उत्तरप्रदेश के शिवपातालेश्वर मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है झाडू, शिव करते हैं त्वचा रोग दूर

शिव को देवों के देव कहते हैं। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। भगवान शिव पर बेलपत्र और धतूरे का चढ़ावा तो आपने सुना होगा, लेकिन उत्तरप्रदेश के एक शिव मंदिर में भक्त उनकी आराधना झाडू चढ़ाकर करते हैं। हालांकि ऐसी प्रथा अविश्वसनीय प्रतीत होती है पर मुरादाबाद जिले के बीहाजोई गांव के प्राचीन शिवपातालेश्वर मंदिर (शिव का मंदिर) में श्रद्धालु अपने त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा पाने और मनोकामना पूर्ण करने के लिए झाडू चढ़ाते हैं। मान्यता है कि हर मनोकामना पूर्ण होती है भोलेनाथ के आशीर्वाद से। किसी भी अन्य चमत्कारी मंदिर की तरह यहां भी सिर्फ आसपास से ही नहीं बल्कि दूर- दूर से लोग झाडू लेकर आते हैं। लोगों की प्रार्थना भोलेनाथ अवश्य पूरी करते हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्त सिर्फ मुरादाबाद जिले से ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों और दूसरे प्रांतों से भी आते हैं

यह मंदिर करीब 150 वर्ष पुराना है। इसमें झाडू चढ़ाने की रस्म प्राचीन काल से ही है। इस शिव मंदिर में कोई मूर्ति नहीं बल्कि एक शिवलिंग है, जिस पर श्रद्धालु झाडू अर्पित करते हैं। यह सुन कर हर किसी को हैरानी होती है किंतु भोलेनाथ का आशीर्वाद बगैर झाडू प्राप्त नहीं होता है। सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। धारणा है कि इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियों से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। सावन के सोमवारों को ये चमत्कार और बढ़ जाता है। इस धारणा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है।

मंदिर में झाडू चढ़ाने की कहानी-
एक कथा है कि इस गांव में भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था, जो गांव का सबसे धनी व्यक्ति था। वह त्वचा रोग से ग्रसित था। उसके शरीर पर काले धब्बे पड़ गए थे, जिनसे उसे पीड़ा होती थी। एक दिन वह निकट के गांव के एक वैद्य से उपचार कराने जा रहा था कि रास्ते में उसे जोर की प्यास लगी। तभी उसे एक आश्रम दिखाई पड़ा। जैसे ही भिखारीदास पानी पीने के लिए आश्रम के अंदर गया वैसे ही दुर्घटनावश आश्रम की सफाई कर रहे महंत के झाडू से उसके शरीर का स्पर्श हो गया। झाडू के स्पर्श होने के क्षण भर के अंदर ही भिखारीदास का दर्द ठीक हो गया। जब भिखारीदास ने महंत से चमत्कार के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह भगवान शिव का प्रबल भक्त है। यह चमत्कार उन्हीं की वजह से हुआ है। भिखारीदास ने महंत से कहा कि वह उसे ठीक करने के बदले में सोने की अशर्फियों से भरी थैली ले लें। महंत ने अशर्फी लेने से इंकार करते हुए कहा कि वास्तव में अगर वह कुछ लौटाना चाहते हैं तो आश्रम के स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दें। कुछ समय बाद भिखारीदास ने वहां पर शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया। धीरे-धीरे मान्यता हो गई कि इस मंदिर में दर्शन कर झाडू चढ़ाने से त्वचा के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। यह प्रथा 150 वर्षों से भी पुरानी है तथा शिव की महिमा में लोग दूर- दूर से दर्शन के लिए दौड़े चले आते हैं। यह संयोग ही है कि यहां मनोकामना पूर्ति के साथ- साथ रोगों से छुटकारा और अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है।

 

 

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