जानिए भगवान शिव के पास कैसे आया था त्रिशूल, डमरू, सांप और चंद्रमा

भगवान शिव का ध्यान करने से ही एक ऐसी छवि उभरती है जिसमें वैराग है। इस छवि के हाथ में त्रिशूल, वहीं दूसरे हाथ में डमरु, गले में सांप और सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है। किसी भी शिव मंदिर या मूर्ति में भगवान शिव के पास ये चार चीजें हमेशा मिलती हैं। कई सवाल इसके साथ जुड़े हैं कि भगवान शिव के साथ ही ये सब चीजें प्रकट हुई थी। इन सवालों का ये भी उत्तर हो सकता है कि समय के साथ और अलग-अलग घटनाओं के साथ

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कालभैरव अष्टमी 2017: भगवान शिव के रुप भैरव की अराधना करने से रुकता है धन प्रवाह, जानिए अन्य लाभ

हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रुप काला भैरव की पूजा की जाती है। इस दिन का व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। मार्गशीर्ष माह की काला अष्टमी सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस अष्टमी के दिन ही काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इसदिन के लिए मान्यता है कि भगवान शिव ने पापियों को दंड देने के लिए रौद्र रुप धारण किया था। भगवान शिव के दो रुप

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पशुपतिनाथ मंदिर: दुनिया के सांस्कृतिक धरोहरों में यूनेस्को ने किया शामिल, जानें भोलेनाथ के इस मंदिर की खासियत

नेपाल में स्थित भगवान शिव का पशुपतिनाथ मंदिर विश्वभर में प्रख्यात है। इस मंदिर का महत्व अमरनाथ और केदारनाथ से किसी भी तरह से कम नहीं है। पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के किनारे पर स्थित है। ये मंदिर भगवान शिव के पशुपति रुप को समर्पित है। इस मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया है। इस मंदिर को नेपाल का सबसे प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। हिंदू धर्म के 8 पवित्र स्थलों

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खास है पश्चिम बंगाल का यह काली मंदिर, चढ़ाया जाता है सिर्फ 3 बूंद खून

पौराणिक भारत में कई ऐसी मान्यताएं थी जो लोगों में अंधविश्वास की भावना फैलाती थी। भारत एक ऐसा देश है जिसमें कई संस्कृतियों का मेल है और उनके साथ चलती हैं कई मान्यताएं। ये मान्यताएं कई बार लोगों द्वारा आंख बंद करके सदियों तक चलाई जाती हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल के कूच बेहर में स्थित बोरोदेवी मंदिर है। इस मंदिर में मनुष्य का खून चढ़ाने की 500 साल पुरानी मान्यता है। माना जाता है कि इस मंदिर में बिना इंसानी खून के पूजा सफल नहीं होती है। हर अष्टमी

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जानिए कैसे नानक देव ने बदल दी थी काबा की दिशा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सिक्खों के गुरु श्री नानक देव यात्रा करते हुए मक्का मदीना पहुंच गए थे। जब वह मक्का मदीना पहुंचे तो शाम हो चुकी थी और उनके सहयात्री सहयात्री काफी थकान महसूस कर रहे थे तो मक्का में मुस्लिम समुदाय का प्रसिद्ध पवित्र स्थान काबा में अपनी थकान मिटाने के लिए लेट गए थे लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके पैर किस दिशा में है। मुस्लिम धर्म में ये मान्यता है कि मक्का मदीना की ओर पैर करके नहीं सोया

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दिल्ली के इस अतिसुरक्षित इलाके में है 100 साल पुराना काली माता का मंदिर

भारत की राजधानी दिल्ली में कई ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे हर कोई नहीं जानता है लेकिन उनकी प्रख्याति वहां के आस-पास के इलाकों में बहुत अधिक है। ऐसे ही दिल्ली का एक ऐसा मंदिर है जहां पिछली चार पीढ़ियों से एक राजपूत परिवार सेवा कर रहा है। दिल्ली के सबसे सुरक्षित और सबसे वीवीआईपी इलाके में काली भैरों का ये मंदिर स्थित है। प्रधानमंत्री आवास से कुछ ही दूरी पर स्थित नेहरु पार्क के विनय मार्ग की जहां पर पिछले 100 सालों से माता का ये मंदिर स्थित है।

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क्या हुआ जब भगवान कृष्ण घर ले आए नई माता, जानिए कैसे किया था स्वागत

भगवान कृष्ण की अद्भुत लीलाएं और उनका प्रेम को परिभाषित करने वाली कहानियां हम सभी ने सुनी हैं। अपनी माता के लाडले कृष्ण की कहानियां जिसमें उनकी नटखट बातों में भी मासूमियत समाई हुई है। श्री कृष्ण के व्यक्तित्व के अनेकों पहलू हैं। अपनी मां के सामने रुठने और जगत के सामने लीलाएं दिखाना एक आकर्षक पहलू हमेशा से रहा है। महाभारत में बिना शस्त्र उठाए उन्होनें नायक की भूमिका निभाई है। कितने राक्षसों का वध करके उन्होनें कितने मासूमों की जान बचाई। भगवान कृष्ण की क्रीडाओं में खेल के

