अब 15 करोड़ के बंगले में रहेंगी बसपा सुप्रीमो मायावती, 71 हजार स्क्वायर फीट की बिल्डिंग में काम शुरू
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपने लिए नया आशियाना ढूंढ़ने का काम शुरू कर दिया है। प्रदेश के कुछ पूर्व सीएम ने नए बंगले में शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मीडिया रिपार्ट के अनुसार, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती अपने मौजूदा सरकारी आवास को छोड़कर पास में ही स्थित अपने निजी बंगले में शिफ्ट करने जा रही हैं। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, मायावती ने वर्ष 2010 में 71 हजार वर्ग फीट में फैले इस बंगले को 15 करोड़ रुपये में खरीदा था। उनका सरकारी आवास फिलहाल लखनऊ के 13-ए मॉल एवेन्यू में स्थित है। कुछ दिनों बाद उनका नया आशियाना वहां से कुछ ही दूरी पर स्थित 9 मॉल एवेन्यू होगा। पार्टी कार्यालय भी समीप में ही स्थित है। बता दें कि बसपा पूर्ण बहुमत के साथ वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई थी। इसके तीन साल बाद उन्होंने यह बंगला खरीदा था।
करोड़ों के बंगले में विशाल गुंबद: मायावती के शासनकाल के दौरान कई पार्क और दलित नेताओं के स्मारक बनाए गए थे। इसमें बड़े-बड़े गुंबद लगाए गए थे। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित बसपा सुप्रीमो के नए बंगले में भी ऐसा ही विशाल गुंबद निर्मित किया गया है। बंगले की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि बंगले का काम पूरा हो चुका है। मायावती के करीबी और बसपा के पदाधिकारियों ने बताया कि एस्टेट डिपार्टमेंट से बंगला खाली करने का नोटिस मिलने के बाद ही शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया गया था। मायावती ने वर्ष 2012 के राज्यसभा चुनावों के दौरान दाखिल हलफनामे में नया बंगला खरीदने की जानकारी दी थी। बसपा सुप्रीमो का सरकारी आवास तकरीबन 23,000 वर्ग फीट में फैला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव भी नए बंगले की तलाश में हैं। वह फिलहाल 5 विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी आवास में रह रहे हैं। उत्तर प्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी 4 कालीदास मार्ग स्थित सरकारी आवास को छोड़कर गोमती नगर में स्थित अपने निजी बंगले में शिफ्ट करने की तैयरी में जुट गए हैं। राजनाथ फिलहाल देश के गृहमंत्री हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया था कानून: सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया था कि एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद व्यक्ति आम आदमी के बराबर हो जाता है। शीर्ष अदालत ने यह फैसला राज्य सरकार द्वारा लाए गए उस कानून को रद्द करते हुए सुनाया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्थायी रूप से सरकारी आवास आवंटित करने का प्रावधान किया गया था।