जब रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अफसरों से कहा- इस कमरे में इतना भ्रष्टाचार है कि दम घुट रहा है
नरेंद्र मोदी सरकार बार-बार ये दावा करती रही है कि उसके करीब साढ़े तीन साल के कार्यकाल में एक भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ लेकिन हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ही मंत्रालय के अफसरों की “ईमानदारी” पर सवाल खड़ा कर दिया। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एलफिंस्टन रोड ब्रिज पर हुई भगदड़ में 23 लोगों की मौत के बाद शनिवार (30 सितंबर) को पीयूष गोयल ने मुंबई रेल विकास कॉर्पोरेशन (एमआरवीसी) की बैठक ली। ये बैठक कई घंटों तक चली। मुंबई की रेलवे परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने वाले इस कॉर्पोरेशन ने रेल मंत्री के सामने सीएसटी से पनवेल और बांद्रा से विरार तक एलीवेटेड रेल कॉरिडोर बनाने का रोडमैप पेश किया। बैठक में मौजूद सूत्रों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि कॉर्पोरेशन का रोडमैप देखकर रेल मंत्री गोयल बिफर पड़े। एचटी के अनुसार गोयल ने कॉर्पोरेशन के अफसरों को लताड़ते हुए कहा, “एलीवेटड परियोजना का खर्च बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा कैसे हो सकता है? इस कमरे में मौजूद भ्रष्टाचार से मेरा दम घुट रहा है।”
रिपोर्ट के अनुसार अहमदाबाद से मुंबई तक बन रही बुलेट ट्रेन की प्रति किलोमीटर निर्माण लागत करीब 81 करोड़ रुपये है। वहीं एलिवेटेड रेल कॉरिडोर का प्रति किलोमीटर निर्माण लागत करीब 200 करोड़ पेश की गयी। इस दर से अनुसार बांद्रा-विरार कॉरिडोर की अनुमानित लागत 16,368 करोड़ रुपये और सीएसएमटी-पनवेल कॉरिडोर की लागत करीब 12,168 रुपये करोड़ आंकी गयी। रिपोर्ट के अनुसार गोयल ने एमआरवीसी के अफसरों से पूछा, “50 किलोमीटर दूरी वाली एलिवेटेड रेल कॉरिडोर की लागत बुलेट ट्रेन से ज्यादा कैसे हो सकती है?”
रिपोर्ट के अनुसार जब एमआरवीसी ने रेल मंत्री को बताया कि एलिवेटेड कॉरिडोर परियोजना के एक कोच रेक की लागत करीब पांच करोड़ रुपये होगी तो गोयल ने एक बार फिर कहा कि यहां भ्रष्टाचार का स्तर काफी अधिक है और परियोजनाओं की योजना बनाने में पारदर्शिता का अभाव है। रेल मंत्री ने अफसरों से कहा कि वो दोनों एलिवेटेड परियोजनाओं के लिए दोबारा रोडमैप तैयार करें और उन्हें सूचित करें। रिपोर्ट के अनुसार पीयूष गोयल ने मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के कमिश्नर यूपीएस मदन से भी जवाब तलब किया। रिपोर्ट के अनुसार अफसरों ने पीयूष गोयल से कहा कि बुलेट ट्रेन की तुलना में ज्यादा स्टेशन होने की वजह से लागत में ये फर्क है।