जोखिम का भोजन

देश के अलग-अलग इलाकों में स्थित स्कूलों में विद्यार्थियों को दिए जाने वाले दोपहर के भोजन में कीड़े-मकोड़े पाए जाने या विषाक्त पदार्थ मिला होने की खबरें अक्सर आती रही हैं। कई बार ऐसी खबरें भी आर्इं, जिनमें छिपकली के गिर कर मर जाने से भोजन जहरीला हो गया और उसके चलते काफी बच्चे बीमार हो गए। ऐसे मामलों को दूरदराज में असुविधाओं के बीच व्यवस्थागत कमियों के तौर पर देखा जाता है और कार्रवाई में टालमटोल की जाती है। लेकिन हैरानी की बात है कि ऐसी लापरवाही बरतने के

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कूटनीतिक कामयाबी

भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता में दो बड़ी कूटनीतिक कामयाबियां हासिल की हैं। भारत की पहली और बड़ी सफलता यह रही है कि उसने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को आतंकी ठिकानों को नष्ट करने में सहयोगी बनने पर राजी कर लिया। साथ ही, भारत ने युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों के साथ भारतीय सैनिकों की तैनाती की किसी भी संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया। ये दोनों मसले भारत के लिए बेहद अहम हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ट्रंप प्रशासन के पहले बड़े ओहदेदार हैं,

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कोलकाता के पंडालों में सजावट की सुगंध भागलपुर के कलाकार ही डालते हैं

भले ही दुर्गापूजा के मौके पर कोलकाता में बने भव्य पंडालों की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही हो, मगर इनमें सुगंध भागलपुर के कलाकार ही डालते हैं। ये कलाकार यहां के कलाकेंद्र से जुड़े हैं। इन कलाकारों ने यहां के प्राचार्य रामलेखन सिंह गुरुजी और वरीय साथी शशिशंकर गुर सीखे हैं। गौरतलब है कि मंजूषा चित्रकला भागलपुर क्या अंग जनपद की लोक चित्रकला नाम से पूरे देश में जानी जाती है। वैसे इस चित्रकला में बिहुला विषहरी की लोक गाथा से जुड़े चित्र को ही पेंटिंग के जरिए उकेरा

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जसवंतनगर- यहां रावण भी है पूजनीय

रामायण का सबसे क्रूर पात्रों में से एक रावण के बारे मे तरह-तरह की कहानियां सुनने को मिलती है लेकिन इटावा जिले में जसवंतनगर में रावण की पूजा-आरती होती है। यहां रावण के पुतले को जलाया भी नहीं जाता। लोग पुतले की लकड़ियों को अपने घर ले जाते हैं ताकि वे सालभर हर संकट से दूर रह सकें। ऐसी रामलीला नहीं होती है कहीं  यहां की रामलीला कुछ अलग ढंग की होती है। इसी कारण साल 2010 में यूनेस्को की रामलीलाओं के बारे जारी की गई रिपोर्ट में भी इस

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महिला आरक्षण का गतिरोध

हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष का विधायिका में महिला आरक्षण के संबंध में प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र इसमुद््दे को पुन: चर्चा में ले आया है। इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन (आइपीयू) की रिपोर्ट तो यही बताती है कि भारत की संसद या विधानसभाओं में महिला जनप्रतिनिधियों की काफी कम उपस्थिति महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण राजनीतिक मानसिकता की देन है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में, महिलाओं के राजनैतिक विकास के संबंध में गहन विश्लेषण करने के लिए चार मुख्य बिंदुओं पर विचार करना जरूरी है- राजनीतिक जागरूकता, राजनीति में भागीदारी, राजनीतिक नेतृत्व प्राप्त करना

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मौत का गेम

जानलेवा ब्लू ह्वेल गेम, जिसका कि दूसरा नाम ब्लू ह्वेल चैलेंज भी है, ने आखिरकार एक और बच्चे को अपना शिकार बना लिया। हरियाणा के पंचकूला में सोलह साल के दसवीं के एक छात्र ने इस हत्यारे खेल के चक्कर में फंस कर शनिवार को पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। इसी साल अगस्त में इंदौर में तेरह साल के एक छात्र ने तीसरी मंजिल से छलांग कर इस गेम की वजह से खुदकशी करने की कोशिश की थी। कुछ दिनों पहले भारत में इस खेल के चक्कर में

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सौभाग्य’ की बिजली

प्रधानमंत्री ने सोमवार को ‘सौभाग्य’ या सहज बिजली हर घर योजना नाम से विद्युतीकरण के जिस कार्यक्रम की घोषणा की, वह लक्ष्य के लिहाज से अपने आप में कोई नई बात नहीं है। यूपीए सरकार के दौरान राजीव गांधी ग्राम विद्युतीकरण योजना का मकसद भी सब तक बिजली पहुंचाना ही था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी, 2015 में अठारह हजार से ज्यादा गांवों के विद्युतीकरण का काम एक हजार दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा था। एक साल बाद स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा

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सुरक्षित निवेश के सिमटते दायर

मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को कम करके पिछले दिनों छह प्रतिशत कर दिया। इसके तुरंत बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते में दिए जा रहे ब्याज दर को चार से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया। दूसरे निजी और सरकारी बैंकों ने भी बचत खाते पर दिए जा रहे ब्याज दर में कटौती की। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे दिग्गज बैंकों का नाम भी इसमें शामिल है। बैंकों द्वारा ऐसा करना लाजिमी था, क्योंकि रेपो दर में कटौती करने से बैंकों के पास सस्ती

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हिंसा के परिसर

यह समझ पाना मुश्किल है कि बातचीत के जरिए विद्यार्थियों की समस्याएं सुलझाने के बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन केवल बल प्रयोग पर क्यों यकीन करने लगा है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय और चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में पुलिस के जरिए विद्यार्थियों को ‘अनुशासित’ करने का प्रयास किया गया। उसके चलते प्रशासन के तौर-तरीकों को लेकर ढेरों सवाल उठे। पर लगता है, उन घटनाओं से दूसरे विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कोई सबक नहीं लिया। इसी का नतीजा है कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में सुरक्षा की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से

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विकास बौरा गया है

बुलेट चली। बुलेट चली। बुलेट उनकी। जैकेट हमारी। एक जैकेट के बदले एक बुलेट। सौदा बुरा नहीं। बधाई। मेहमाननवाजी हो तो ऐसी कि मेहमान-मेजबान हर वक्त मुस्कराते दिखें और बटन दबे तो बुलेट चलती दिखे। चैनलों ने पूरे दिन बुलेट चलाई। लेकिन शाम तक बुलेट बहस में फंस गई। वही मरा-मरा सा समाजवाद कहता कि ट्रेन की पटरी ठीक नहीं की जाती और बुलेट चलाएंगे?एक चैनल पर पत्रकार ज्योति मल्होत्रा ने बीच बहस में यह चुटकी ली कि अगर कोई दिल्ली की जगह अमदाबाद को राजधानी बनाना चाहता है, तो

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तनाव के माहौल में विकास की बातें

राहुल गांधी ने अपने अमेरिकी दौरे पर जहां भारत की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर कुछ सच्ची बातें कहीं, वहीं सहनशीलता और अमन-शांति को लेकर झूठ भी इतना बड़ा बोला कि उसका विश्लेषण जरूरी हो गया है। मेरे जैसे वरिष्ठ राजनीतिक पंडितों को मालूम है कि राजनेताओं को कभी झूठ बोलना ही पड़ता है, लेकिन इन झूठों का एक दायरा होता है और उस दायरे को पिछले हफ्ते राहुलजी ने एक बहुत बड़ा झूठ बोल कर तोड़ डाला। राहुलजी ने किसी अमेरिकी विश्वविद्यालय के भारतीय छात्रों से बातें करते हुए कहा

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छपाई वाले परिधान में नई धज

फैशन में लोगों की पसंद के अनुसार रुझान बदलते रहते हैं। मौसम के मुताबिक भी पहनावे में रंग और बनावट बदलते रहते हैं। इन दिनों पहनावे में प्रिंट यानी छपाई वाले कपड़ों का चलन है। इसके साथ-साथ अब बैग, जूते-चप्पल और परिधान के साथ इस्तेमाल होने वाली दूसरी सामग्री भी छापेदार उपयोग में लाई जाने लगी है। छापे के नए चलन के बारे में बता रही हैं अनुजा भट्ट। मौसम के हिसाब से इन दिनों फैशन में सबसे ज्यादा चलन प्रिंट का है। प्रिंट अपने रंगों और डिजाइन में सभी

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महान क्रांतिकारी महिला – मैडम भीकाजी कामा

काजी रुस्तम कामा को मैडम कामा के नाम से भी जाना जाता है। वे भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थीं। उन्होंने दुनिया के तमाम देशों में जाकर भारत को आजाद कराने के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया था।  ’मैडम कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में 22 अगस्त, 1907 में सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान भारतीय तिरंगा फहराया था। उन्होंने इस तिरंगे में भारत के विभिन्न समुदायों को दर्शाया था। उनका तिरंगा आज के तिरंगे जैसा नहीं था। भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर, 1861 को मुंबई में

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असुरक्षित बचपन

इधर स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सारे देश में किसी ने किसी ढंग से चर्चा होती रही है। कुछ महीने पहले निजी स्कूलों के पालकों ने कई राज्यों में इन स्कूलों में लगातार बढ़ती फीस को लेकर प्रदर्शन किए। यह आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। राज्य सरकारों ने फीस पर नियंत्रण करने के वादे भी किए हैं। कई दर्दनाक दुर्घटनाओं में मासूम नौनिहालों का जीवन जाता रहा। दुष्कर्म की घृणित वारदातें भी सामने आर्इं। इन सबके बाद भी स्कूलों ने पालकों के आक्रोश और अपेक्षाओं को समझने

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राम एक लीलाएं अनेक

हमारे यहां दशहरे की परंपरा सदियों पुरानी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। ज्यादातर जगहों पर रामलीलाएं आयोजित होती हैं। हर रामलीला का अपना रंग है, अपनी रीत और ढंग है। उनमें शास्त्रीय से लेकर लोक शैली की अद्भुत छटा है। जहां रामलीलाओं का मंचन नहीं होता, वहां दशहरा मनाने का अपना-अपना ढंग है। उनमें कुल्लू और मैसूर के दशहरे की शाही परंपरा है, तो बनारस के रामनगर और अवध के दूसरे हिस्सों में मंचित होने वाली रामलीलाओं का अपना इतिहास। रामलीलाओं के

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