कलयुग में भगवान आते हैं यहां रास रचाने, अगर देख ली लीला तो जा सकते हैं प्राण

वृन्दावन एक ऐसी जगह है जहां कोई भी जाकर मंत्र-मुग्ध हो जाता है। वहां के मंदिर किसी में भी भक्ति की भावना को जागृत कर देते हैं। लेकिन वृंदावन में एक वन जहां आज भी रात्रि में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। यदि कोई रात में यहां रुक जाए तो उसकी मृत्यु हो जाती है। इससे एक मान्यता जुड़ी हुई है कि इस कलयुग के काल में भी भगवान कृष्ण और राधा यहां आकर रास रचाते हैं। यहां अनेकों वृक्ष हैं जो रात में गोपियों का रुप ले लेते हैं। कई लोगों में ये इच्छा रहती है कि भगवान कृष्ण की इस रास-लीला को देख सकें। आपने भी कुछ ऐसा सोचा हुआ है तो भूलकर भी ऐसी गलती मत कीजिएगा। जिसने भी इस वन में रात को भगवान की रास-लीला देखने की भूल की है, वो यहां से जिंदा बाहर नहीं निकला है। रात में तो ये वन बंद कर दिया जाता है। यहां सिर्फ बांसुरी और घुंघरुओं की आवाज सुन सकते हैं।

वृन्दावन में मौजूद इस वन का नाम ‘निधि-वन’ है। अधिकतर लोगों को इस वन की जानकारी नहीं होती है क्योंकि ये मुख्य मंदिर से थोडी दूरी पर है। ये यमुना से भी कुछ सौ मीटर की दूरी पर है। लेकिन जो लोग वृन्दावन अधिक जाते हैं उन्हें इस वन की अच्छे से जानकारी है। ये वन एक रहस्यमयी वन है, यहां के लोगों की मान्यता है कि यहां भगवान कृष्ण गोपियों के साथ रास रचाते हैं। इस जगह का नाम वृन्दावन पड़ने के पीछे ये कारण है कि यहां वृंदा यानि तुलसी के अनेकों पेड़ हैं।

मान्यता ये है कि यमुना नदी के किनारे इन्हीं वनों में कदंब वृक्षों पर भगवान कृष्ण, राधा और दूसरी गोपियों के साथ क्रीड़ा किया करते थे। घंटों-घंटों इन्हीं वृक्षों की डाल पर बैठकर माखन-चोर कृष्ण बांसुरी बजाया करते थे और आसपास के गांव में रहने वाली लड़कियां और महिलाएं उसकी धुन में इतनी मद-मस्त हो जाती थीं कि अपना कामकाज छोड़कर वहां पहुंच जाती थीं।

निधि वन एक बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैला है और यहां एक मुख्य मंदिर है जिसे रंगमहल कहा जाता है। यहां के लिए ये मान्यता है कि इस महल में रात को भगवान कृष्ण और राधा आकर आराम करते हैं। उनके स्वागत के लिए यहां रोजाना वस्तुएं रखी जाती हैं। इस रासलीला को देखने की इच्छा रखने वाले अपनी अगली सुबह नहीं देख पाता है। इस वन में मौजूद जो सामाधियां हैं वो उन लोगों की हैं जिन्होनें इस रासलीला को अपनी आंखों से देखा और उसके बाद मृत्यु को प्राप्त हो गए। यही वजह है कि उन सभी लोगों की समाधि इसी वन में बनाई गई है। रंग महल में आज भी प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है और उनकी पसंदीदा चीजें सुबह भोग लगी हुई मिलती हैं। निधिवन में प्रतिदिन रात्रि में होने वाली श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना

 

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