मेरा एक भी कदम भगवाकरण की ओर नहीं

मुकेश भारद्वाज केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद संस्कृति पर छिड़ी बहस आज भी जारी है। संस्कृति के भगवाकरण के आरोप शुरू हुए, जो आज पर्यटन स्थलों तक को एक खास रंग में रंगने तक पहुंच चुके हैं। प्रदूषण और पर्यावरण को लेकर आए अदालती फैसलों पर भी मेरा त्योहार उसका त्योहार वाली बहस शुरू हो गई। केरल को विकास के मामले में पीछे बता कर अयोध्या में त्रेता युग की दिवाली से पर्यटन के नए प्रतीक बनाए जा रहे हैं। जनसत्ता बारादरी में इन मुद्दो से मुठभेड़

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भुखमरी से निपटने की चुनौती

दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे हैं। अपनी जड़ों से उखड़े ये लोग गरीबी और भुखमरी में जीने को अभिशप्त हैं। इनमें से अधिकतर लोग गरीब

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प्रेम की जीत

केरल उच्च न्यायालय का ताजा फैसला यों तो नागरिक अधिकारों की रक्षा करने वाले अन्य अदालती फैसलों जैसा ही है, पर मौजूदा परिदृश्य में इसकी अहमियत कहीं बढ़ जाती है। कई राज्यों में और पिछले कुछ महीनों से खासकर केरल में ‘लव जिहाद’ का विवाद रह-रह कर सुर्खियों में रहा है। न्यायालय ने उस प्रवृत्ति पर रोष जताया है जो हर अंतर-धार्मिक विवाह को, स्त्री-पुरुष की अपनी मर्जी को नजरअंदाज या दरकिनार करके, केवल धार्मिक चश्मे से देखती है। अगर किसी हिंदू स्त्री ने किसी मुसलिम पुरुष से विवाह कर

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फायदे और नुकसान की दलीलें, आम राय है जरूरी

अजय पांडेय चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव जम्हूरियत का आधार माना जाता है। इस मायने में भारत दुनिया के सामने एक आदर्श है। आजादी के बाद के सात दशकों में भारत के लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर गांव की पंचायतों से लेकर नगर निगमों, विधानसभाओं और देश की सबसे बड़ी पंचायत कही जाने वाली संसद तक में अपने मनमाफिक प्रतिनिधि भेजे और अलग अलग सरकारों का गठन किया। सत्तर साल के लोकतांत्रिक सफर में पार्टियां बदलती रहीं और नई-नई सरकारों का गठन होता रहा।

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चुनाव ही चुनाव

मुकेश भारद्वाज भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और बहुलतावादी देश में ‘सुधार’ एक ऐसा शब्द है जिसे सबसे ज्यादा मार पड़ती है। चुनाव सुधार भी एक ऐसा ही शब्द है जिसके इस्तेमाल के अपने खतरे हैं। लेकिन इसके विरोध के पहले उस खतरे को भी देखा जा सकता है कि जो पार्टी बढ़-चढ़ कर लोकसभा-विधानसभा से लेकर स्थानीय निकायों तक के चुनाव साथ करवाने की बात करती रही है उसके केंद्रीय शासन में हिमाचल और गुजरात के चुनाव एक साथ करवाने पर चुप्पी सध जाती है। जो चुनाव आयोग कहता है कि

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चीनी सामान के बहिष्कार की अपील से भी संकट

अजय पांडेय     आप जिस मोबाइल फोन पर चीन में बने सामान के बहिष्कार की भावुक और मार्मिक अपील पढ़ रहे हैं, वह मोबाइल भी उसी चीन से बनकर आया है। आप अपनी गाड़ी की जिस गद्देदार सीट पर बैठे हैं, वह भी उसी चीन से आई है और आपके ड्राइंग रूम से लेकर किचन तक की खूबसूरती चीन में बने सामान से है। तो फिर चीनी सामान के बहिष्कार का भला क्या मतलब है?चांदनी चौक स्थित भागीरथ पैलेस स्टॉल ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने ये तमाम सवाल

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बाजार की मार में भी जगमगाते दीये

मृणाल वल्लरी बहुत फर्क है पिछली और इस दिवाली में। लिखने, सोचने और बोलने का फर्क है। पिछली दिवाली के पहले तक एक एडॉप्टेड भाषा के तहत बस त्योहार और बाजार को कोसना। दशहरा मैदान में रावण के बाजार से लेकर करवा चौथ और दिवाली से लेकर दिल्ली जैसे महानगर में पिछले एक दशक में नया सजा छठ पूजा का बाजार। हर सोसायटी और मोहल्ले के बाहर लगा बुध, शनि या रवि बाजार। चमचमाता हुआ शॉपिंग मॉल का बाजार।  पिछली दिवाली मनाने के बाद बाजार को कोस ही रहे थे

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विकास पर भ्रष्टाचार की छाया

सतीश सिंह सरकार ने 5,800 मुखौटा कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई की है। इनके 13,140 बैंक खातों में विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद तकरीबन 4,574 करोड़ रुपए जमा किए गए और बाद में इनमें से 4,552 करोड़ रुपए निकाल भी लिए गए, जबकि इनके जमा खातों में 8 नवंबर, 2016 को महज 22.05 करोड़ रुपए की राशि थी। ये आंकड़े संदिग्ध कंपनियों की कुल संख्या का महज 2.5 प्रतिशत हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। इनमें सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध दोनों तरह की कंपनियां शामिल हैं। इस काले कारोबार में

