हनुमान जयंती 2017: जानिए पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

हनुमान देवता को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र में माना जाता है कि दिवाली के पहले नरक चतुरदर्शी के दिन हनुमान जी को प्रसन्न करना सबसे सरल होता है। इसलिए नरक चतुर्दशी को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इससे सभी संकट खत्म हो जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में तरक्की की रफ्तार बढ़ जाती है। इस दिन हनुमान जी को खुश करने के लिए यज्ञ भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन यज्ञ करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी

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Dhanteras Puja Vidhi: धनतेरस के दिन जरुर करें यमराज की पूजा, जरुरी होता है यमदीपदान

17 अक्टूबर 2017 मंगलवार को धनतेरस है। इस दिन यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं। क्यों जरुरी होता है यमदीपदान करना बता रहे हैं महागुरु गौरव मित्तल।स्कंदपुराण में लिखा है: कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे। यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।। अर्थात कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर

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धनतेरस 2017 पूजा विधि: लक्ष्मी पूजन की ये विधि है सबसे उत्तम

Dhanteras Puja Vidhi: 19 अक्टूबर को दिवाली है, धनतेरस या धन्वंतरि दिवस या जयंती आज यानि 17 अक्टूबर 2017 को है। इस दिन बाजारों में बहुत भीड़ होती है लेकिन इसी दिन उनकी रौनक देखने को मिलती है। कार्तिक माह की त्रयोदशी के दिन धनतेरस मनाया जाता है। दिवाली भारत का प्रमुख त्योहार है ये त्योहार पंचदिवसीय होता है। इस दिन शाम के दिन अवश्य ही घर में दीपक जलाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी इससे घर में प्रवेश करती हैं लेकिन इसके साथ घर से नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है

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धनतेरस 2017: जानिए क्या है धनतेरस का महत्व और पूजन विधि?

Dhanteras 2017: कार्तिक माह की त्रयोदशी को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। वैसे तो ये दिन धनतेरस के नाम से प्रख्यात है। दिवाली से दो दिन पहले के इस पर्व पर मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस की शाम घर के

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धनतेरस 2017: जानिए धन के देवता कुबेर के बारे में वो बातें जो आपको मालूम नहीं होंगी

धनतेरस के दिन कुबेर देवता की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में कुबेर देवता को धन देने वाले देवता में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि कुबेर देवता धरती के नीचे दबे हुए है और वह हर तरह के धन और खजाने की रखवाली करते हैं। कुबेर को रावण का भाई माना जाता है। कुबेर रावण के पिता ‘विश्रवा मुनि’ की पहली पत्नी इलविला से उत्पन्न हुए थे। उन्हें अपने पिता विश्रवा की तरह धर्मालु और तपस्वी होने के कारण ब्रह्मा से लोकपाल होने का आशीर्वाद मिला।

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रम्भा एकादशी 2017 व्रत कथा और विधि: इस विधि से करें पूजा और पढ़ें ये कथा, सफल होगा व्रत

प्राचीन काल में एक धर्मात्मा और दानी राजा थे। राजा का नाम मुचुकुन्द था। प्रजा उन्हें पिता के समान मानते और वे प्रजा को पुत्र के समान। राजा मुचुकुन्द वैष्ण्व थे और भगवान विष्णु के भक्त थे। वे प्रत्येक एकादशी का व्रत बड़ी ही निष्ठा और भक्ति से करते थे। राजा का एकादशी व्रत में विश्वास और श्रद्धा देखकर प्रजा भी एकादशी व्रत करने लगी। राजा की एक पुत्री थी, जिसका नाम चन्द्रभागा था। चन्द्रभागा भी पिता जी को देखकर एकादशी का व्रत रखती थी। चन्द्रभागा जब बड़ी हुई तो

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रम्भा एकादशी 2017: जानिए क्यों रखा जाता है रम्भा एकादशी को व्रत, इसकी अधिक महत्वता के पीछे है क्या कारण

हिंदू धर्म के उपवास में एकादशी का महत्व अधिक होता है। भगवान श्री कृष्ण ने पांडू पुत्री से सभी एकादशी के विधान के लिए कहा गया है। एकादशी का व्रत मनुष्य के कर्मों से मुक्ति देता है। हर साल 24 एकादशी आती हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार जिस वर्ष अधिक माह होते हैं उस वर्ष 26 एकादशी के व्रत होते हैं। कार्तिक माह की एकादशी के व्रत को रम्भा एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी हिंदू पंचाग के अनुसार कार्त्क माह में आती है लेकिन यही एकादशी तमिल पंचाग के

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शुक्रवार व्रत विधि: ये विधि अपनाकर करेंगे 16 शुक्रवार माता संतोषी का व्रत तो नहीं आएगी कभी धन-धान्य की कमी

हफ्ते के सातों दिन ज्योतिष विद्या के अनुसार अलग-अलग महत्व रखते हैं। वैसे तो हर दिन शुभ माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत कभी भी की जा सकती है। ऐसे ही हिंदू धर्म में धन की देवी लक्ष्मी है। लक्ष्मी देवी का दिन ज्योतिष विद्या के अनुसार शुक्रवार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी का पूजन करने वो प्रसन्न होती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। उसके घर में सुख-समृधि प्रवाहित होने लगती है। सभी जिंदगी की

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अहोई अष्टमी 2017: जानिए इस वर्ष कब है अहोई अष्टमी का व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त

भारत एक त्योहारों का देश है और इस बार अक्टूबर माह में सभी त्योहार हैं। करवाचौथ के बाद अब सभी को दिवाली का इंतजार रहता है। इससे पहले कार्तिक माह की अष्टमी के दिन आता अहोई अष्टमी का व्रत। उत्तर भारत में ज्यादा इस व्रत का प्रचलन है। इस द‍िन अहोई माता की पूजा की जाती है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। उत्तर भारत में और विशेष रूप से राजस्थान में महिलाएं बड़ी निष्ठा के साथ इस व्रत को करती हैं।

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गुरुवार व्रत कथा: जानिए किसने कहा बृहस्पतिदेव से- कर दें सारा धन नष्ट, संभालने में होता है समय बर्बाद

प्राचीन समय की बात है। एक नगर में एक बड़ा व्यापारी रहता था। वह जहाजों में माल लदवाकर दूसरे देशों में भेजा करता था। वह जिस प्रकार अधिक धन कमाता था उसी प्रकार जी खोलकर दान भी करता था, परंतु उसकी पत्नी अत्यंत कंजूस थी। वह किसी को एक दमड़ी भी नहीं देने देती थी। एक बार सेठ जब दूसरे देश व्यापार करने गया तो पीछे से बृहस्पतिदेव ने साधु-वेश में उसकी पत्नी से भिक्षा मांगी। व्यापारी की पत्नी बृहस्पतिदेव से बोली हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य

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…तो क्या इसलिए ही महिलाएं कोई भी बात अपने पेट में नहीं पचा पातीं? जुड़े हैं महाभारत से तथ्य

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कई ऋृषि और मुनियों ने क्रोधित होने पर श्राप दे दिया है लेकिन ऐसे कई श्राप महाभारत के काल में दिए गए थे और आज भी उनका असर धरती पर दिखता है। उनमें से एक है जब पाडंवों ने स्‍वर्गलोक जाने से पहले अपना सारा राज पाठ अभिमन्‍यु के बेटे परीक्षित को दान दे दिया। कहते हैं कि राजा परीक्षित के शासन में सभी प्रजा सुखी थी। एक बार वह वन में आखेट खेलने गए थे, तभी उन्हें शमीक नामक ऋषि मिले, जो मौन व्रत धारण

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केरल के इस मंदिर में जाते तो हैं पुरुष लेकिन बाहर आते हैं स्त्री बनकर, जानिए क्या है कारण

हिंदू धर्म में पूजा करने से अधिक महत्व नियमानुसार पूजा करने का है। इसमें महिलाओं से जुड़े भी कुछ नियम हैं। कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है या उनके प्रवेश के लिए विशेष नियम हैं, जबकि पुरुषों के लिए ऐसे किसी नियम के बारे में आपने शायद ही सुना हो। लेकिन हम यहां आपको एक ऐसे मंदिर के विषय में बता रहे हैं जहां ‘पुरुष’ रूप में ‘पुरुषों’ का प्रवेश वर्जित है और मंदिर में जाने के लिए उसे महिला बनना पड़ता है। आप एक

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इस कार्तिक माह घर में लगाएं तुलसी का पौधा, इस दिशा में लगाना होता है शुभ

प्राचीन काल से तुलसी को घर में रखा जाता है। तुलसी के बहुत महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में पवित्र और धार्मिक पौधा माना जाता है। कई धार्मिक कथाओं में तुलसी का जिक्र किया गया है। तुलसी के पौधे के बारे में ज्योतिषियों का कहना है कि तुलसी का पौधा घर में बहुत शुभ होता है। तुलसी को भगवान कृष्ण के भोग में रखना जरूरी माना जाता है। हर रोज घर में तुलसी

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मध्य प्रदेश: रात 2 बजे के बाद अगर रखा इस मंदिर में कदम तो अवश्य हो जाएगी मौत

कलयुग के इस काल में भी कई कथन जब हमारे सामने आते हैं तो शरीर कांपने लगता है। वृंदावन में मौजूद निधि वन के बारे में तो कई लोग परिचित हैं कि वहां आज भी भगवान कृष्ण आते हैं और राधा और बाकि अपनी रानियों के साथ रास रचाते हैं। इस वन को लेकर मान्यता है कि वहां रात को जो भी रुकने के प्रयास करता है या तो उसकी मृत्यु हो जाती है या वो अपना दिमाग खो बैठता है। निधि वन में एक रंगमहल मौजूद है, उसके लिए

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अफ्रीका में हजारों वर्ष पहले कैसे पहुंच गया शिवलिंग, जानिए क्या है कारण

भगवान शिव यानि देवों के देव महादेव को कई नामों से जाना जाता है। लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव के जन्म का कोई बड़ा प्रमाण नहीं है, वह स्वयंभू हैं तथा सारे संसार के रचयिता हैं। उन्हें संहारकर्ता भी कहा जाता है। उनके सिर में चंद्रमा तथा जटाओं में गंगा का वास है। उन्होनें विश्व की रक्षा के लिये विष पान किया था इसलिये उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश पर उनका वास है।

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