करवा चौथ 2017 पूजा और व्रत विधि: जानें किस पूजा विधि को अपनाकर किया जा सकता है करवा माता को प्रसन्न

करवा चौथ का व्रत केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही करने का अधिकार है, इसलिए जिनके पति जीवित हाेते हैं, केवल वे स्त्रियां ही ये व्रत करती हैं। हिंदू धर्म में करवा चौथ नारी के जीवन का सबसे अहम दिन होता है जिसे भारतीय सुहागिन स्त्रियाँ एक पर्व के रूप में मनाती हैं व पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर व चंद्रमा की पूजा-अर्चना करती हैं, तथा भगवान चंद्रमा से अपने पति की लम्‍बी अायु का वरदान मांगती हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत सुबह ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होकर रात्रि में चंद्रमा-दर्शन के साथ संपूर्ण होता है। भारतीय स्त्रियों के लिए करवा चौथ का ये व्रत उनके पति के प्रति आस्था, प्यार, सम्मान व समर्पण को प्रदर्शित करता है। करवा चौथ के दिन महिलाऐं अपने पति की लम्‍बी उम्र की कामना के साथ दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं, करवा चौथ से सम्‍बंधित कथा-कहानियाँ सुनती-सुनाती हैं तथा रात्रि में चंद्र उदय होने पर उसकी पूजा-अर्चना कर पति के हाथों से पानी का घूंट पीकर अपना उपवास पूर्ण करती हैं।

करवाचौथ व्रत विधि-
चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ ही महिलाएं शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की आराधना भी करें। महिलाएं खास ध्यान रखें कि चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास को दी जाती है। व्रत के दिन सुबह सुबह के अलावा शाम को भी महिलाएं स्नान करें। इसके पश्चात सुहागिनें यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’ विवाहित स्त्री पूरे दिन निर्जला (बिना पानी के) रहें। दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा बनाएं, इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है। आठ पूरियों की अठावरी बनाएं, हलवा बनाएं, पक्के पकवान बनाएं। पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं। गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं।

गौरी को बैठाने के बाद उस पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाए इसके बाद माता का भी सोलह श्रृंगार करें। वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं। गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। सुहागनें भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और करवे में पानी भरकर पूजा करें। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती है और पूजन के बाद कथा पाठ सुनती या पढ़ती हैं। इसके बाद चंद्र दर्शन करने के बाद ही पानी पीकर व्रत खोलती हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *