सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के सालाना बजट पर योगी सरकार की कैंची

सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के सालाना बजट में भारी कटौती की गई है। समाजवाद पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव सैफई में बने इस चिकित्सा संस्थान के कुलाधिपति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इस विश्वविद्यालय के सालाना बजट में 55- 60 फीसद की भारी भरकम कटौती ने लोगों में नई चिंता पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि इस कदम से चिकित्सा संस्थान का मूलभूत ढांचा ही चरमरा जाएगा। इसका सीधा असर गरीब जनता को मिलने वाली चिकित्सीय व अन्य सुविधाओं पर पड़ेगा।
पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट सैफई ग्रामीण आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान की स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी। देश में ग्रामीण क्षेत्र में बना यह अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थान था। वर्ष 2012 में प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनने के बाद इस संस्थान का विस्तार हुआ। 2015 में सैफई रिम्स एवं आर को सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय का रूप दिया गया। यहां मेडिकल कॉलेज, पेरामेडिकल कॉलेज के साथ गंभीर रोगों से संबंधित आधुनिक उपचार की व्यवस्था है। ह्रदय, हड्डी, किडनी, लिवर की गंभीर बीमारियों का इलाज यहां होता है।

अखिलेश सरकार में यहां बजट की कभी कमी नहीं रही लेकिन भाजपा की सरकार बनते ही अधिकारियों की प्राथमिकता सूची से सैफई का नाम काट दिया गया । इसका वास्तविक प्रमाण भी अब देखने को मिल रहा है। सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के वर्ष 2017-08 के सालाना बजट लगभग 92 करोड़ में छह माह बीतने के बाद केवल 36 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। यानी आधे से भी 10 करोड़ रुपये कम। स्वीकृत राशि के मुकाबले अभी तक केवल 10 करोड़ रुपए ही जारी किए गए हैं। 92 करोड़ रुपए के बजट के हिसाब से हर महीने में लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये चाहिए। जबकि इसके एवज में 3 करोड़ से थोड़ी अधिक धनराशि मिली है।

कटौती हुई तो ठप हो सकती हैं सुविधाएं
सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की बिजली का सालाना खर्चा ही 24 करोड़ रुपए है। यानी दो करोड़ रुपए महीने। शासन से हर महीने 2-3 करोड़ के बीच धनराशि जारी हो रही है। ऐसे में बजट का अधिकांश हिस्सा बिजली बिल अदायगी में ही चला जाएगा। बिल अदा न करने पर यदि बिजली काट दी गई तो गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। बिजली मद में सालाना बजट में लगभग 13 करोड़ उपकरणों की मरम्मत, खरीद एवं अनुरक्षण के और जोड़ दिए जाएं तो यह 37 करोड़ रुपये हो जाता है जबकि शासन ने अभी तक सालाना बजट में सिर्फ 36 करोड़ रुपए ही स्वीकृत किए हैं।

सालाना अनुमानित बजट
वर्ष 2017 – 18
बिजली बिल – 24 करोड़
बिजली उपकरण अनुरक्षण- 13 करोड़
सिविल अनुरक्षण -5 करोड़
औषधि -21 करोड़
मरीजों को भोजन -4 करोड़
सफाई – 3 करोड़ 70 लाख
इसके अलावा अन्य मदों को मिलाकर कुल लगभग 92 करोड़ का बजट है
अभी तक स्वीकृत बजट – 36 करोड़
अभी तक जारी धन -19 करोड़
बजट में कटौती लगभग – 60 फीसद

आवश्यकता के अनुसार मिल रही धनराशि : कुलपति
सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ब्रिगेडियर टी प्रभाकर ने बताया कि इसे बजट की कटौती नहीं कह सकते। पहले बजट एक साथ आ जाता था। अब हर महीने भेजा जा रहा है। इस बारे में उनकी वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत चल रही है। जरूरत के अनुसार शासन से बजट मिलने का आश्वासन भी मिला है। हालांकि उन्होंने बातचीत में यह माना कि हर महीने मिलने वाली 2-3 करोड़ रुपये की धनराशि पर्याप्त नहीं है।

संकीर्ण सोच का परिचय दे रही सरकार: उदयभान
कांग्रेस जिला अध्यक्ष उदयभान सिंह यादव ने कहा कि सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में इटावा ही नहीं आसपास के 10 जिलों, मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों के मरीज बड़ी संख्या में आते हैं। यहां एक रुपए के पर्चे में पांच से छह हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। केवल इसलिए कि यह चिकित्सा संस्थान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव में है इसलिए उसके साथ भेदभाव की नीति अपनाना योगी सरकार की संकीर्ण सोच का नतीजा है। कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं होने देगी।

बदनीयत से काम कर रही है योगी सरकार : गोपाल यादव
समाजवाद पार्टी के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव का कहना है कि सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान के बजट में कटौती करने से गरीब मरीजों का नुकसान होगा। बजट की कमी से मरीजों के उपचार से संबंधित व्यवस्थाओं पर असर जरूर पड़ेगा। योगी सरकार का यह कदम हर हाल मे बदनीयत की ओर इशारा कर रहा है। उनका मानना है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की दिशा में काम करती है लेकिन यह पहली सरकार है जो स्वास्थ्य सेवाएं बिगाड़ने पर आमादा है।

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