हार-जीत का मोह छोड़कर इस NDA के जवान का साहस देख सेना के अफसरों ने किया सैल्यूट
नेशनल डिफेंस एकेडमी के कैडेट ने गजब की बहादुरी दिखाई। रेस में हार-जीत का मोह छोड़कर घायल साथी की मदद को धर्म समझा। साथी को पीठ पर लादकर ढाई किलोमीटर तक दौड़ लगाई। खुद के साथ उसे भी मंजिल तक पहुंचाकर ही दम लिया। मकसद था कि जख्मी होने के कारण कैडेट रेस में न पिछड़े। इस हौसले और सहयोग की भावना को देख कैडेट की वाहवाही हो रही है। अंबाला से पुणे चलकर एनडीए के अफसर ने कैडेट को विशेष रूप से सम्मानित किया। बहादुर कैडेट की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इससे पता चलता है कि भारतीय रक्षा अकादमी में सिर्फ बहादुर ही नहीं मानवीय अफसर भी तैयार होते, जिनमें ट्रेनिंग उनमें त्याग, सहयोग जैसे गुणों को कूट-कूटकर भरा जाता है।
नेशनल डिफेंस एकेडमी की ओर से हर छह महीने पर क्रास कंट्री रेस आयोजित होती है। यह रेस करीब साढ़े 12 किलोमीटर की होती है। इसमें पहले टर्म के कैडेट्स को छोड़ बाकी सभी का भाग लेना अनिवार्य होता है। पुणे में आयोजित रेस के दौरान छठें और फाइनल टर्म के कैडेट चिराग अरोड़ा ने देखा कि उनके साथी जेवेश देवेश जोशी घायल हो गए हैं, अब आगे नहीं दौड़ सकते। कोई और होता तो वह शायद अपनी रेस पर ध्यान देता। मगर चिराग अरोड़ा ने नजीर पेश करते हुए साथी कैडेट देवेश को पीट पर लाद दिया और दौड़ लगाने लगे। ढाई किलोमीटर के बाद दोनों एक साथ रेस पूरी किए। यह देखकर मैदान में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजाईं। अरोड़ा ने 55 मिनट में पूरी रेस पूरी की। एनडीए के एक अफसर के मुताबिक चिराग की कोशिश थी कि उनका घायल साथी रेस अधूरी छोड़कर स्कोर न गंवाए। एकेडमी की ओर से इंटर स्क्वॉड्रन चैंपियनशिप ट्रॉफी रखी जाती है। अकेडमी का हिस्सा बनने के बाद हर कैडेट को 18 में से एक एक स्क्वॉड्रन अलॉट किया जाता है। हर स्क्वॉड्रन के लिए यह करो या मरो वाली रेस होती है। मेजर सुरेंद्र पुनिया ने कैडेट की तस्वीरों को ट्वीट कर इसे सोल्जर स्पिरिट करार दिया और बताया कि बहादुर कैडेट को लेफ्टिनेंट जनरल ने सम्मानित भी किया।