दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फ़ैसला: अपनी आय से पत्नी के नाम खरीदी संपत्ति का मालिक होगा पति

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के एक फैसले को पटलते हुए कहा है कि यदि एक व्यक्ति अपने आय के ज्ञात स्रोत से एक अपनी पत्नी के नाम पर एक संपत्ति खरीदता है तो उस संपत्ति का मालिक वह खुद होगा, ना कि उसकी पत्नी। हालांकि जायदाद के दस्तावेज पत्नी के नाम से होंगे, लेकिन संपति का मालिक पति ही होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए निचली अदालत की एक गलती को भी पकड़ा, जहां पर जज ने पुराने कानून को आधार मानते हुए इसके विपरित फैसला दिया था, लेकिन जब जज उस कानून को आधार मानकर फैसला दे रहे थे, उस समय वो कानून चलन में था ही नहीं। इस मामले में जस्टिस वाल्मीकि जे मेहता ने एक शख्स के वकील के दलीलों को मानते हुए कहा, “दुर्भाग्य से ट्रायल कोर्ट ने इस वाद को खारिज कर एक गंभीर और मौलिक गलती की है, जिसे पति ने दायर किया था, अदालत इस तथ्य को ही भील गई कि पिछला कानून अब चलन में ही नहीं है।”

जस्टिस वाल्मीकि जे मेहता ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पटलते हुए ये आदेश दिया। ट्रायल कोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा था कि पति अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून के तहत ऐसा करना मना है। इस मामले में पति के तरफ से मुकदमे की पैरवी कर रहे वकील एम सूफी सिद्दीकी ने कहा कि पति द्वारा दिल्ली और गुड़गांव में खरीदी गई संपत्तियां उसके आय के ज्ञात स्रोत से खरीदी गई है, और ये 2016 में बेनामी संपत्ति की परिभाषा में की गई परिवर्तन के बाद उसके दायरे में नहीं आता है।

अदालत ने अपने जजमेंट में कहा, “एक व्यक्ति के लिए अपने आय के ज्ञात स्रोत से स्पाउज के नाम पर संपत्ति खरीदना कानूनी रुप से वैध है…और इस हालत में खरीदी गई संपत्ति बेनामी संपत्ति नहीं होगी, बल्कि इस केस में संपत्ति का कानूनी मालिक पति होगा, ना कि पत्नी जिसके नाम से संपत्ति के कागजात होंगे।” हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि निचली अदालत फिर से तय करे कि क्या पति को कानून में बदलाव का फायदा मिलेगा।

प्रीतम पाल सिंह

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