दिल्ली के बाद अब गोवा के आर्कबिशप ने भी केंद्र सरकार के मानवाधिकार नीति पर उठाए सबाल

दिल्ली के आर्कबिशप के पत्र लिखने के दो हफ्ते बाद गोवा के आर्कबिशप ने भी अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गोवा के आर्कबिशप फिलिप नेरी फेराओ ने देश में संविधान को खतरे में बताते हुए कहा कि विकास के नाम पर मानवाधिकार कुचला जा रहा।उन्होंने कैथोलिक्स से राजनीति में सक्रियता निभाने की भी अपील की।यह बातें गोवा के आर्कबिशप ने पादरियो के लिए लिखे जाने वाले अपने सालाना पत्र में कही है। उन्होंने पत्र में कहा है कि 2019 का चुनाव नजदीक होने पर समुदाय को मानवाधिकार और संविधान की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए।

उन्होंने पत्र में लिखा-आज संविधान खतरे में है, यही वजह है कि लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।चुनाव लगातार नजदीक आ रहा है, ऐसे में हमें संविधान और मानवाधिकार की रक्षा के लिए सख्त कार्य करने की जरूरत है।गोवा के आर्कबिशप का यह सालाना पत्र रविवार(चार मई) को जारी किया गया।बता दें कि गोवा में करीब 26 प्रतिशत कैथोलिक्स रहते हैं।जाहिर सी बात है कि गोवा में इतनी तादाद में मौजूद कैथोलिक्स काफी असरदार हैं।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इन दिनों देश में एक खास प्रकार की संस्कृति को उभारा जा रहा है।उन्होंने कहा-हाल में देश में एक नया ट्रेंड जन्म ले रहा, जो कौन क्या खाएगा, पहनेगा, कैसे पूजा करेगा और रहन-सहन तय करने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर अल्पसंख्यकों को उनकी जमीनों से वंचित किया जा रहा है।विकास का सबसे पहला पीड़ित गरीब होता है। बता दें कि इससे पहले इसी तरह कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया(सीबीसीआई) के प्रमुख कार्डिनल ओवसाल ग्रेसियस ने भी देश के हालात को चिंताजनक करार दिया था।वहीं दिल्ली के आर्कबिशप ने 2019 के चुनाव के मद्देनजर देश के लिए दुआ करने की अपील की थी। उनके पत्र पर हंगामा खड़ा हुआ था, जिस पर सफाई दी थी कि उन्होंने पत्र में किसी का नाम नहीं लिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *