प्रधानमंत्री अपनी सरकार की नीतियां और योजनाएं बनाने के लिए जनता के साथ राय-मशविरा करें

संवाद का विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के तीन साल पूरे होने पर 36वें प्रसारण में कहा कि यह उनके मन की बात नहीं है बल्कि भारत की सकारात्मक शक्ति, देश के कोने-कोने से लोगों की भावनाओं, इच्छाओं, शिकायतों को सामने रखने का एक ऐसा मंच है जो प्रेरणा देने के साथ ही सरकार में सुधार का वाहक बन रहा है। वाकई यह ऐसा रेडियो कार्यक्रम है जिसमें प्रधानमंत्री आम जन की रोजमर्रा जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर विचार रखते हैं। वे आम लोगों के मन की बात कहते हैं और उनके इस काम ने करोड़ों लोगों को जगाया है, प्रेरणा दी है। स्वच्छता से लेकर अवसाद, बच्चों की पढ़ाई, खेल-कूद, अंगदान जैसे विषयों को इसमें उठाया गया है, जिससे लोग जुड़ाव महसूस करते हैं। इसमें प्रधानमंत्री अपनी बात कहने के अलावा कुछ लोगों की बातों को भी शामिल करते हैं, जो उन्हें श्रोताओं ने भेजी होती हैं।

किसी लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में इससे बेहतर और आदर्श स्थिति क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री अपनी सरकार की नीतियां और योजनाएं बनाने के लिए जनता के साथ राय-मशविरा करें। इस संवाद से जनता की नजर में जहां सरकार की विश्वसनीयता बढ़ी है, वहीं जनता की अपेक्षाओं के बारे में सरकार को सीधी और वास्तविक जानकारी मिल रही है। सरकार और जनता के बीच यह ऐसा मंच है जिसमें लोग जन समस्याओं को सामने रखने के बजाय सुझाव दे रहे हैं कि सरकार अपनी कार्यप्रणाली को किस तरह अधिकाधिक जनहितकारी बना सकती है।

‘मन की बात’ की उपयोगिता, सार्थकता व जनता पर उसके सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। देश की चुनिंदा शख्सियतों को, जिनके पास ज्ञान और अनुभव की अनमोल संपदा हो, उन्हें समय-समय पर इसमें आमंत्रित किया जा सकता है। साथ ही, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बिहार सरकार की तरह ‘लोक संवाद’ कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। इसलिए अब यह बेहतर होगा कि मन की बात और लोक संवाद जैसे कार्यक्रमों का विस्तार जिला स्तर पर भी किया जाए ताकि शासन को स्थानीय अपेक्षाओं के बारे में भी पता चल सके। जिला स्तर पर यह जिम्मेदारी प्रभारी मंत्री या सांसद को सौंपी जा सकती है। इस प्रक्रिया के जरिए स्थानीय स्तर पर सरकारी योजनाओं के बारे में बेहतर निगरानी रखने में मदद मिलेगी। यदि ऐसा किया जा सका तो शासन प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

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