गोल्डन टेंपल: हजारों श्रद्धालु हर दिन यहां टेकते हैं माथा, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल

स्वर्ण मंदिर को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा सबसे अधिक पर्यटक आने वाले धर्मस्थलों की सूची में शामिल किया है। सिख धर्म के इतिहास के अनुसार माना जाता है कि इसकी स्थापना की नींव एक मुस्लिम पीर ने रखी थी। सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव ने 1588 में लाहौर के सूफी संत से हरमंदर साहिब की नींव रखवाई थी। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब या दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। ये सिख धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है, यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं और माथा टेक मन्नत मांगते हैं। अमृतसर शहर के बीच में सरोवर के बीच स्वर्ण मंदिर स्थित है। माना जाता है कि अमृतसर शहर का नाम इसी सरोवर के नाम पर पड़ा, जिसका निर्माण गुरु राम दास ने स्वयं अपने हाथों से किया था। स्वर्ण मंदिर धर्मों के बीच की एकता की अद्भुत मिसाल माना जाता है। गुरुद्वारा होने के बावजूद इसे स्वर्ण मंदिर और हरमंदर साहिब के नाम से जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर का प्रमुख आकर्षण यहां का मुख्य गुरुद्वारा है जिस पर सोने का पतरा चढ़ा हुआ है, इसी कारण इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।

स्वर्ण मंदिर की शिल्पकारी ने एक अनूठी मिसाल की स्थापना की है, जिस समय स्वर्ण मंदिर का निर्माण हुआ तब समाज जातिवाद की व्यवस्था से बुरी तरह ग्रसित था। इस गुरुद्वारे में चार दरवाजे हैं जो प्रत्येक दिशा से संबंध रखते हैं, उस समय कई जाति के लोगों को मंदिर में आने की अनुमति नहीं होती थी लेकिन इस मंदिर में सभी जातियों के लिए दरवाजे खुले हुए थे। स्वर्ण मंदिर को बनाने के लिए गांव के एक जमींदार ने अपनी जमीन दान की थी। मंदिर को पहले पत्थर और ईंटो से बनाया गया था। बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया। मंदिर के निर्माण के करीब 2 शताब्दी के बाद यहां की दीवारों पर सोना चढ़वाया था।बताया जाता है कि इस मंदिर में रोज करीब एक लाख से ज्यादा लोग फ्री खाना खाते हैं। रोज यहां 12000 किलो आटा, 1500 किलो चावल, 13000 किलो दाल, 2000 किलो दाल खर्च होती है।

गुरु नानक जी ने लंगर लगाने का फैसला करीब 500 वर्ष पहले किया था। लंगर में खाना खिलाने वाले 90 फीसदी लोग सेवादार होते हैं, जो बिना कोई पैसा लिए काम करते हैं। स्वर्ण मंदिर की रसोई में रोटी बनाने की मशीन है, जो एक घंटे में 25 हजार रोटियां बना सकती है। यहां सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। खाने की प्लेट का पांच बार धोया जाता है।औसतन यहां 70 हजार लोग खाना खाते हैं, लेकिन त्यौहारों में ये आकंडा लगभग एक लाख हो जाता है। मंदिर के दर्शन करने वाले लोगों में 30 से 35 फीसदी लोग ही ईंसाई धर्म के होते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर पर एक राजा ने हमला भी किया था। बताया जाता है कि अहमद शाह अब्दाली के सेनापति ने स्वर्ण मंदिर पर हमला किया, जिसके बाद सिख सेना ने सेनापति की सेना को खत्म कर दिया।

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