8 साल की बच्ची के दिमाग में 100 से ज्यादा केंचुओं के अंडे देख दिल्ली के डॉक्टरों के उड़े होश

आठ साल की मासूम बच्ची के दिमाग में केंचुए के अंडे मिलन से चिकित्सक भी हैरान परेशान हो गए। नेहा (बदला हुआ नाम) के ब्रेन में पिछले कुछ दिनों से काफी सूजन था। तेज सिर दर्द के साथ-साथ नेहा को सांस लेने और चलने-फिरने काफी तकलीफ के अलावा मिर्गी आने की भी शिकायत थी। जिसके बाद नेहा के माता-पिता ने उसे नई दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया। यहां नेहा की हालत देखकर डॉक्टरों ने सबसे पहले उसके माता-पिता को नेहा का सिटी स्कैन कराने की सलाह दी। सिटी स्कैन की रिपोर्ट देखकर डॉक्टरों के भी होश उड़ गए। नेहा के दिमाग में 100 से भी ज्यादा केंचुए के अंडे मिले ।

डॉक्टरों के मुताबिक नेहा के सिटी स्कैन में 100 से ज्यादा उजले धब्बे नजर आए। यह धब्बे केंचुए के अंडे हैं। नेहा के खून से केंचुए के अंडे उसके दिमाग तक जा पहुंचे। लंबे समय तक केंचुए के रहने की वजह से ही नेहा को सिर दर्द की शिकायत और मिर्गी जैसे लक्षण उत्पन्न हुए। इन फीताकृमियों की वजह से नेहा का वजन भी 20 किलोग्राम बढ़ गया। डॉक्टरों के मुताबिक दुर्भाग्यवश खाना खाने के दौरान केंचुए के अंडे उसके शरीर में प्रवेश कर गये। नवर्स सिस्टम के जरिए यह अंडे नेहा के ब्रेन में पहुंचे। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक जिस वक्त नेहा को अस्पताल में भर्ती कराया गया वो उस वक्त सिर में सूजन की वजह से अचेत अवस्था में थी।

डॉक्टरों ने इस बच्ची का इलाज कृमिनाशक थेरेपी के जरिए शुरू किया। दिमाग में आए सूजन को कम करने के लिए डॉक्टरों ने जरूरी दवाइयां दी। मिर्गी आने के प्रकारों और उसके समय का गहन अध्ययन कर डॉक्टरों ने बच्ची का इलाज किया। बाद में धीरे-धीरे कृमिनाशक थेरेपी को बंद किया गया और फिर इस बच्ची के दिमाग का वजन कम होना शुरू हो गया। चमत्कारिक ढंग से अब यह बच्ची चलने-फिरने की अवस्था में है। विशेषज्ञों के मुताबिक कई बार मिर्गी को नजरअंदाज करना इन बीमारियों के फैलने की प्रमुख वजह बन जाती है। एक्सपर्टस के मुताबिक खाने पकाते समय भी सुरक्षा के जरुरी उपाय करना जरूरी है।

इलाज के बाद स्वस्थ होने पर बच्ची के माता-पिता काफी खुश हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी ऐसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक न्यूरो सिस्टी सरकोसिस यानी पेट के केंचुए (फीताकृमि) में मौजूद होते हैं। यह मल के रास्ते शरीर से निकलता है। खेत में शौच करने पर यह जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियों पर साग, धनियां, ककड़ी, गाजर आदि में यह चिपक जाते हैं। इन सब्जियों को ठीक से धुलकर या उबालकर न खाने वालों के पेट के रास्ते यह कीड़ा दिमाग में चला जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *