विकास को झटका

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून में देश का सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) घट कर 5.7 प्रतिशत पहुंच गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत था। राजग सरकार के तीन साल के कार्यकाल के दौरान यह अब तक सबसे निचला स्तर है। क्या इसकी वजह नोटबंदी थी? इस सवाल पर तो विशेषज्ञों में मतभेद हैं। अलबत्ता ज्यादातर अर्थशास्त्री और आर्थिक विशेषज्ञ जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) के लागू होने को एक वजह के तौर पर देख रहे हैं। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी ने इस

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नृत्यः परशु प्राप्त कर राम कहलाए परशुराम

छऊ नृत्य के जाने-माने गुरुओं में गुरु शशिधरन नायर का नाम शामिल है। वह करीब तीन दशक श्रीराम भारतीय कला केंद्र से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की विभिन्न शैलियों के मेल-जोल से चक्रव्यूह, परिक्रमा, मीरा, कृष्ण कथा, श्रीदुर्गा जैसी नृत्य रचनाओं की परिकल्पना की। उन्होंने जिस तरह से पात्रों की परिकल्पना की है और उन्हें नृत्य में ढाला है, वह अनुपम रहा है। क्योंकि नृत्य और नृत्याभिनय के जरिए इन पात्रों की संवेदनाओं को स्पर्श करना मुश्किल काम है। शायद, इसी कारण उन्हें कला जगत में एक

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व‍िवाद‍ित बाबाओं से खाली नहीं कोई राज्‍य: जान‍िए कहां क‍िसका दबदबा और हैं कैसे-कैसे आरोप

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम को दो साध्वियों के साथ रेप करने पर 20 साल की सजा सुनाई गई है। लेकिन भारत में केवल ये ही एक विवादित बाबा नहीं था। भारत का कोई भी राज्य विवादित बाबाओं से खाली नहीं है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि किस राज्य में किस बाबा का है दबदबा और कैसे-कैसे लगे हैं उन पर आरोप… कर्नाटक: स्वामी नित्यानंद पर रेप, धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। साल 2010 में एक एक्ट्रेस के साथ आपत्तिजनक स्थिति में इनका एक

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दिल्ली: कानून बचाने वाले ही हैं तोड़ने वाले, कांस्टेबल से इंस्पेक्टर तक दर्ज हैं आपराधिक मामले

दिल्ली पुलिसकर्मियों पर बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज हैं। साल 2010 से 30 मई 2017 तक के आंकड़े बयां करते हैं कि कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक कानून को संभालने में नहीं उसे तोड़ने में जुटे हैं। सूचना के अधिकार के तरह मिले इन आंकड़ों को ब्योरेवार और नाम के साथ मुहैया कराया गया है। कहां, किस हालात में पुलिसवाले पीड़ितों को मदद करने के बजाए उनसे वसूली करते, शोषण करते पाए गए और फिर विभागीय दंश झेलते हुए इस समय कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। इंदिरा गांधी

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आजीविका मूल्य की कसौटी

अपने परिवार की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए आजीविका मूल्य प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का मौलिक अधिकार है। मनुष्य को दिन भर काम के बदले मिलने वाला परिश्रम-मूल्य उसके परिवार का पोषण-मूल्य प्राप्त करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, जिससे परिवार की आहार, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की आवश्यकताएं पूरी हो सकें। उद्योग जगत में वस्तु का उत्पादन मूल्य निर्धारित करते समय कर्मकारों की मजदूरी, लागत खर्च, प्रबंधन, व्यवस्थापन मूल्य के साथ मुनाफा जोड़ा जाता है, जिससे उद्योगपतिको एक उत्पादक के नाते आमदनी प्राप्त होती है।  किसान कुशल श्रमिक,

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लोकभाषाओं की खातिर

विश्वास व अंधविश्वास डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सुनाई गई बीस साल की सजा ने इस ‘बाबा’ को आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया, यह असल मायनों में कानून की सर्वोच्चता सिद्ध करता है।  इस तरह के अपराध भविष्य में न हों, इसका सिर्फ एक उपाय है, लोगों में अंधविश्वास के विरुद्ध जागरूकता फैलाना और मानवता से सच्चा परिचय कराना। गौरतलब है कि हमारी ज्यादातर ग्रामीण जनसंख्या अब भी अंधविश्वासों में उलझी हुई है। उम्मीद है कि इस फैसले से उसकी आंखें खुलेंगी। लेकिन यह तभी संभव

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दुनिया मेरे आगे- तकनीक बिना जिंदगी

कुछ दिन पहले मुझे शिक्षकों के समूह के साथ एक कार्यशाला में भाग लेने का अवसर मिला। जिस तीन मंजिला भवन में हम लोग गए थे, वह एक पहाड़ी क्षेत्र में था। भवन तीन ओर पहाड़ियों और सामने एक झील से घिरा हुआ था। सभी लोग इसे लेकर उत्साहित थे क्योंकि बारिश के दिनों में पहाड़ी क्षेत्र में जाने के साथ पढ़ाने या पढ़ने के मामले में सीखने का अवसर भी मिल रहा था। बस में सफर के दौरान ही सभी लोग अलग-अलग समूहों में बंट कर योजना में व्यस्त

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Bakra Eid 2017: भारत में 2 सितंबर को मनाई जाएगी बकरीद, जानिए- क्या है इस त्योहार का महत्व

