उत्तराखंड: आश्रम से शुरू गंगा रक्षा की जंग अस्पताल से भी जारी

आइआइटी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर तथा देश दुनिया के जाने-माने पर्यावरणविद् डॉक्टर जीडी अग्रवाल अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में गंगा रक्षा की निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। वे 22 जून से अनशन पर हैं। उन्होंने तय कर लिया है कि जब तक वे गंगा की रक्षा के लिए जंग जारी रहेगी। 22 जून को उन्होंने हरिद्वार के उपनगर कनखल के जगजीतपुर गांव में गंगा तट पर स्थित मातृसदन आश्रम में अपना अनशन शुरू किया था। उनकी मांग है कि जब तक केंद्र सरकार गंगा रक्षा के लिए गंगा एक्ट संसद में पारित नहीं करवा देती है, तब तक वे अनशन जारी रखेंगे। उनका कहना है कि गंगा रक्षा को लेकर उनकी यह आखिरी जंग है। या तो गंगा एक्ट बनेगा या फिर वे अपनी जान दे देंगे। गंगा रक्षा के लिए लड़ाई लड़ते हुए प्रोफेसरअग्रवाल गृहस्थ से संन्यासी बन गए। कुछ साल पहले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वारानंद महाराज से उन्होंने संन्यास दीक्षा ली थी और वे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद बन गए।

स्वामी सानंद ने गंगा रक्षा की लड़ाई के लिए स्वामी शिवानंंद सरस्वती के आश्रम मातृसदन को चुना। स्वामी सानंद का कहना है कि मातृसदन में उन्हें गंगा रक्षा की लड़ाई के लिए आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। 22 जून को अपना अनशन शुरू करने से पहले स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 24 फरवरी और 13 जून को दो पत्र लिखें थे। परंंतु उन्हें प्रधानमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं मिला और आखिर प्रोफेसर अग्रवाल स्वामी सानंद ने 22 जून से अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वे तो प्रधानमंत्री को उनकी गंगा की सौगंध की याद अपने अनशन के माध्यम से दिला रहे थे और उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने मातृसदन के परिसर से उन्हें जबरन उठा कर 10 जून की शाम को देहरादून के सरकारी अस्पताल में भर्ती कर दिया। उनके अनुयायियों ने नैनीताल हाई कोर्ट में उनको जबरन अनशन स्थल से उठा कर अस्पताल में भर्ती किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की। इस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वे प्रोफेसर अग्रवाल स्वामी सानंद को दून अस्पताल से एम्स ऋषिकेश में भर्ती करें और वहां चिकित्सक उनके स्वास्थ्य की निगरानी रखें और यदि वे बिल्कुल स्वस्थ हैं तो प्रशासन की सुरक्षा में वे जहां भी जाना चाहे वहां ले जाएं।

स्वामी सानंद को नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने आनन फानन में 11 जुलाई की रात 2:30 बजे एम्स मेंं भर्ती किया। एम्स के डॉक्टर खुद इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि दून प्रशासन को उन्हें रात में ही एम्स में भर्ती करने की क्या सूझी। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश चंद्र थपलियाल का कहना है कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी सानंद की मेडिकल रिपोर्ट रोजाना देहरादून जिला प्रशासन के अधिकारियों को भेजी जा रही है और स्वामी सानंद स्वस्थ हैं। परंतु प्रशासन उन्हें एम्स से ले जाने को तैयार सा नहीं दिखाई देता है। स्वामी सानंद ने चिकित्सकोंं को साफ बता दिया कि वे एम्स मेंंं भी अपना अनशन जारी रखेंगे और अब उनका अनशन स्थल मातृसदन की बजाए एम्स के निजी वार्ड का कमरा हो गया है। वहां, उनसे मिलने के लिए मातृसदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती और कई सामाजिक कार्यकर्ता आते जाते हैं।

