केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को नीति आयोग से किया गया बाहर, प्रकाश जावड़ेकर को किया शामिल

केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को नीति आयोग से बाहर कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुमोदन के बाद नीति आयोग का पुनर्गठन किया गया है। इसके बाद कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी की यहां से छुट्टी हो गई है। इससे पहले स्मृति ईरानी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) आयोग की विशेष आमंत्रित सदस्य थीं। उनके स्थान पर अब मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को नीति आयोग का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। बता दें कि एक महीना कम समय से पहले ही स्मृति ईरानी से सूचना प्रसारण मंत्रालय ले लिया गया था। नीति आयोग में अब केन्द्रीय प्लानिंग राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह को भी जगह मिला है। बता दें कि पीएम नीति आयोग के अध्यक्ष होते हैं। पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद पहले से चल रही योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन किया था। इस वक्त डॉ राजीव कुमार इसके उपाध्यक्ष हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 जून को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं। इससे महज 7 दिन पहले ही ये फैसला किया गया है। बता दें कि 15 मई को स्मृति ईरानी से सूचना और प्रसारण मंत्रालय का प्रभार ले लिया गया था। इसके बाद उनके डिप्टी रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर को सूचना प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दे दे दिया गया था। स्मृति ईरानी जब मानव संसाधन विकास मंत्री बनी थीं तभी से नीति आयोग की सदस्य थीं। उनका मंत्रालय बदल जाने के बावजूद भी नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य का उनका पद बरकरार था। लेकिन अब नीति आयोग से उनकी छुट्टी कर दी गई है। बता दें कि इस वक्त स्मृति ईरानी गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश के अमेठी से राहुल गांधी को कड़ी चुनौती दी थी।

इधर नीति आयोग ने सबको सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लक्ष्य को ध्यान में रखते लोगों से चिकित्सा उपकरणों में व्यापारिक मुनाफे को युक्तिसंगत बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। आयोग ने इस संबंध में ‘चिकित्सा उपकरणों में व्यापारिक मुनाफे को युक्ति संगत बनाना – एक अवधारणा पत्र’ जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सरकार आवश्यक और जीवन बचाने वाले चिकित्सा उपकरणों को सस्ती कीमतों पर ज्यादा लोगों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखती है। सरकार चाहती है कि यह ग्राहक को भी उचित कीमत पर मिले और इसे बनाने के उद्योग में लगे सभी हितधारकों को युक्तिसंगत मुनाफा भी हो। इसलिए उसने इस संबंध में लोगों से 15 जून 2018 तक सुझाव आमंत्रित किए हैं।

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