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अब आई याद

देर से ही सही, भारत सरकार को घरेलू नौकरों की याद आई है तो इसे एक सकारात्क पहल मानना चाहिए। हालांकि अभी एक ठीकठाक कानून बनने में ढेरों अगर-मगर हैं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने घरेलू कामगारों के लिए राष्ट्रीय नीति का मसविदा तैयार कर लिया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसे कानूनी दर्जा मिलेगा। फिलहाल जो प्रारूप तैयार हुआ है अगर उसे अमली जामा पहनाया जाता है तो घरेलू सहायकों को हर वे अधिकार हासिल होंगे, जो दूसरे श्रमिकों को मिले हुए हैं। मसलन उनका

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अशांति के बीच

दार्जीलिंग अब भी जिस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, उसमें सुरक्षा और प्रशासन के स्तर पर जरा भी कोताही बरती गई तो हालात ज्यादा बिगड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में वहां तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों की तादाद में कमी करने का केंद्र सरकार का फैसला उचित नहीं था। अब कोलकाता उच्च न्यायालय ने केंद्र के उस फैसले पर रोक लगा कर यह साफ कर दिया है कि दार्जीलिंग में हालात को देखते हुए ऐसा करना फिलहाल ठीक नहीं होगा। पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने एक आदेश

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मुसलमान महिला से शादी के लिए हुआ बहिष्कार, 61 साल के शख्स ने दर्ज कराया केस

चन्दन शांताराम मुस्लिम महिला से शादी करने पर सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे रमेश दत्तू हिरणवाले (61) ने मंगलवार (17 अक्टूबर) को पुलिस में शिकायत की है। शिकायत में हिरणवाले ने आरोप लगाया कि साल 1992 में मुस्लिम महिला से शादी के बाद से ही वीरशैव लिंगायत गावली समुदाय (Veershaiva Lingayat Gawali community) ने उनका बहिष्कार कर रखा है। मामले में पुलिस ने 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सभी हिरणवाले के समुदाय की पंचायत के सदस्य हैं। हिरणवाले कहते हैं कि समुदाय की पंचायत ने उनके

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पटाखों की विदाई

सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक के फैसले से जैसा कोहराम मचा, वह अफसोसनाक है। चेतन भगत और गायक अभिजीत जैसे सितारे तो इसे हिंदू संस्कृति के साथ मजाक की संज्ञा दे बैठे। अनेक हिंदू संगठन आरोप लगा रहे हैं कि यह हिंदुओं पर हमला और हिंदू संस्कृति को बर्बाद करने की सजिश है। इनकी बातें ध्यान से सुनी जाएं तो लगेगा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के पास एक ही काम बचा है कि कैसे हिंदू या मुसलमानों की संस्कृति पर हमला कर के उसे

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ताज के बहाने

जिस तरह से ताज महल को निशाना बनाने की कोशिश हुई है वह बेहद चिंताजनक है। इससे यही पता चलता है कि आज हम इतिहास के एक ऐसे नाजुक मोड़ पर खड़े हैं जहां अपनी सियासत चमकाने के चक्कर में कोई किसी भी हद तक जा सकता है। उत्तर प्रदेश के सरधना से भाजपा के विधायक संगीत सोम ने रविवार को कहा कि ताज महल भारतीय संस्कृति पर धब्बा है। इसी के साथ उन्होंने इतिहास के बारे में अपना गहन ज्ञान भी प्रदर्शित कर दिया, यह बताते हुए कि ‘सत्रहवीं

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थमा नहीं पंजाब में धर्मगुरुओं की हत्याओं का सिलसिला, कठघरे में कानून-व्यवस्था, सुराग लगाने में नाकाम सुरक्षा तंत्र

जीव शर्मा     पंजाब में एक के बाद एक लगातार हो रही हिंदू नेताओं व धर्मगुरुओं की हत्या की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पिछले दो वर्षों के दौरान पंजाब में लगातार जहां हिंदू नेताओं की हत्याएं हो रही है वहीं धर्मगुरुओं को मौत के घाट उतारा जा रहा है। इनमें से कई मामलों की जांच भले ही सीबीआइ कर रही हो, लेकिन आज तक हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।  पंजाब में चाहे अकाली-भाजपा सरकार हो या फिर मौजूदा कांग्रेस सरकार सत्ता

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अनर्गल विरोध, दिल्ली का दर्जा

अनर्गल विरोध गांधी और उनकी विचारधारा से संघ का विरोध समझा जा सकता है। संघ आजादी के पूर्व से ही इस बारे में स्पष्ट था कि हिंदुओं के लिए अलग और मुसलमानों के लिए एक अलग देश बनाया जाए। मगर गांधीजी नहीं चाहते थे कि देश को सिर्फ मजहब के आधार पर बांट दिया जाए। वे चाहते थे कि दोनों साथ रहें। हिंदू महासभा के एक जुनूनी कार्यकर्ता द्वारा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल चाहते थे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाना

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