स्वामी सानंद की मांगें

प्रोफेसर अग्रवाल स्वामी सानंद का कहना है कि केंद्र सरकार गंगा और उसकी सहायक नदियां अलकनंदा,धौली गंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी नदियों पर में बनने वाली जल विद्युत परियोजनाओं को तुरंत बंद करें तथा गंगा भक्तों की एक गंगा भक्त परिषद बनाई जाई, जिसमें वे लोग शामिल किए जाएं, जो गंगा के प्रति समर्पित हों। गंगा में खनन रोका जाए और हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में गंगा नदी में खनन पूरी तरह से बंद किया जाए। केंद्र सरकार संसद के इस सत्र में गंगा रक्षा के लिए प्रस्तावित अधिनियम मसविदा 2012 को चर्चा के बाद पास कराए। यदि केंद्र सरकार संसद में इस अधिनियम के मसौदे को पास नहीं करा सकती है तो राष्ट्रपति से अध्यादेश लागू करा जाए ताकि गंगा की रक्षा की जा सके। उल्लेखनीय है कि स्वामी सानंद के समर्थन में 6 और 7 जुलाई को मातृ सदन में देशभर के पर्यावरणविद् और साधु-संत जुटे थे। स्वामी शिवानंद सरस्वती कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही गंगा के प्रति संवेदनहीन हैं और गंगा रक्षा करने वालों का प्रशासन उत्पीड़न कर रहा है और केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य सरकार स्वामी सानंद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने जा रही है, जो राज्य सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।

गंगा रक्षा की लड़ाई लड़ रहे प्रोफेसर अग्रवाल आइआइटी कानपुर में 1961 से लेकर 1977 तक सेवारत रहे। 1981 से 1983 तक वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव रहे। प्रोफेसर अग्रवाल स्वामी सानंद को समर्थन दे रहे मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती डेढ़ दर्जन से ज्यादा बार गंगा रक्षा के लिए अनशन पर बैठ चुके हैं और कई बार जेल भी जा चुके हैं। इसी तरह प्रोफेसर अग्रवाल भी गंगा रक्षा के लिए एक बार जेल जा चुके हैं। 13 जून 2011 को स्वामी शिवानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी निगमानंद गंगा रक्षा की लड़ाई लड़ते हुए अनशन के दौरान शहीद हो गए थे। गंगा के लिए मर मिटने का संकल्प लेने वाले स्वामी शिवानंद सरस्वती और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी सानंद के हौसले प्रशासनिक उत्पीड़न के बाद भी बुलंद है।

प्रो. अग्रवाल स्वामी सानंद के अब तक के अनशन

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने 2008 में 13 जून को उत्तरकाशी में गंंगा रक्षा के पहली बार अनशन शुरू किया था। उनका यह अनशन 30 जून तक चला। इसके बाद गंगा रक्षा के लिए प्रोफेसर अग्रवाल ने 2009 में 14 जनवरी से 20 फरवरी तक अनशन किया । तीसरी बार मातृसदन जगजीतपुर कनखल में 20 जुलाई से 22 अगस्त 2010 में 28 दिन का अनशन किया, तब केंद्र सरकार ने उनकी मांग मानते हुए उत्तरकाशी जिले में गंगा भागीरथी नदी पर बन रही तीन जल विद्युत परियोजनाओं लोहारी नागपाला, पाला मनेरी और भैरो घाटी को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया था। साथ ही केंद्र सरकार ने गोमुख से लेकर उत्तरकाशी तक 135 किलोमीटर क्षेत्र को इको संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिया था। प्रोफेसर अग्रवाल ने चौथा अनशन 2012 में 8 फरवरी से 8 मार्च तक मातृसदन जगजीतपुर कनखल हरिद्वार में किया। जहां पर प्रोफेसर अग्रवाल ने गंगा रक्षा के लिए अधिनियम ड्राफ्ट 2012 बनाया और अब जिसे लागू लागू कराने के लिए प्रोफ़ेसर अग्रवाल फिर से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। अभी तक उनके पास केंद्र सरकार का कोई भी मंत्री इस संबंध में बातचीत करने नहीं आया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उमा भारती ने अपने प्रतिनिधि भेज कर प्रोफेसर अग्रवाल से अनशन समाप्त करने की अपील की है, परंतु उनकी मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का कोई भरोसा उन्हें नहीं दिया है।

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