इस्लाम धर्म में ईद त्योहार का काफी महत्व है। हर साल दो ईद (ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा) मनाई जाती है। अब 2 सितंबर को भारत में ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाई जाएगी। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-जुहा 12वें महीने धू अल-हिज्जा के दसवें दिन मनाई जाती है। ईद को इस्लाम धर्म में काफी अहम माना गया है। इसे कुर्बानी का पर्व कहा गया है। बकरीद के दिन अपनी किसी प्रिय चीज की अल्लाह के लिए कुर्बानी देनी होती है। हालांकि, अभी बकरे, भैंस या ऊंट की कुर्बानी देने की रिवाज है। बकरीद के

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लालू का खौफ

लालू का खौफ नीकु जता तो यही रहे हैं कि लालू प्रसाद से अलग होने के बाद वे राहत महसूस कर रहे हैं। किसी दबाव में नहीं हैं। बेरोकटोक जो चाहेंगे करेंगे। भाजपा से उन्हें भला क्या खतरा? उलटे खतरा तो भाजपा के बल से टल गया है। पर जानकार कुछ और ही खुसर-फुसर कर रहे हैं। नीतीश कुमार अब लालू प्रसाद से डर रहे हैं। लालू चुप तो बैठेंगे नहीं। नीकु से उन्होंने इस बार जैसा धोखा खाया है वैसा पहले कभी नहीं खाया था। नीकु भी जानते हैं

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कठघरे में सरकार

हरियाणा सरकार को एक बार फिर उच्च न्यायालय की फटकार सुननी पड़ी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआइ अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद फैली हिंसा से नाराज पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए शहर को जल जाने दिया गया। एक सरकार के व्यवहार पर अदालत की इससे कठोर टिप्पणी और क्या हो सकती है! अदालत ने उचित ही, केंद्र को भी नहीं बख्शा। यों कानून-व्यवस्था की कसौटी पर तमाम सरकारों की कुछ-न-कुछ खामी बताई जा सकती है। मगर खट््टर

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चार सौ भाषाओं पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है

खतरे में लोकभाषाएं पीपल्स लिग्विंस्टिक सर्वे आॅफ इंडिया (पीएलएसआइ) का यह खुलासा बेहद चिंताजनक है कि देश में बोली जाने वाली आठ सैकड़ा भाषाओं में आधी भाषाएं आगामी पचास वर्ष बाद सुनाई नहीं देंगी। सर्वे में कहा गया है कि देश के आदिवासी समुदायों की भाषाएं तेजी से विलुप्त हो रही हैं और अगर इन्हें सहेजा नहीं गया तो देश की यह अमूल्य धरोहर खत्म हो जाएगी। सर्वे के मुताबिक देश में तकरीबन 780 भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से चार सौ भाषाओं पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।

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राम रहीम से टकराना नहीं था आसान, इन चार ‘हीरो’ के हौसलों से बाबा पहुंचा जेल

ऐसा बाबा जिसकी रसूख और दबदबे के आगे सरकारें कांपती हों, एक ऐसा बाबा जिसके चरणों पर बड़े-बड़े सियासतदां सजदा करते हों, एक ऐसा बाबा बलात्कारी करार दिए जाने के बाद भी राज्य का एडिशनल एडवोकेट जनरल जिसका बैग उठा कर खुद को धन्य समझता हो, वैसे बाबा से टकराना कोई मामूली बात नहीं. ऐसे बाबा से टकरा कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए यकीनन जिगर चाहिए, आपको ऐसे 4 हीरो़ के बारे में बताते हैं, जिन्होंने बाबा को डेरा से उठा कर रोहतक जेल तक पहंचा दिया.

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नेपाल के साथ

भारत और नेपाल के रिश्तों में कुछ समय से खटास की स्थिति थी। लेकिन दोनों देशों के संबंधों के अतीत के मद््देनजर और वर्तमान के महत्त्व को देखते हुए बिगड़ते हालात को सुधारने की कोशिशें हुर्इं, और अब दोनों देशों के संबंध फिर पटरी पर आते दिख रहे हैं। भारत के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चिंता यही है कि जिन पड़ोसी देशों के साथ संबंध सहज नहीं हैं, वे कहीं भारत-विरोधी गतिविधियों के अड्डे न बन जाएं। पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। थोड़े समय पहले नेपाल को लेकर भी

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चौपालः संकट की खेती

पिछले सात दशक से किसानों को इंतजार है ऐसी सरकार का जो उनके मर्ज का इलाज करे, लक्षणों का नहीं। देशभर में जो लोग किसानों के विरोध की लहर को खारिज करते हैं उन्हें सबसे पहले भारतीय किसानों के जटिल अर्थशास्त्र को समझना चाहिए। भारत में अधिकतर किसान आपदा के एक ऐसे अशांत समुद्र में तैरते हैं, जहां उन्हें कोई सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। भारत में आये दिन किसानों की आत्महत्याओं पर चर्चा होती है। किसान हताशा में नया नेता खोज रहे हैं जिस पर भरोसा कर सकें। उनकी कर्ज

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दुनिया मेरे आगेः जड़ चेतना

महिलाओं की चोटी काटने की घटनाएं और उससे जुड़ी अफवाहों की वजह से भीड़ के हाथों दो महिलाओं के मारे जाने की खबर अभी पूरी तरह ठंडी भी नहीं हुई है कि एक और अंधविश्वास ने एक बुजुर्ग की जिंदगी में त्रासदी घोल दी। मेरा खयाल है कि इस अंधविश्वास में जहां दबंगों का हाथ है, वहीं घर वालों ने भी डर के मारे अंधविश्वास को मानते हुए घर की बुजुर्ग महिला को बीस दिनों तक काल कोठरी में बंद कर दिया। मामला उस राज्य यानी राजस्थान का है जहां

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