कृष्ण की नगरी गोवर्धन में विदेशी महिला ने खोली गोशाला

अपनी अंगुली पर विशाल पर्वत को उठाकर इन्द्र देव के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा करने वाले योगीराज कृष्ण की नगरी गोवर्धन में एक विदेशी महिला ने अपना जीवन बेसहारा और बीमार गायों की सेवा में बिताने का फैसला लिया है। इस विदेशी महिला के पास गोवर्धन के पास राधाकुंड में अपनी गोशाला है जिसमें 60-65 गायें हमेशा रहती हैं। यह महिला जर्मनी की है और सन 1978 से गोवर्धन में निवास कर रही है। जानकारी के मुताबिक जर्मन मइया के नाम से पुकारी जाने वालीं महिला फेडेराइक इरिना ब्रुनिंग 1978 में भारत घूमने के लिए आई थीं। इरिना ब्रुनिंग का कहना है कि वे मथुरा में अपने गुरु की खोज में इधर-उधर भटकती रहीं। तभी उन्होंने एक गाय खरीद ली।

गाय की देखभाल करते हुए धीरे धीरे इरिना का गाय प्रेम इतना गहरा हो गया कि उन्होंने गाय से संबधित किताबें पढ़ना और हिंदी बोलना शुरू कर दिया। इरिना को ब्रज भूमि रास आने लगी। धीरे-धीरे इरिना की गायों के प्रति ममता इतनी गहरी हो गई कि उन्होंने बूढ़ी , घायल तथा लावरिस गायों को ही पालने का संकल्प ले लिया। आज गोवर्धन के राधा कुंड में इरिना का ‘सुरभि गोह्ण सेवा निकेतन’ है। इरिना ‘सुदेवी माताजी’ के नाम से भी जानी जाती हैं। इरिना के पिता कई बार गोवर्धन आकर अपनी लाड़ली पुत्री को अपने देश चलने की मिन्नतें कर चुके हैं लेकिन उन्होंने ब्रज प्रेम ने अपने देश-दुनिया के सभी नाते रिश्ते परे रख दिए हैं।

सुरभि निकेतन में मौजूद गोशाला में बीमार, अंधी या बुरी तरह से जख्मी हुई गायों की सेवा के लिए अनेक लोग काम करते हैं जिनका खर्च इरिना खुद उठाती हैं। गोशाला पर हर महीने होने वाले खर्चे की रकम वे बर्लिन में उनकी जमीन से आने वाले किराए से उठाती हैं। इरिना भारत की नागरिकता चाहती हैं। उनके वीजा की अवधि भी समाप्त हो गई है। जर्मन मइया ने सांसद हेमा मालिनी से अपना वीजा बढ़वाए जाने की सिफारिश करने की मांग की है। गोवर्धन में ‘बाबूलाल महाविद्यालय’ के शिक्षक भारत उपाध्याय का कहना है कि इरिना को स्थानीय लोग स्नेह और सम्मान से देखते हैं, इसलिए हमारी सरकार उनको नागरिक बना दे लोगों को खुशी होगी।

अशोक बंसल

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