EU सांसदों के कश्मीर दौरे पर शिवसेना का सवाल, ‘क्या यह भारत की संप्रभुता पर हमला नहीं?’

शिवसेना के मुखपत्र सामना कें संपादकीय में केंद्र सरकार की कश्मीर नीति की चर्चा की गई है. संपादकीय में जहां अनुच्छेद 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर के हालात को कंट्रोल करने के लिए मोदी सरकार की तारीफ की गई है वहीं यूरोपियन यूनियन के सांसदों के राज्य के दौरे को लेकर सरकार पर हमला भी बोला गया है

सामना में लिखा है जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाया और अब कश्मीर घाटी की परिस्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. आयात-निर्यात शुरू है. फोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है. वहा की जनता खुलकर आजादी का स्वाद और सांस ले रही है. ऐसे समय में यूरोपियन समुदाय का 23 सदस्यों का एक दल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आया हुआ है.

जम्मू-कश्मीर हिंदुस्तान का आंतरिक मामला है तो ऐसे में यूरोपियन समुदाय के दल के कश्मीर में आने का प्रयोजन क्या है ? कश्मीर कोई अंतरास्ट्रीय मुदा नहीं है . इस मामले को पंडित नेहरू ‘यूएन’ में लेकर गए थे जिस पर आज भी बहस होती है . इसलिए अब यूरोपियन समुदाय के प्रतिनिधि मंडल के जम्मू कश्मीर में आने से विरोधियों को फालतू का मुद्दा मिल जाएगा .

संपादकीय में कहा गया है, ‘आपको यूएन का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है लेकिन यूरोपियन समुदाय का कश्मीर आकर दौरा करना क्या हिंदुस्तान की आज़ादी और संप्रभुता पर बाहरी हमला नहीं है ? कश्मीर में आज भी नेताओं के लिए प्रवेश बंद है. ऐसे में यूरोपियन समुदाय के सदस्य कश्मीर आकर क्या करनेवाले हैं.

सामना में कहा गया है, प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मैं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर राष्ट्रीय भावनाओं को ज्वलंत कर दिया है हमारा इतना ही कहना है यूरोपियन यूनियन के सांसद कश्मीर घूमकर शांतिपूर्वक लौट जाएं और वहां का वातावरण ना बिगड़ने पाएं.

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