गीता जयंती 2017: जानिए क्या है गीता जयंती का महत्व, श्री कृष्ण के इन उपदेशों से कर सकते हैं जीवन सफल

भागवत गीता को हिंदू धर्म में सर्वोपरि माना गया है। मार्गशीर्ष माह की एकादशी के दिन गीता के उपदेश भगवान कृष्ण ने पांडव पुत्र अर्जुन को दिए थे। इस दिन के लिए मान्यता है कि कुरुक्षेत्र की भूमि पर जब अर्जुन ने शत्रुओं को देखकर वो विचलित हो गए और उन्होनें शस्त्र उठाने से मना कर दिया। उस समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मनुष्य धर्म और कर्म का उपदेश दिया। गीता में भगवान कृष्ण के दिए हुए मानव और उसके कर्म से जुड़े उपदेश लिखे हुए हैं। माना जाता है कि कुरुक्षेत्र की भूमि पर ही गीता का जन्म हुआ था। गीता का जन्म लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व हुआ था।

गीता का महत्व है कि वो आत्मा और परमात्मा के रुप को हमारे सामने रखती है। कृष्ण के उपदेशों को प्राप्त करने के बाद अर्जुन को ज्ञान की प्राप्ति हुई। अर्जुन ने मानव के कर्म और धर्म के बीच की उस व्याख्या को समझा। गीता के उद्देश्यों से मनुष्यों को उचित बोध की प्राप्ति होती है, माना जाता है कि गीता की उत्पत्ति इसलिए हुई क्योंकि कलयुग में भगवान और मनुष्य एक साथ धरती पर नहीं हो सकते और इस दौरान उन्हें सही-गलत मार्ग के बारे में समझाने के लिए गीता की उत्पत्ति हुई।
– जो हमेशा मन में शंका रखते हैं, उन्हें संसार में कहीं पर भी चैन नहीं मिलता है।
– बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक ही मानता है और यही परम सत्य है।

– हमेशा कर्म करते रहना चाहिए, क्योंकि बेकार रहने से कर्मवान होना बेहतर माना जाता है।
– क्रोध से माया उत्पन्न होती है, माया से बुद्धि व्यग्र होती है और व्यग्र बुद्धि से विचारों का विनाश माना जाता है।
– जो सोच को नियंत्रित नहीं रख पाते हैं, उनकी सोच उनकी दुश्मन बन जाती है।
– व्यक्ति जो चाहे वो बन सकता है, लेकिन उसे लक्ष्य पर पूरे विश्वास के साथ काम करना होगा।
– अशांत मन को काबू में पाना मुश्किल होता है, लेकिन बार-बार प्रयास करने पर सफलता पाई जा सकती है।

– जो जीवित है उसकी मृत्यु निश्चित है, जो मरा है उसका जन्म निश्चित है। इस सत्य पर दुख मनाना व्यर्थ है।
– जो खुद पर विश्वास करते हैं उन्हें भगवान के अलावा किसी पर भी आश्रित होने की जरुरत नहीं होती है।
– एक बुद्धिमान व्यक्ति को जीवन का सुख कामुकता से नहीं मिलता है।

 

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