आर्क बिशप ने चिट्ठी में की दोबारा मोदी सरकार न बनने की दुआ, ईसाइयों से उपवास की अपील

दिल्ली के आर्क बिशप (कैथोलिक) ने एक पत्र जारी किया है, जिसको लेकर नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। आर्क बिशप अनिल काउटो ने यह पत्र देश के पादरियों के लिए जारी किया, जिसमें ईसाई समुदाय से नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा न बनने के लिए दुआ करने का आह्वान किया गया है। बिशप ने भारत की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को ‘अशांत’ करार दिया है। आर्क बिशप अनिल ने लिखा, ‘हमलोग अशांत राजनीतिक माहौल का गवाह बन रहे हैं। इसके कारण संविधान में उल्लिखित लोकतांत्रिक सिद्धांतों और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के लिए खतरा पैदा हो गया है। देश और राजनेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी पवित्र परंपरा है। आम चुनावों के समीप आने के कारण यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।’ पत्र में ईसाई समुदाय से देश के लिए हर शुक्रवार को विशेष तौर पर प्रार्थन करने को कहा गया है। ‘वेटिकन न्यूज’ ने ‘यूसीए न्यूज’ के हवाले से बताया कि अनिल काउटो ने कैथोलिक ईसाइयों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए प्रार्थना के साथ हर शुक्रवार को उपवास करने की भी अपील की है, ताकि देश में शांति, लोकतंत्र, समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा बरकरार रहे।

आर्क बिशप अनिल काउटो ने देश भर के पादरियों के नाम लिखे पत्र में कहा, ‘हमलोग वर्ष 2019 की ओर बढ़ रहे हैं जब हमें नई सरकार मिलेगी। ऐसे में हमें 13 मई से अपने देश के लिए प्रार्थना अभियान शुरू करना चाहिए।’ नरेंद्र मोदी की सरकार का कार्यकाल मई, 2019 में समाप्त हो रहा है। यह कोई पहला मौका नहीं जब अनिल काउटो ने मोदी सरकार के खिलाफ इस तरह का बयान दिया है। ‘टाइम्स नाउ’ के अनुसार, आर्क बिशप ने गुजरात, मेघालय और नगालैंड विधानसभा चुनावों के दौरान भी कैथोलिक ईसाई समुदाय से ऐसी ही अपील की थी। उस वक्त भी उन्होंने पत्र जारी किया था। इन राज्यों में भाजपा अपने दम पर या फिर सहयोगियों की मदद से सरकार बनाने में कामयाब रही।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का पक्ष रखने वाले राकेश सिन्हा ने आर्क बिशप के रुख पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने कहा, ‘यह मिशनरियों द्वारा घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप का प्रत्यक्ष मामला है। वे प्रार्थना नहीं कर रहे, बल्कि दुनिया को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत की मौजूदा सरकार बहुसंख्यकों की सरकार है, अल्पसंख्यकों की नहीं। वह (आर्क बिशप) वैश्विक समुदाय को गलत संकेत दे रहे हैं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर देश के मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं। यह प्रार्थना नहीं, बल्कि दुष्प्रचार है जिसे सीधे वेटिकन से नियंत्रित किया जा रहा है।’

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