साक्षात्कार- तनाव कम करती है हास्य कविता: अरुण जैमिनी

हास्य कवि अरुण जैमिनी वे हस्ताक्षर हैं, जिनके मंच पर मौजूद रहने मात्र से कवि सम्मेलन के आयोजकों को लगता है कि कार्यक्रम निश्चित ही सफल होगा। मूल रूप से हरियाणा के निवासी कवि अरुण जैमिनी का मानना हैं कि हास्य कविताएं तनाव कम करती हैं। राजस्थान ब्राह्मण संघ के मुख्य पत्र आर्ष भारती की ओर से दिया जाने वाला पंडित झाबरमल्ल शर्मा साहित्य सम्मान लेने कोलकाता पहुंचे जैमिनी से जनसत्ता ने बातचीत की। जैमिनी ने कहा अब हास्य कविताओं का लेखन कुछ कम हो गया है, जिसकी वजह पाठकों की कमी है। लोग कवि सम्मेलनों में तो आकर कविता सुन लेते हैं, लेकिन पत्र-पत्रिकाएं खरीद कर पढ़ने में दिलचस्पी नहीं लेते। अरुण ने बताया कि उन्होंने गंभीर कविताएं भी लिखी हैं, लेकिन उनका पाठ मंचों पर कम किया है। उन्होंने कहा कि हर विषय हास्य रस का नहीं होता। उनका मानना है कि हास्य कवि गंभीर लिख सकता है, लेकिन गंभीर कवि हास्य नहीं लिख सकता।

उन्होंने बताया कि वे अपने आसपास की घटनाओं को ही अपनी कविता का विषय बनाते हैं। हास्य विसंगतियों से ही निकलता है और वही उनकी कविताओं का केंद्र बिंदु होता है। अरुण ने पहला काव्यपाठ बाल कवि के रूप में 1971 में किया। सही रूप में मंचों पर कविता पाठ की यात्रा 1980 से शुरू हुई। जैमिनी ने बताया कि वे अपनी कविताओं से यही संदेश देते हैं कि हंसो-हंसाओ। मुस्कुराओ और सभी तनाव को दूर भगाओ। उन्होंने कहा कि पुरस्कार पाना अच्छा लगता है, लेकिन एक कवि को तो रोज ही पुरस्कार मिलता है। जब श्रोता तालियां बजाते हैं, हंसते हैं। इससे बड़ा पुरस्कार एक कवि के लिए और क्या हो सकता है?

 अरुण ने कहा कि जहां तक कविता कम और चुटकुले ज्यादा सुनाने की बात है, उनकी कोशिश होती है कि चुटकुले में भी ऐसी कोई बात ले आऊं जो कचोटे। मैं चुटकुले को छोटा नहीं मानता। चुटकुला दो लाइन में बहुत बड़ी बात कहने की क्षमता रखता है। कई बार तो वो कविता पर भी भारी पड़ता है। कविता की तुलना में चुटकुले के जरिए श्रोताओं से जल्दी जुड़ा जा सकता है। मैं चुटकुले के साथ श्रोताओं से जुड़ता हूं, फिर कविता सुनाता हूं। इससे उन्हें भी आनंद आता है और मुझे भी।

 

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