गीता जयंती 2017: आज है श्रीमद भगवद गीता का जन्मदिन, जानिए क्या है इसका महत्व

भगवद गीता को हिंदू धर्म में सर्वोपरि माना गया है। मार्गशीर्ष माह की एकादशी के दिन गीता के उपदेश भगवान कृष्ण ने पांडव पुत्र अर्जुन को दिए थे। इस दिन के लिए मान्यता है कि कुरुक्षेत्र की भूमि पर जब अर्जुन ने शत्रुओं को देखकर वो विचलित हो गए और उन्होनें शस्त्र उठाने से मना कर दिया। उस समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मनुष्य धर्म और कर्म का उपदेश दिया। गीता में भगवान कृष्ण के दिए हुए मानव और उसके कर्म से जुड़े उपदेश लिखे हुए हैं। माना जाता है कि कुरुक्षेत्र की भूमि पर ही गीता का जन्म हुआ था। गीता का जन्म लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व हुआ था।

गीता सिर्फ हिंदू धर्म को मार्गदर्शित नहीं करती है बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को ज्ञान देती है। गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें मानव जीवन से जुड़े कर्मों और धर्मों का ब्योरा है। गीता की प्रमुखता है कि इसमें सतयुग से लेकर कलयुग तक के मनुष्यों के कर्म और धर्म का ज्ञान है। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया ज्ञान गीता में लिखा गया, ये मनुष्य जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। गीता जयंती के दिन लोग भगवद गीता का पाठ करते हैं। देश के सभी भगवान कृष्ण के मंदिरों में गीता का पाठ होता है और उसका पूजन किया जाता है। इस दिन भजन और आरती किए जाने का भी विशेष विधान माना जाता है।

गीता जयंती का दिन मोक्षदा एकादशी के दिन आता है, इसलिए इस दिन लोग एकादशी के व्रत के साथ गीता जयंती का व्रत भी करते हैं और गीता में दिए गए उपदेशों को जीवन में अपनाने का प्रण लेते हैं। मान्यता है कि एकादशी से एक दिन पहले दशमी को सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। एकादशी के दिन पूरे दिन का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साश दामोदर और कृष्ण की पूजा की जाती है। एकदाशी के दिन भगवान विष्णु को फलाहार करवाया जाता है। व्रत करने वाले लोग सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान करते हैं और धूप, दीप, तुलसी आदि से भगवान की पूजा की जाती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *