योगेश्वरा द्वादशी 2017: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का हुआ था आज विवाह, क्या है इस दिन का महत्व

योगेश्वरा द्वादशी हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह में आती है। इस दिन को चीलुका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, इसके साथ ही शीरबड़ी द्वादशी और हरिबोधिनी द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह के बहारवें दिन इस पर्व को मनाया जाता है। भगवान विष्णु आषाढ़ माह की देवशयनी एकादशी के दिन चार माह के लिए विश्राम के लिए चले जाते हैं और कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जागते हैं जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है जो

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प्रदोष व्रत: आज करें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत, जानिए क्या है पूजा विधि

प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए किया जाता है। इस व्रत को बहुत ही फलदायक माना जाता है। इस व्रत को करने वाली स्त्री अपनी हर मनोकामना को पूरा कर सकती है। इस व्रत का महत्व तभी है जब इसे प्रदोष काल में किया जाए। सूरज डूबने के बाद और रात के होने से पहले के पहर को सांयकाल कहा जाता है। इस पहर को ही प्रदोष काल कहा जाता है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं की इच्छाएं भगवान शिव पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण

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तुलसी माता ने एक बुढ़िया को दिलाया कृष्ण का कांधा- जानिए क्या है कार्तिक माह का कहानी

कार्तिक माह में सभी औरतें तुलसी जी को जल से सींचा करती थी। एक बुढ़िया भी थी जो कार्तिक माह में तुलसी को सींचने जाती थी और जब वह जाती तो तुलसी माता से कहती कि हे तुलसी माता! सत्त की दाता, मैं तेरा बिरवा सींचती हूं, मुझे बहू दे, पीले रंग की धोती दे, मीठा ग्रास दे, बैकुण्ठ में वास दे, अच्छी मौत दे, चंदन का काठ दे, अच्छा राज दे, खाने को दाल-भात दे और ग्यारस (एकादशी) के दिन कृष्ण का कांधा दे। बुढ़िया मां की यह बातें

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देवउठनी एकादशी 2017 पूजा विधि: जानिए किस विधि से माता तुलसी का विवाह करना आपके लिए हो सकता

देव उठनी एकादशी को प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो सभी एकादशी का व्रत करने से भी पापों से मुक्ति मिलती है, लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी के व्रत का पुण्य राजसूय यज्ञ के पुण्य प्राप्ति से अधिक माना जाता है। इसलिए इस एकादशी का महत्व अधिक होता है। इस दिन के लिए वैसे तो अनेक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन एक मान्यता अनुसार माना जाता है

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पाकिस्तान: बलूचिस्तान की पहाड़ियों में गिरा था माता सती का सिर, 51 शक्तिपीठों में से है एक

पाकिस्तान में स्थित बलूचिस्तान के जिला लसबेला में हिंगोल नदी के किनारे पहाड़ी गुफा में माता पार्वती का अति प्राचीन हिंगलाज मंदिर स्थापित है। ये मंदिर हिंदू भक्तों की आस्था का केंद्र है और ये मुख्य 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का सिर गिरा था। भगवान शिव माता सती का मृत शरीर अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे थे। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के मृत शरीर के 51 भाग कर दिया थे। इसके अनुसार हिंगलाज

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क्यों किया जाता है हिंदू धर्म में नवजात शिशु का मुंडन, जानिए

भारत एक पंपराओं का देश है, यहां व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक पंरपराओं का पालन करता है। इसी में एक महत्वपूर्ण परंपरा है बच्चों का मुंडन संस्कार। ये मनुष्य जीवन के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। सभी धर्म और जातियों में अलग-अलग परंपराएं होती हैं। इन सभी रीति-रिवाजों को सभी श्रद्धा से पूरा भी करते हैं। हिंदू धर्म में हर कोई अपने रीतियों के अनुसार जन्म और मरण की संस्कारों को करता है। इसी तरह मुंडन की पंरपरा भी सदियों से चली आ रही है। बच्चे के

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शनिवार के दिन करें ये उपाय, नहीं लगेगी किसी की बुरी नजर

शनिवार का दिन बुरी शक्तियों का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सभी तरह के टोटके आदि किए जाते हैं। कई बार हम देखते हैं कि किसी व्यक्ति के बुरी आत्मा या किसी तरह के बुरे प्रेत की छाया लग जाती है। इस तरह की स्थिति में वो व्यक्ति अपने साथ-साथ किसी के लिए भी हानि ला सकता है। ऐसी मान्यता है कि श्मशान-कब्रिस्तान, भयानक जंगल या ऐसे कोई स्थान जहां किसी की आक्समिक मौत हुई हो और उसके लिए किसी भी तरह का पूजन ना

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उत्तराखंड के इस मंदिर में साक्षात प्रकट हुई थी मां दुर्गा, शक्तियां देख वैज्ञानिक भी हैं हैरान

उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है, इसके पीछे किसी बात का शक नहीं किया जा सकता है। देश के अधिकतम तीर्थ स्थान उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर मौजूद हैं। यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु तीर्थ स्थानों पर आते हैं। आज उत्तराखंड के ऐसे एक मंदिर के बारे में जानते हैं जिसकी अनोखी शक्तियों पर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कसारदेवी का मंदिर है, जिसकी स्थापना दूसरी सदी में मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं।

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अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य

शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिन के इस महापर्व का समापन हो जाएगा। बिना पुरोहित और बिना मंत्र के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाए जाने वाला पर्व अब दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) का भी मुख्य पर्व बन गया है। दिल्ली और आस-पास के इलाकों में रहने वाले पूर्वांचल के प्रवासियों का पहला प्रयास तो इस पर्व में अपने गांव जाने का होता है लेकिन एक तो संख्या ज्यादा होने और ज्यादातर परिवारों की तीसरी पीढ़ी इस इलाके में बड़ी

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छठ पूजा 2017: 12 साल बाद आई ऐसी छठ, जानिए क्यों खास है इस बार की छठ पूजा

छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस साल का छठ पर्व बहुत खास है। क्योंकि इस साल छठ पूजा पर जीवात्मा संयोग बन रहा है। यह शुभ योग 12 साल में एक बार आता है। इस संयोग के कारण बृहस्पति आपके बिगड़े काम सफल करेंगे। भाग्य के दरवाजे खुलेंगे और ऊर्जा का संचार होगा। कार्तिक माह सूर्य देवता के लिए खास माह माना जाता है। इस महीने में सूर्य देव की आराधना करने से सूर्य दोष खत्म हो जाते हैं और सूर्य देव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस माह

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छठ पूजा 2017: यहां सुनिए छठ मइया के लोकप्रिय गाने

Chatth Puja 2017 Maiya Bhojpuri Geet, Songs: छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस साल छठ पूजा 26 अक्टूबर( गुरुवार) और 27 अक्टूबर(शुक्रवार) को मनाई जाएगी। यह पर्व दिवाली के 6 दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है। मंगलवार को ‘नहाय-खाय’ के साथ चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हुआ है। छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो गया है। पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मइया के कर्णप्रिय और पारंपरिक

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सूरज को दीया दिखाने का लोक पर्व

सूरज, नदी, माटी, खेत-खलिहान मिलकर भारत का लोक रचते हैं और लोक की प्रकृति के प्रति आस्था का पर्व है छठ। ब्राह्मण मंत्रों और किसी पुरोहिताई के बिना प्रकृति प्रदत्त चीजों के साथ प्रकृति को अर्पण। भारत में सूर्य की उपासना का संदर्भ ऋग्वैदिक काल से मिलता है और मध्यकाल में आकर छठ पूजा का वह स्वरूप दिखता है जो आज वर्तमान रूप में पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी और नेपाल के तराई क्षेत्र में मनाया जाता है। छठ और छठी मैया छठ शब्द षष्ठी का अपभ्रंश है।

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छठ पूजा 2017: जानिए इस वर्ष कब है छठ पर्व की मुख्य पूजा, किस दिन रखा जाएगा षष्ठी का व्रत

छठ पूजा भारत में भगवान सूर्य की उपासना का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्‍योहार है। इस त्‍योहार को षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है, जिस कारण इसे सूर्य षष्ठी व्रत या छठ कहा गया है। यह त्‍योहार एक साल में दो बार मनाया जाता है पहली बार चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ त्‍योहार को चैती छठ कहा जाता है जबकि कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले इस त्‍योहार को कार्तिक छठ कहा

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भगवान सूर्य की दो संतानें- यम और यमुना, दोनों भाई-बहन के मिलन का अवसर है भैया दूज

दीपावली के ठीक दो दिन बाद पूरे भारत में मनाया जाने वाला भैया दूज एक गहरी आस्था का पर्व माना जाता है। आज शनिवार (21 अक्तूबर) को भाई-बहन के अटूट और पवित्र रिश्ते को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मनाया जा रहा है। कीर्तिक मास के दूसरे दिन दूज मनाए जाने का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। यह अलग बात है कि विविधताओं से परिपूर्ण भारत देश में अलग-अलग नाम से इस पर्व को पुकारा जाता है मगर मकसद सबका एक है। बंगाल में इसे लोग

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भाई दूज पूजा विधि और समय 2017: इस विधि से करें भाई दूज की पूजा, नहीं लगेगी भाई को बुरी नजर

हिंदूओं के प्रमुख त्योहार दिवाली का प्रमुख उत्सव होता है, इस पांचदिवसीय त्योहार का आखिरी दिन होता है भाई दूज का पर्व। भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के प्यार को सुदृढ़ करने का त्यौहार है। यह त्योहार दिवाली से दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाये जाते हैं। पहला रक्षाबंधन जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार भाई दूज का होता है

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