूमिका है. कोलंबिया में डेढ़ सौ साल पहले करीब 15 ग्लेशियर हुआ करते थे, लेकिन अब सिर्फ 6 पहाड़ बर्फ से ढके हैं. कोलंबिया की हाइड्रोलॉजी इंस्टीट्यूट (Ideam) की मानें तो यदि ग्लेशियरों के पिघलने की मौजूदा दर जारी रही तो तीन दशक में कोलंबिया के सारे ग्लेशियर गायब हो जायेंगे.

तीन साल पहले लुसियानो ने अपनी मांगों के लेकर अंतरराष्ट्रीय तौर पर सक्रिय पर्यावरण संगठनों से संपर्क किया और उन्हें जर्मनी की संस्था जर्मन वॉच से सहयोग मिला जो सालों से पर्यावरण संबंधित मुकदमों पर काम कर रही है. लुसियानो के मुकदमे का आधार जर्मन कानून की वह धारा है जिसमें लिखा है, “यदि जायदाद को नुकसान पहुंचता है तो मालिक नुकसान पहुंचाने वाले से नुकसान को हटाने की मांग कर सकता है.”

मुकदमा महंगा है. मुकदमे के लिए लुसियानो के जर्मनी आने का खर्च जर्मन वॉच ने उठाया है. फाउंडेशन फॉर सस्टेनिबिलिटी मुकदमे का खर्च उठा रही है. लुसियानो अपने लक्ष्य के लिए पूरे समर्पित लगते हैं और पर्यावरण संस्था को भी मुकदमे से सांकेतिक संदेश जाने की उम्मीद है. जर्मन वॉच की जूलिया ग्रिम कहती हैं, “इस बात के बीच संबंध है कि हम यहां जर्मनी में किस तरह बिजली बनाते हैं और पेरू के एंडीज में जलवायु परिवर्तन का क्या असर हो रहा है. ” पर्यावरण संस्था का मकसद ये है कि समस्या के राजनैतिक समाधान के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त दबाव बने.

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