कई बार तोड़े जाने के बावजूद नहीं पड़ा कोई असर, जानें विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का इतिहास

सोमनाथ मंदिर भारत के पश्चिमी हिस्से गुजरात आजकल अधिक चर्चा में है। गुजरात के प्रभास क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का मंदिर सोमनाथ अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को भगवान शिव के 12 प्रतिद्ध ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम माना जाता है। ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था। इस मंदिर का इतिहास हिंदू धर्म के उत्थान और पतन का प्रतीक माना गया है। इस मंदिर की प्रख्याति इतनी थी कि इसे कई बार तोड़ा गया, लेकिन उतनी ही बार विशालता से इसकी स्थापना की गई। वर्तमान सोमनाथ मंदिर की स्थापना लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने की थी।

सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटन स्थल है। इस मंदिर की स्थापना सरदार वल्लभ भाई ने 1955 में करवाई थी। इस मंदिर के लिए कथा प्रचलित है कि चंद्र ने दक्षाप्रजापति राजा की 27 कन्याओं से विवाह किया था। चंद्र देव उनमें से रोहिणी नाम की पत्नी से सबसे अधिक प्रेम करते थे। दक्ष ने अपनी बाकि कन्याओं के साथ अन्याय होता देखा तो उन्होनें चंद्र को शाप दे दिया। जिसके बाद से चंद्र घटने और बढ़ने लगा। शाप से विचलित और दुखी चंद्र ने भगवान शिव की अराधना शुरु कर दी। भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर शाप को खत्म किया और उन्हें सोमनाथ नाम दिया। इसी के साथ एक अन्य कथा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे। तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख समझकर धोखे में तीर मारा था। तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

इस मंदिर का इतिहास माना जाता है कि मंदिर का निर्माण दूसरी बार मैत्रक राजाओं ने किया था। इसके बाद कई बार इस मंदिर पर हमला किया गया और इसे नष्ट करने का प्रयास किया गया। महमूद गजनवी भी इस मंदिर की प्रख्याति सुनकर आया था और अपने 5 हजार साथियों के साथ हमला किया था। उस समय 50 हजार लोगों मंदिर में पूजा कर रहे थे उन सभी का कत्ल कर दिया गया था। वर्तमान मंदिर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित है। मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। जिस पर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है।

 

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