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क्रोधित होकर चली गई थीं माता लक्ष्मी, जानिए क्या है समुद्र मंथन की कथा

समुद्र मंथन के लिए अनेकों कथाएं प्रचलित हैं कि असुरों और देवों में हमेंशा शक्तिशाली होने के लिए युद्ध रहता था। लेकिन समुद्र मंथन के पीछे की कथा आज हम आपको बताने जा रहे हैं। एक बार भगवान शिव के दर्शन के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलाश जा रहे थे। रास्ते में इन्द्र देव के मिलने पर उन्होनें भगवान विष्णु का पुष्प आशीर्वाद के रुप में दिया। इन्द्र देव ने अपने गर्व में उस पुष्प को ऐरावत हाथी के मस्तक पर रख दिया। पुष्प रखते ही ऐरावत

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संकष्टी चतुर्थी 2017: जानिए इस वर्ष किस दिन है अंगारी संकष्टी चतुर्थी और क्या है इसका महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है। माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा करने से सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इसलिए इन्हें संकटमोचन और विघ्महर्ता माना जाता है। मान्यता है कि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और उनका व्रत करना बहुत फलदायी होता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत आता है। जिसमें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है

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कार्तिक पूर्णिमा 2017 व्रत कथा: भगवान शिव को क्यों कहा जाता है त्रिपुरारी, जानिए कार्तिक पूर्णिमा की कथा

हिंदू धर्म में कार्तिक मास बहुत अहम होता है। इस महीने में की गई भक्ति-आराधना का पुण्य कई जन्मों तक बना रहता है। इस महीने में किए गए दान, स्नान, यज्ञ, उपासना से श्रद्धालु को शुभ फल प्राप्त होते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान का महत्व होता है। इस दिन माता गंगा की पूजा भी की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और तीनों लोकों को असुरों के प्रकोप से बचाया था। इस दिन के

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Guru Nanak Birthday: क्या है गुरुपर्व, सिखों के पहले गुरु की जयंती, जानें कितने धूमधाम से होता है आयोजन

सिख धर्म के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक के जन्मदिवस के रुप में इस गुरु पर्व मनाया जाता है। गुरु पर्व सिखों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सभी सिख और गुरु नानक जी के अनुयायी इस दिन नानक देव को याद करते हुए इस दिन को उल्लास के साथ मनाते हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार ये पर्व हर वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राई भोई दी तलवंडी नाम के गांव में हुआ

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कार्तिक पूर्णिमा 2017 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: किस विधि से शुभ समय में पूजा करके पाया जा सकता है

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम भगवान श्रीहरि ने मत्स्यावतार के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु के इस अवतार की तिथि होने की वजह से आज किए गए दान, जप का पुण्य दस यज्ञों से प्राप्त होने वाले पुण्य के बराबर माना जाता है। इ, दिन दीपदान करना शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर अगर कृतिका नक्षत्र आ रहा हो तो यह महाकार्तिकी होती है। भरणी नक्षत्र होने पर यह विशेष शुभ फल देती है। रोहिणी

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Guru Nanak Jayanti 2017: जानिए क्यों मनाया जाता है गुरुपर्व, क्या है इस पर्व की महत्वता

गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पर्व को नानक देव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह सिख धर्म का सबसे बड़ा पर्व होता है। सिख धर्म में इस दिन को प्रकाश उत्सव कहा जाता है। इस दिन गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। गुरु नानक सिख धर्म के पहले गुरु थे। हर वर्ष गुरु पर्व की तिथि में परिवर्तन आता रहता है। हिंदू पंचाग के अनुसार गुरु पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु

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देव दिवाली 2017 पूजा विधि: जानिए क्यों किया जाता है इस दिन गंगा स्नान, क्या है पूजा की विधि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देव दिवाली हर वर्ष दिवाली के ठीक 15 दिनों बाद माता गंगा की पूजा के लिए मनाई जाती है। कार्तिक माह के पूरे चांद के दिन यानि पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवता धरती पर आते हैं और उत्सव मनाते हैं। इस पर्व को वाराणसी में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भोलेनाथ के सभी भक्त एक साथ माता गंगा के घाट पर लाखों दीए जला कर देव दीवाली का उत्सव मनाते हैं।

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Dev Diwali 2017: जानिए किस दिन देव मनाएंगे दिवाली, क्या है इस दिन का महत्व

देव दिवाली कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन यानि दिवाली से ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है। हर त्योहार देश के हर कोने में मनाया जाता है लेकिन कुछ त्योहार हैं जो विशेषकर किसी राज्य से जुड़े होते हैं। इसी तरह देव दिवाली का महत्व विशेषकर भारत की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से जुड़ा है। इस दिन काशी के रविदास घाट से लेकर राजघाट तक लाखों दिए जलाए जाते हैं। इस दिन माता गंगा की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा के तटों का नजारा बहुत ही अद्भुत होता

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