रक्षा बंधन का है ऐतिहासिक महत्‍व भी और इतिहास में भी मिलता है उल्‍लेख, जाने रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त


भारत सहित पूरे विश्व में हिंदू धर्म के लोग 26 अगस्त को रक्षा बंधन मनाएंगे। हिंदू धर्म में इसका काफी महत्व है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार को समर्पित है। रक्षा बंधन दो शब्दों ‘रक्षा’ और ‘बंधन’ से मिलकर बना है। इस दिन बहन अपने भाई के हाथ पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। भाई का यह संकल्प होता है कि वह अपनी बहन का हर एक अच्छे और बुरे पल में साथ देगा। रक्षा बंधन के दिन जब बहन अपने भाई को राखी बांधती है तो उसे बदले में गिफ्ट भी मिलता है। इस त्‍योहार का ऐतिहासिक महत्‍व भी है। भारतीय इतिहास में भी इसका उल्‍लेख मिलता है।

ऐसा कहा जाता है कि रक्षा बंधन प्राचीन काल से चला रहा है। इसको लेकर एक कहानी है कि इसकी शुरुआत तब हुई थी जब रानियां अपने पड़ोसी भाइयों को प्यार और भाईचारे का प्रतीक राखी भेजती थीं, लेकिन अब यह बिलकुल बदल गया है। अब बहनें अपने भाई की कलाई पर राखियां बांधती हैं और उनके अच्छे भाग्य की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन के हर सुख-दुख में साथ देने का संकल्प लेते हैं। इससे भाई-बहन का आपसी पवित्र प्रेम और मजबूत होता है और इससे परिवार में भी एकजुटता की भावना पैदा होती है।

रक्षा बंधन हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दिन भद्रकाल का ध्यान रखा जाता है। इस दिन भद्रकाल के दौरान बहनें राखियां नहीं बांधती हैं, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। हालांकि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ रहा है। ऐसे में इस दिन बहन सुबह से लेकर शाम तक अपने भाई की कलाई पर राखी बांध सकती है। इसके बावजूद रक्षा बंधन के दिन कुछ समय जैसे अशुभ चौघड़िया, राहुकाल और यम घंटा पर ध्यान देना पड़ता है। बता दें कि 26 अगस्त को सुबह 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक और दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक शुभ मुहूर्त होगा।

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