रम्भा एकादशी 2017: जानिए क्यों रखा जाता है रम्भा एकादशी को व्रत, इसकी अधिक महत्वता के पीछे है क्या कारण

हिंदू धर्म के उपवास में एकादशी का महत्व अधिक होता है। भगवान श्री कृष्ण ने पांडू पुत्री से सभी एकादशी के विधान के लिए कहा गया है। एकादशी का व्रत मनुष्य के कर्मों से मुक्ति देता है। हर साल 24 एकादशी आती हैं। हिंदू पंचाग के अनुसार जिस वर्ष अधिक माह होते हैं उस वर्ष 26 एकादशी के व्रत होते हैं। कार्तिक माह की एकादशी के व्रत को रम्भा एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी हिंदू पंचाग के अनुसार कार्त्क माह में आती है लेकिन यही एकादशी तमिल पंचाग के अनुसार पुरातास्सी माह में आती है। देश के कुछ हिस्सों में इसे अश्विन माह में भी मनाया जाता है। रम्भा एकादशी दिवाली के त्योहार से चार दिन पहले आती है। रम्भा एकादशी को रमा एकादशी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पाप धुल जाते हैं। ये कार्तिक माह की एकादशी है इसलिए इसका अधिक महत्व माना जाता है। ये एकादशी कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस वर्ष ये एकादशी 15 अक्टूबर को है।

विवाहिता स्त्रियों के लिए यह व्रत सौभाग्य और सुख देने वाला है। पुराणों में इस एकादशी व्रत के माहात्म्य का उल्लेख प्राप्त होता है। इस व्रत में भगवान केशव का पूजन किया जाता है। माना जाता है कि इस एकादशी व्रत को करने वाले जीवन के समस्त क्लेशों से छूट जाते हैं और भगवान विष्णु की परमकृपा के भागी होते हैं। यह एकादशी अनेक पापों को नष्ट करने वाली है। इस दिन मिट्टी का लेप कर स्नान पश्चात श्रीकृष्ण या केशव का पूजन करना चाहिए। इस व्रत में गेहूं, जौ, मूंग, उड़द, चना, चावल, मसूर दाल और प्याज इन दस चीजों के त्याग का विशेष महत्व है। अत: रंभा एकादशी व्रत करने वाले श्रद्धावान व्यक्तियों को इन वस्तुओं को ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन बार-बार जलपान, हिंसा, असत्य भाषण, पान चबाने, दातून करने, दिन में शयन, रात्रि में सोने और बुरे मनुष्यों से वार्तालाप से बचना चाहिए।

जो भी श्रद्धालु एकादशी का व्रत करना चाहते हैं वे दशमी तिथि से ही शुद्ध चित्त होकर दिन के आठवें भाग में सूर्य का प्रकाश रहने पर भोजन करें। रात्रि में भोजन न करें। भगवान केशव का सभी विधिविधान से पूजन करें और नमो नारायणाय या ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें। इससे पापों का क्षय और पुण्य में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत करके आप शुद्ध चित्त हो सकते हैं।

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