विश्व हिंदी सम्मेलन: ऐसे आयोजनों से तो नहीं लहराएगा हिंदी का परचम

अजय पांडेय

मॉरीशस में शनिवार से शुरू हो रहे 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन को सरकारी अमला भले ही दुनिया भर में हिंदी का परचम लहराने की जोरदार कवायद करार दे रहा हो। दिल्ली के सियासी गलियारों में यह चर्चा बड़ी जोरदार है कि चुनिंदा लोगों के विदेशी सैर-सपाटे से हिंदी का भला नहीं होने वाला। अपने चहेते लोगों को मॉरीशस जाने वालों की फेहरिस्त में शामिल कर सरकार ने भले ही अपनी तैयारी को मुकम्मल मान लिया हो लेकिन विपक्ष के नेता सरकार के इस रवैए को हिंदी के साथ भेदभाव करार दे रहे हैं।

विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन में केंद्रीय विदेश मंत्रालय का हस्तक्षेप क्यों और किस स्तर तक होना चाहिए तथा हिंदी के विकास में जुटी स्वायत्त संस्थाओं को ऐसे आयोजनों में मुख्य भूमिका में क्यों नहीं होना चाहिए? इन सवालों के जवाब में कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हमारी राष्ट्रीयभाषा हिंदी का विकास हो, ऐसा हम सभी चाहते हैं। हिंदी लगातार तरक्की करे, आगे बढ़े इसके लिए प्रयास जरूरी हैं। लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों को विदेशी सैर-सपाटे के लिए भेज देने से हिंदी आगे बढ़ेगी, इसमें पूरा संदेह है। उन्होंने कहा कि जहां तक स्वायत्तशासी संस्थाओं का सवाल है तो आज पूरा देश देख रहा है कि जब केन्द्र की सरकार देश की पहले से स्थापित मजबूत स्वायत्तशासी संस्थाओं के कामों में हस्तक्षेप कर रही है तो यह कैसे माना जाए कि वह हिंदी के मामले में ऐसा नहीं करेगी। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने कहा कि यूपीए सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर गृह मंत्रालय संभालते हुए उन्हें हिंदी विभाग भी संभाला।

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