अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से ‘M’ और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से ‘H’ हटा दिया जाए : UGC पैनल
द्रीय विश्वविद्यालयों के एक सरकारी ऑडिट में सलाह दी गई है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) के नाम से क्रमश: ‘मुस्लिम’ व ‘हिन्दू’ शब्द हटा लिया जाए। ताकि विश्वविद्यालयों का सेक्युलर चरित्र प्रदर्शित हो सके। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा बनाई गई पांच कमेटियों में से एक ने यह ऑडिट 25 अप्रैल को मानव संसाधन मंत्रालय के कहने पर किया था। मंत्रालय 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच चाहता था। एएमयू ऑडिट में बीएचयू शामिल नहीं था मगर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसका संदर्भ दिया है। एएमयू से इतर जिन विश्वविद्यालयों का ‘शैक्षिक, शोध, वित्तीय और मूलभूत संरचना ऑडिट’ कराया गया, उनमें पांडिचेरी यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड की हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, झारखंड की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, जम्मू की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, वर्धा का महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, त्रिपुरा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मध्य प्रदेश की हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी शामिल है।
एएमयू और पांडिचेरी का निरीक्षण करने वाली कमेटी में आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर श्रीपाद करमालकर, महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के वीसी कैलाश सोदानी, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मज़हर आसिफ और आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर संकर्षण बसु शामिल थे। एएमयू ऑडिट में कमेटी ने सुझाव दिया कि संस्थान को या तो सिर्फ ‘अलीगढ़ यूनिवर्सिटी’ कहा जाए या फिर इसके संस्थापक, सर सैयद अहमद खान के नाम पर रख दिया जाए। यही वजह बीएचयू का नाम बदलने के लिए भी दी गई।
पैनल सदस्यों (पहचान गुप्त रखने की इच्छा के साथ) के अनुसार, इस सुझाव के पीछे यह तर्क है कि एएमयू, केंद्र द्वारा वित्त पोषित होने के कारण सेक्युलर संस्था है। कमेटी ने एएमयू की प्रकृति को ‘सामंती’ बताया है और कैंपस में गरीब मुस्लिमों को ऊपर उठाने के लिए कदम उठाने की जरूरत बताई है। कमेटी ने संस्था के अल्पसंख्यक दर्जे पर कोई टिप्पणी नहीं की है क्योंकि इससे जुड़ा वाद न्यायालय में चल रहा है।